hamesha sach hi bolna
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

एक छक्का लगाकर खुश हो गया ‘जीत’। बहुत दिनों के बाद आज उसको बैट मिला है इसलिए अच्छे से मन लगाकर खेल रहा है आज वो। और एक बॉल आया सामने तो फिर से वो बैट जोर से चलाया, बाउंड्री बाहर इस बार। राकेश बाबू के घर के अंदर जा के बॉल गिरा। सारे बच्चे डरते हैं राकेश बाबू से इसलिए कोई भी नहीं जाना चाहता है बॉल लाने के लिए। बहुत मुश्किल से तो सब लोग पैसा इकट्ठा कर के कल ही बॉल लाए थे। सभी बच्चे जीत को भला-बुरा सुना दिए और राकेश बाबू के घर जा के वापिस ले आओ बॉल यही बोल रहे थे।

इस समय राकेश बाबू गेट से बाहर आ गए, हाथ में एक लंबी-सी छड़ी देख के सभी बच्चे डर के मारे भागने वाले थे कि राकेश बाबू के चिल्लाने से सभी के सभी बच्चे स्टैच्यू बन गए है जैसे। राकेश बाबू चिल्ला के पूछ रहे थे, कौन बॉल को इतने जोर से मारा कि बॉल आ के मेरे घर के अंदर घुस गयी।

कोई कुछ नहीं बोले।

जीत का छोटा भाई ‘करन’ भी था वहां। उसने सोचा- एक की गलती के लिए सभी दोस्त को अभी मार पड़ेगी। वह अपने भाई को भी मार खाते हुए नहीं देख पाएगा। इसलिए वो दो कदम आगे आ के अपना हाथ बढ़ा दिया राकेश बाबू की तरफ और बोला- “अंकल मैं हूं, मुझे मारिये, पर मेरे दोस्त लोगों को छोड दीजिए।”

यह बात सुन के सभी आश्चर्यचकित हो गए और जीत भी रह नहीं पाया तो तुरंत अपने छोटे भाई करन को पीछे हटा के बोला, “सॉरी अंकल गलती मैंने की है, मेरा भाई करन नहीं, वो तो मुझे बचाने के लिए खुद के ऊपर इल्जाम ले रहा है। आप मुझे ही दंड दीजिए, मेरे भाई या मेरे दोस्त लोगों को छोड़ दीजिए।”

जीत जोर-जोर से रोने लगा और सॉरी अंकल, सॉरी अंकल बार-बार बोल रहा था।

ये सब देख के राकेश बाबू की आंखों में आंसू आ गये। वो जीत और करन को पास खींच कर उन दोनों के बालों को सहला कर बोले- “अरे डरो मत, मैंने कोई दंड देने के लिए ये नहीं पूछा कि कौन बैटिंग कर रहा था बल्कि इसलिए पूछा कि इतनी अच्छी बैटिंग किसने की थी। पर आज तुम दोनों भाइयों की बात सुन के ये पता चला कि तुम दोनों में कितना प्यार है और दोस्तों के लिए भी कितना प्यार है। और तुम्हारा सच कहना भी मुझे पसंद आया।”

आओ बच्चों मेरे साथ,

ऐसा कहके गेट के अंदर सारे बच्चों को ले गए राकेश बाबू और उन सब को टॉफी दिए और उनके पास कई दिनों से रखे हुए कुछ क्रिकेट बॉल भी बच्चों को दे दिए।

ऐसे ही सच बोलना हमेशा और झगड़ा न कर के साथ मिलकर खेलना और मुश्किल घड़ी में एक-दूजे का साथ देना, तब जाकर तुम को दंड नहीं पुरस्कार मिलेगा।”

यह सुन के बच्चे खुशी से टॉफी सुर बॉल सब ले कर वापस लौट आए अपने ग्राउंड और क्रिकेट खेले फिर से…।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’