बहुत दिन हुए, एक जंगल के बीच एक झील थी। झील के आसपास के पेड़ों पर ढेर सारे पक्षी घोंसला बनाकर रहते थे। वहीं एक बहुत पुराना आम का पेड़ था। उस आम के पेड़ पर एक घोंसले में दो चिडिय़ा रहती थी। एक का नाम रिंकी तथा दूसरी का नाम मिंकी था। दोनों एक नंबर की आलसी और कामचोर थीं। सर्दियों के दिन थे। दोनों अपने घोंसले में बैठकर आराम कर रही थी। बाहर बड़ी तेज हवा चल रही थी तथा कभी-कभी बर्फ भी गिर रही थी। किसी कारणवश उनके घोंसले में एक छोटा सा छेद हो गया। उस छेद से ठंडी हवा घोंसले में आ रही थी तथा दोनों को ठंड लगने लगी थी। परंतु कोई भी उस छेद को सही नहीं कर रहा था। मिंकी सोच रही थी, ‘पता नहीं, रिंकी इतनी आलसी क्यों है? यह इस छेद को सही क्यों नहीं कर रही?
उधर रिंकी इस उम्मीद में थी कि मिंकी इस छेद को सही कर देगी। इस तरह दोनों एक दूसरे के ऊपर काम थोपती रही और आराम करती रही। धीरे-धीरे रात होने लगी। हवा की ठंडक बढऩे लगी। कुछ देर बाद बर्फ तेजी से गिरने लगी। छेद के कारण बर्फ घोंसले में भी आने लगी। दोनों चिडिय़ां ठंड से ठिठुरती रहीं परंतु किसी ने भी घोंसले की मरम्मत नहीं की। सुबह तक दोनों ठंड से ठिठुर कर मर गईं।
शिक्षा- हमेशा अपना काम खुद और सही समय पर करना चाहिए।
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