नई दुल्हन ने अपने पति के साथ घर की दहलीज़ पर जैसे ही पांव रखा तो एक उल्लास भरा स्वर कानों में पड़ा, “ऐसे नहीं चलेगा भैया, पहले मेरा नेग, फिर भाभी को घर में लाना।” “ऐसी भी क्या व्यग्रता है अंजू, थोड़ी देर उधार ही सही, पहले हमें अंदर तो आने दे” प्रकाश ने […]
Tag: Bharat Katha Mala
डोन्ट बी सिली-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
दोनों ही पति-पत्नी बेटे के कैरियर को लेकर बहुत महत्त्वाकांक्षी थे। अभी कुल पाँच साल का ही हुआ था उनका बेटा। शिखर नाम भी उसका उन्होंने रखा था। शिखर के घर में उसे कम्प्यूटर सिखाने के लिए एक शिक्षक आता था तो व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देने के लिए दूसरे शहर के नामी स्कूल में […]
लड्डू की हार- 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
जंगल में तालाब के किनारे गंगू कछुए का घर था। वह सालों से अपने परिवार के साथ वहाँ रहता था। उनके घर में एक छोटा बच्चा था। जिसका नाम था लड्ड। गंगू अपनी जवानी की कहानी लड्डू को सुनाता था कि कैसे उसने अपने मित्र नटखट खरगोश को दौड़ में हराया था। गंगू को अपनी […]
अप्रैल फूल-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
सोनू, शीना और रमा तीन बहनें थीं। सबसे छोटी सोनू स्वभाव से ही बड़ी मस्त और सबको हंसते-हंसाते रहने वाली लड़की थी। उसे बचपन से ही सबको अप्रैल फूल बनाने में बड़ा मज़ा आता था। वह ऐसी कोई ना कोई युक्ति सोच ही लेती थी जिससे किसी को संदेह भी नहीं होता था। सबसे बड़ी […]
वो छाता-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
आज भी संभाल कर रखा है मैंने, अलग अलग रंगों से सजा, सावन के महीनों की यादें संजोए…. वो मेरा प्यारा।।।। काले, भूरे और थोड़े से अधपक्के पीले रंग का……वो छाता शिमला से लिया था मैंने, जब गर्मी की छुट्टियों में गया था घूमने, अपनी नानी के घर। उम्र तब कुछ दस साल की थी […]
सफ़र-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
बच्चों का एक ग्रुप स्कूल के टूर पर जा रहा था। बहुत उत्साहित होकर सब बच्चे अपना सामान पैक कर रहे थे। बहुत वक्त के बाद उन्हें शहर से बाहर दर हरियाली के वातावरण में लेकर जा रहे थे। सब बच्चे बहत उत्साह मन में लिये हंसते-गाते पहाड़ों की वादियों को देखने निकल पड़े। बच्चों […]
पश्चाताप- 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
“सुनो अमित, मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है। तुम्हारे पास हैं क्या? प्लीज़, अभी कुछ दिन बाद मुझे मम्मी पॉकेट मनी देंगी तब लौटा दूंगा।” रोहन ने अनजान बनते हुए कुछ झिझकते हुए अमित से कहा। “हाँ हाँ, क्यों नहीं? कैसी बातें करते हो रोहन? तुम्हें प्लीज़ कहने की कोई आवश्यकता नहीं। कुछ पैसे हैं […]
माता-पिता हैरान थे-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
“अरे यार अंकुर आज तो मज़ा आ गया! साईकिलिंग में, तेरी साईकिल तो बड़ी मस्त है। सचिन थोड़ी देर और रोक ले अंकुर को” रोहित बोला – “अभी तो घर जाने का दिल भी नहीं कर रहा थोड़ी देर और खेलते हैं। अभी तो बहुत टाइम है अंधेरा होने में अंकुर कौन सा तेरे पापा […]
मीरा का बाल मन-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
जगदीश इस नौगांव में वन विभाग के अधिकारी के रूप में एक साल से कार्यरत थे। प्रारंभ में तो उनका यहां दिल नहीं लगता था, पर धीरे-धीरे उन्हें यहां अच्छा लगने लगा। वह जब भी स्कूल की तरफ से निकलते अक्सर देखते एक छोटी-सी बिटिया अख़बार पर हल्दी, मिट्टी, गेरू और फूलों के रंगों से […]
खिलती कलियाँ-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
बड़े से घर के आंगन में दो बच्चियाँ भाग-भाग कर एक-दूसरे को पकड़ती, छुड़वाती फिर पकड़ने का प्रयास करती ऐसे लग रही थीं जैसे किसी बाग में दो तितलियां एक-दूसरे का अनुसरण कर अटखेलियाँ करती नज़र आती हैं। इन दोनों बच्चों में से एक है “मुस्कान” जो कि सात बरस की होगी और दूसरी है […]