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छलावा-21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां चंडीगढ़

एयरपोर्ट पर पिंकी और हैपी दोनों लेने आये थे। सिया और अनुज दोनों चुपचाप उनके साथ कार में बैठ घर चल दिये। आलीशान कोठी थी उनकी। सिया ने देखा, कमल का कमरा सुंदरता से सजा हुआ था। हैंगर में कपड़े सलीके से टंगे हुए थे, बिस्तर की चादर सिलवटों रहित, वाशबेसिन चमक रहा था। लग […]

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वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़

“वैष्णव जन तो तेने कहिए…” की आवाज़ दादू के कमरे से आ रही थी। दादू को यह भजन बहुत प्रिय है। “गांधीजी के दो प्रिय भजन थे, एक रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन” और दूसरा” वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे” दादू ने अमर को बताया था। अमर सोचने लगा, […]

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