Balman Story
Bharat Katha Mala

भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

मनोहर लाल जी प्राथमिक संस्कृति पाठशाला से रिटायर हुए थे। वह पी. टी. के अध्यापक थे। मॉडर्न सोसाइटी में उन्होंने दो कमरे का फ्लैट खरीदा था। बहुत पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। उनके अपने कोई बच्चे नहीं थे। पर वह बच्चों में बच्चे बन जाते थे। वह अक्सर सोसाइटी के बच्चों के साथ पार्क में कभी क्रिकेट, कभी फुटबॉल और कभी बेडमिंटन खेलते। सोसाइटी के बच्चों को क्रिकेट में अधिक रुचि थी। मनोहर लाल जी चंद दिनों में ही बच्चों के चहेते बन गए। बच्चे उन्हें बचपन का दोस्त “बाबू” पुकारने लगे। जब कभी बाबू बच्चों के साथ खेलने न आते तो बच्चे उनके फ्लैट की घंटी बजाकर या उन्हें बालकनी में खड़ा देखकर खेलने का आग्रह करते।

बच्चे खेलते कम, झगड़ा ज़्यादा करते। हर बच्चा पहले बैटिंग करने की जिद करता। जब कोई खिलाड़ी जल्दी आउट नहीं होता तो बच्चों को फील्डिंग करना अच्छा नहीं लगता। अक्सर दो टीम बनाकर बच्चे खेलते। रोहन को कोई भी टीम लेने को तैयार न होती। रोहन पोलियो से ग्रसित था। वह दौड़ नहीं सकता था। खाली एक जगह खड़े होकर किसी तरह बैटिंग करता। बाबू सभी बच्चों को प्यार से ‘मेरे आंखों के तारों, मेरे प्यारे बच्चों” से संबोधित करते और अक्सर बच्चों के झगड़े में बीच-बचाव करते। उन्हें खेल भावना की शिक्षा देते। बच्चे बाबू की बात मान लेते। पर कुछ ही पलों में सब-कुछ भूल कर फिर से झगड़ा शुरु कर देते। बाबू उन्हें न केवल समझाते बल्कि उनका हौसला बढ़ाते और उन्हें क्रिकेट की बारीकियों से अवगत कराते। कभी-कभी बच्चे बाबू से भी उलझ जाते और बाबू भी बच्चे बनकर उनसे बहस करते। बाबू इस बात का ख्याल रखते कि बात का बतंगड़ न हो और बच्चे आपस में सुलह करके हंसी खुशी खेल का आनंद ले।

बाबू ने स्वतंत्रता दिवस पर बच्चों को पूरी क्रिकेट किट उपहार में दिया। बच्चों की खुशी का पारावार न था। अब बाबू उनके लिए सब कुछ थे। पहले से ज़्यादा वे बाबू का सम्मान करने लगे। बाबू की हर बात उनके लिए मायने रखती, चाहे सोसाइटी में स्वच्छता अभियान होता या कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम, बच्चे एक आवाह्न में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते। जिस दिन बाबू खेलने न आते तो बच्चे बड़े मायूस हो जाते।

इसी बीच कोरोना के कहर ने दस्तक दी। कप!, बंदी, पाबंदी और लॉकडाउन का सिलसिला शुरू हुआ। बच्चों के मां-बाप ने बच्चों को खेलने से मना कर दिया। बाबू के लिए भी वक्त काटना मुश्किल हो गया।

बालमन की कहानियां
Bharat Katha Mala Book

कुछ दिनों बाद बच्चों को पता चला कि बाबू को कोरोना हो गया है। बच्चे सुबह-शाम बाबू के फ्लैट की घंटी बजा कर अपने-अपने घरों से नाश्ता-खाना लाकर दरवाज़े पर रख कर चले जाते। वे रोज़ सुबह बाबू की अच्छी सेहत के लिए भगवान से प्रार्थना करने लगे। बच्चों के मां-बाप बच्चों में यह परिवर्तन देख कर हतप्रभ थे।

एक दिन बाबू के घर की घंटी बार-बार बजाने पर भी बाबू के घर का दरवाज़ा न खुला। तो बच्चे परेशान हो उठे। खासकर रोहन बेहद बेचैन हो गया। उसने अपने पिता से पूछा- बाबू कहां चले गए? पिता ने जवाब दियातुम लोग आपस में झगड़ा करते हो न, इसलिए बाबू तुम लोगों से रूठ कर अपने घर स्वर्गधाम चले गए।

हुआ यूं। एक रात बाबू की तबियत काफी बिगड़ गई। उनके ऑक्सीजन का लेवल 50 से भी कम हो गया। सांस लेने में उन्हें दिक्कत होने लगी। उनकी देखरेख कर रहे कोरोना के डॉक्टर ने एम्बुलेंस भेज कर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। पर उनकी जान नहीं बचा सके।

आनन-फानन में कोरोना नियमों के तहत उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

बच्चे इस घटना से अनभिज्ञ थे। उन्हें तो सिर्फ इतना पता था कि बाबू अपने घर स्वर्गधाम गए हैं और जल्दी ही वापस उनके बीच आ जाएंगे।

कोरोना का खौफ़ कम हुआ। जीवन फिर से धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा। बच्चे फिर से पार्क में खेलने जाने लगे। पर उनमें पहले जैसा जोश व उत्साह न था। बाबू अब तक वापस नहीं आए।

एक दिन सभी बच्चों ने निर्णय लिया कि वह बाबू को पत्र लिखकर वापस बुलाएंगे। पत्र में उन्होंने लिखाः

प्रिय बाबू,

हम सभी लोग बेहद आपकी कमी महसूस कर रहे हैं। हम वादा करते हैं कि अब हम आपस में कभी झगड़ा नहीं करेंगे और रोहन को सबसे पहले बैटिंग देंगे। हम आपके आंखों के तारे बनेंगे।

बाबू, अब तो वापस आ जाओ! हम सभी आपका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

आपके प्यारे बच्चे!

पत्र को लिफाफे में रखकर उस पर पते की जगह उन्होंने लिखा:

बचपन का दोस्त ‘बाबू’

स्वर्गधाम

और पत्र को पोस्ट कर दिया।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’

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