Bharat Katha Mala
Bharat Katha Mala

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

मयंक घर पहुँचा तो बड़ा ही अनमना-सा लग रहा था। बैग रख सीधा बाथरूम में दौड़ा। “माँ- माँ”, उसकी आवाज़ सुनकर माँ दौड़ी आई।

“क्या हुआ?”

“माँ देखो हमारा नल लीक कर रहा है, और कई दिनों से कर रहा है। आपको पता नहीं माँ, हम कितना पानी वेस्ट कर चुके हैं। पता तब चलेगा जब पीने के लिए पानी भी नहीं मिलेगा। “माँ मयंक के रूआँसे चेहरे को देखे जा रही थी।”

आपको पता नहीं है संसार में बहुत सी जगहें ऐसी हैं जहाँ पीने के लिए पानी भी नहीं है। गंदे कीचड़ में से निकला हुआ पानी वो बेचारे पीकर प्यास बुझा रहे हैं और कुछ तो पानी न मिलने की वजह से मरते जा रहे हैं।” मयंक बिना रूके बोलता ही जा रहा था। माँ हैरान-परेशान सी मयंक की ओर देख रही थी। वह बोलता जा रहा था रोता जा रहा था। पानी तो हमारे नल में कई दिन से लीक हो रहा था और आलस में ठीक नहीं करवाया था।

बालमन की कहानियां
Bharat Katha Mala Book

आज तो मयंक की हालत देखने के बाद सच में समझ आया कि ज़रूर कुछ ऐसा हुआ है जो यह बच्चा कह नहीं पा रहा है। बहुत प्यार करने पर जब मयंक से पूछा तो उसने बताया कि मैम ने आज हमें उत्तरी अफ्रीका के किसी शहर का एक चित्र दिखाया, उसमें बच्चा कीचड़ वाला पानी पी रहा था। वह अपनी प्यास बुझा रहा था माँ, वह कैसे पी रहा था इतना गंदा पानी? क्या हमारे देश की भी ऐसी हालत हो जाएगी? क्या हमारे देश से भी पानी चला जाएगा? प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहा था और माँ के सामने कोई जवाब नहीं था। बड़े प्यार से फिर माँ ने उसे समझाया, “नहीं बेटा! ऐसा नहीं होगा। जब तुम जैसे समझदार बच्चे इस देश का भविष्य बनेंगे तो कभी भी किसी घर से पानी की एक बूंद भी बर्बाद ना होगी।”

तमने अपनी मैम से पछा था? “हाँ! मैम के समझाने पर ही मझे इस बात का ध्यान आया था। हम सब बच्चों ने मैंम से प्रोमिस किया है कि अब हम कभी भी पानी वेस्ट नहीं करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे।” ….. “मैम जब समझा रही थी तो एक बात और समझ आई कि शावर की बजाय अगर बाल्टी से नहाया जाए तो बहुत पानी बच सकता है।” माँ बड़े ध्यान से बेटे की बातें सुन रही थी, एक ही दिन में उन्हें अपना बेटा बड़ा समझदार लगने लगा था। मयंक का माथा चूमकर माँ बोली, “मैं अभी फोन करके प्लम्बर को बुलाती हूँ, आज के बाद कभी भी और कहीं भी तुम्हें ऐसा नहीं लगेगा कि पानी वेस्ट हो रहा है। पानी की एक-एक बूंद हम बचाएँगे। देश को खशहाल बनाएँगे। मयंक का चेहरा एकदम से खिल गया। मयंक खुश हो गया।” माँ क्या उस बच्चे को भी पानी मिल जाएगा? “माँ के पास कोई जवाब तो नहीं था पर मयंक को हिम्मत देने के लिए उन्होंने कहा,” हाँ बेटा, उसको भी मिल जाएगा। जब हम सब पानी बचाएँगे तो ज़मीन के नीचे अपने आप पानी का लेवल बढ़ जाएगा और तब सारे संसार में पानी की कमी दूर हो जाएगी। बस सबको पानी बचाने की आवश्यकता है।”

“माँ एक बात और मयंक फिर बोला, “कल सुबह पापा को शेव बनाते समय चौक करना है कि वे नल खुला रखते हैं या साथ-साथ बंद भी करते हैं।” माँ ने हँसकर पूछा, “तो यह भी तुम्हारी मैम ने बताया?” मयंक ने हाँ में सिर हिलाया।

माँ ने कहा, “गुड आइडिया, कल सुबह तुम्हारे पापा की क्लास लगेगी। माँ खुश थी कि भोला मयंक खुश होकर के चला गया था, लेकिन उस दिन से उन्होंने संकल्प लिया एक बूंद पानी भी वेस्ट नहीं जाने देंगी।”

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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