मयंक घर पहुँचा तो बड़ा ही अनमना-सा लग रहा था। बैग रख सीधा बाथरूम में दौड़ा। “माँ- माँ”, उसकी आवाज़ सुनकर माँ दौड़ी आई। “क्या हुआ?” “माँ देखो हमारा नल लीक कर रहा है, और कई दिनों से कर रहा है। आपको पता नहीं माँ, हम कितना पानी वेस्ट कर चुके हैं। पता तब चलेगा […]
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एक था सुखदेव-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
एक नगर में एक विधवा औरत रहती थी। उसका एक छोटा-सा पुत्र था। जिसका नाम सुखदेव था। सुखदेव सरकारी स्कूल में दूसरी कक्षा में पढता था। वह पढ़ने में अच्छा था। मगर गरीब होने के कारण उसके पास तरह-तरह के कपड़े, खिलौने नहीं थे और न ही उसके पास अपने साथियों की तरह टॉफी, चॉकलेट […]
मुनमुन और मेरु-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
आज मुनमुन दस वर्ष की हो जाएगी। अपनी पसंदीदा फ्रॉक निकालकर भागती-भागती अपनी माँ के पास गयी और बोली- “इसे अच्छे से धो दो।” माँ देखो, वहां थोडा दाग लगा है। माँ ने ध्यान से देखा और कहा, “अरे नहीं बेटा, मुनमुन ये दाग नहीं ये तो फ्रॉक का डिज़ाइन है। देखो ध्यान से।” “हाँ […]
वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
“वैष्णव जन तो तेने कहिए…” की आवाज़ दादू के कमरे से आ रही थी। दादू को यह भजन बहुत प्रिय है। “गांधीजी के दो प्रिय भजन थे, एक रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन” और दूसरा” वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे” दादू ने अमर को बताया था। अमर सोचने लगा, […]
दिव्या-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
दिव्या नाम है उसका- दस वर्षीय सुकन्या बड़ी ही खूबसूरत और प्यारी। उसकी माँ बताया करती थी जब वह पैदा हुई थी तो उसकी पलकों पर नीली झिलमिलाती लकीरें थी। मुस्कुराते स्वप्न थे। बड़ी हुई तो मोतियों से दाँत हंसते रहते। खिलखिलाती रहती। अपनी सखियों में सब से प्रिय होती। लड़कों के साथ भी उसकी […]