“सुनो अमित, मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है। तुम्हारे पास हैं क्या? प्लीज़, अभी कुछ दिन बाद मुझे मम्मी पॉकेट मनी देंगी तब लौटा दूंगा।” रोहन ने अनजान बनते हुए कुछ झिझकते हुए अमित से कहा। “हाँ हाँ, क्यों नहीं? कैसी बातें करते हो रोहन? तुम्हें प्लीज़ कहने की कोई आवश्यकता नहीं। कुछ पैसे हैं […]
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माता-पिता हैरान थे-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
“अरे यार अंकुर आज तो मज़ा आ गया! साईकिलिंग में, तेरी साईकिल तो बड़ी मस्त है। सचिन थोड़ी देर और रोक ले अंकुर को” रोहित बोला – “अभी तो घर जाने का दिल भी नहीं कर रहा थोड़ी देर और खेलते हैं। अभी तो बहुत टाइम है अंधेरा होने में अंकुर कौन सा तेरे पापा […]
मल्लाह-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
एक बार की बात है की एक देश का राजा था। आम राजाओं जैसा। उसकी एक रानी थी आम रानियों की तरह बहुत सुन्दर। उसका एक मल्लाह था। आम मल्लाहों जैसा। राजा को समुन्द्र में किश्ती में सैर करने का बहुत शौक था। राजा सिर्फ अपने उसी वफादार मल्लाह को ही साथ ले कर जाता […]
मुनमुन और मेरु-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
आज मुनमुन दस वर्ष की हो जाएगी। अपनी पसंदीदा फ्रॉक निकालकर भागती-भागती अपनी माँ के पास गयी और बोली- “इसे अच्छे से धो दो।” माँ देखो, वहां थोडा दाग लगा है। माँ ने ध्यान से देखा और कहा, “अरे नहीं बेटा, मुनमुन ये दाग नहीं ये तो फ्रॉक का डिज़ाइन है। देखो ध्यान से।” “हाँ […]
बचपन का दोस्त- 21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
मनोहर लाल जी प्राथमिक संस्कृति पाठशाला से रिटायर हुए थे। वह पी. टी. के अध्यापक थे। मॉडर्न सोसाइटी में उन्होंने दो कमरे का फ्लैट खरीदा था। बहुत पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। उनके अपने कोई बच्चे नहीं थे। पर वह बच्चों में बच्चे बन जाते थे। वह अक्सर सोसाइटी के बच्चों […]
वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई-21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां चंडीगढ़
“वैष्णव जन तो तेने कहिए…” की आवाज़ दादू के कमरे से आ रही थी। दादू को यह भजन बहुत प्रिय है। “गांधीजी के दो प्रिय भजन थे, एक रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन” और दूसरा” वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे” दादू ने अमर को बताया था। अमर सोचने लगा, […]
