इसमें कोई दो राय नहीं है कि महिलाएं घर और बाहर की जिम्मेदारियां बखूबी निभा सकती हैं। वे घर में छोटों से लेकर बड़ों तक का ध्यान रखती हैं लेकिन जब बात आपनी सेहत की आती है तो अक्सर वो लपरवाह हो जाती हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी से महिलाओं की सेहत काफी प्रभावित हो रही है, खासतौर पर कामकाजी महिलाओं की। कामकाजी महिलाओं को एक साथ कई भूमिकाएं निभानी पड़ती है। घर और दफ्तर के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए वे अपनी सेहत को अनदेखा कर देती हैं। नोवा स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली की वरिष्ठ स्त्री रोग चिकित्सक डॉ. शीतल अग्रवाल के अनुसार 20 से 40 वर्ष की उम्र वाली महिलाएं अपनी बिगड़ती जीवनशैली के चलते बीमारियों से ग्रस्त हैं। काम को समय पर पूरा करने का दबाव, सामाजिक संबंध, यात्रा और फिर घर की सभी जिम्मेदारियां। इससे महिलाओं में मोटापा, डिप्रेशन, मधुमेह, रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से किए गए एक अध्ययन के अनुसार इस सर्वेक्षण में शामिल 21 से 52 वर्ष की उम्र वाली कामकाजी महिलाओं में से 68 प्रतिशत महिलाएं जीवनशैली संबंधी बीमारियों से पीडि़त हैं।

कार्डियो वैस्कुलर डिजीज
कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों से आज महिलाएं भी अछूती नहीं रहीं। आज की महिलाएं खुद के स्वास्थ्य से अधिक महत्व अपने कैरियर को देती हैं। कार्डियो वैस्कुलर रोग दिल और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करते हैं। कुछ सामान्य कार्डियो वैस्कुलर रोगों में हाइपरटेंशन, उच्च रक्तचाप, सीओपीडी और स्ट्रोक आदि भी शामिल हैं। इसमें सीओपीडी उस बीमारी को कहते हैं जिसमें एयरफ्लो में रुकावट आ जाती है और जिसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। यह बीमारी आमतौर पर क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फिसेमा के कारण होती है। सिगरेट और धूम्रपान सीओपीडी का प्रमुख कारण है।

उपाय- जीवनशैली बदलें
कार्डियो वैस्कुलर रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं को पौष्टिक व लो कैलोरीज वाला भोजन लेना चाहिए। उन्हें अपने भोजन में कम नमक, कम वसा, कम चीनी, अधिक फाइबर और विटामिन के लिए हर सब्जियां व फल अपने आहार में शामिल करना चाहिए। फलों का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि फलों में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होती है। ग्लूकोज का अधिक मात्रा में सेवन करने पर उच्च रक्त शर्करा हो सकती है। इसके अलावा तंबाकू और शराब के सेवन से बचें।

डिप्रेशन
बदलते सामाजिक परिवेश में महिलाएं बड़ी संख्या में तनाव की शिकार हो रही हैं। इनमें कामकाजी महिलाओं की तादाद ज्यादा है। महिलाओं में बढ़ते तनाव को लेकर पीएसआरआई हॉस्पिटल के कंसलटेंट डॉ. चंदन कहते हैं कि महिलाओं में डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। अधिकतर महिलाएं एक्सोजिनोस डिप्रेशन की शिकार होती हैं। जिसकी वजहों में कोई घरेलू समस्या, आर्थिक समस्या, पति से अनबन, काम का अधिक बोझ, आराम न मिल पाने के कारण चिड़चिड़ापन या ऑफिस की कोई समस्या आदि हो सकती हैं। कई महिलाएं डिमेंशिया की भी शिकार होती हैं। डिमेंशिया में दिमाग के कुछ खास सेल्स नष्ट होने लगते हैं, जिसकी वजह से सोचने-समझने की शक्ति में कमी आने लगती है। तनाव के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। अचानक गुस्सा आना, भुलक्कड़पन, अकेले रहना और किसी से बात न करना जैसी आदतें उनमें दिखाई देने लगती हैं।

उपाय- साइको थेरेपी
तनाव से बाहर निकलने के लिए महिलाओं को स्वयं ही प्रयास करना चाहिए। अपने काम को छोटे-छोटे भाग में बाट लें। मनोरजंन के लिए गाना सुनें। मेडिटेशन और व्यायाम को भी अपने दैनिक जीवन में शामिल करें। इसके अलावा आप मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी जाने वाली साइकोथेरेपी की क्लासेस भी ज्वाइन कर सकती हैं। वहां आपको खुश रहने का तरीका, अच्छा व्यवहार करना और बदलते परिवेश के हिसाब से खुद को ढालना आदि बातें सिखाई जाती हैं। यह क्लासेस अवसादग्रस्त व्यक्ति की जरूरत पर निर्भर करती हैं।

मोटापा
मोटापा महिलाओं में होने वाली बड़ी शारीरिक समस्याओं में से एक है। पीएसआरआई हॉस्पिटल के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुपीद खन्ना का कहना है कि अन्य देशों के अपेक्षा भारत में हार्ट, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर जैसी शारीरिक समस्याएं लोगों में काफी बढ़ी है। इसकी वजह है मोटापा। हमारे देश में 80 प्रतिशत लोग मोटापे के शिकार हैं। मोटापा दो प्रकार का होता है। पहला, जिसमें चर्बी पेट पर चढ़ती है और दूसरे में चर्बी हिप पर चढ़ती है। महिलाओं में मोटापे के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि थायरॉइड या हार्मोनल असंतुलन, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण है हमारा असंतुलित खान-पान। उदाहरण के तौर पर एक दिन में 3 किलोमीटर ब्रिस्क वॉक करके आप 250 कैलोरीज बर्न करते सकते हैं, तो वहीं एक समोसा खाकर 250 कैलोरी वापस ग्रहण कर लेते हैं। महिलाओं में मोटापा अनियमित मासिक धर्म का कारण भी बन सकता है, गर्भधारण करने में भी दिक्कतें आ सकती हैं। अत्यधिक मोटापे के कारण स्ट्रेच माक्र्स की समस्या शुरू हो सकती है। घुटनों में दर्द, चलने के दौरान सांस फूलना और थकान महसूस करना इसके मुख्य लक्षण हैं।

उपाय- संतुलित आहार

संतुलित आहारऔर बेरिएट्रिक सर्जरी मोटापे की समस्या से बचने के लिए जरूरी है व्यायाम। इसके अलावा कम कैलोरी युक्त मिनरल और विटामिन से भरपूर पौष्टिक भोजन लें। एक दिन में 40 मिनट की वॉक आपको फिट बनाए रखेगी। अत्यधिक मोटापे के शिकार रोगियों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी भी उपलब्ध है। इसमें लेप्रोस्कोपी के माध्यम से चर्बी घटाई जाती है। यह सर्जरी स्वस्थ महिलाओं के लिए ही संभव है। डायबिटीज की शिकार महिलाओं के लिए इस सर्जरी में समस्या आ सकती है। इस पूरी सर्जरी में डेढ़ लाख से दो लाख रुपये तक का खर्चा आता है।

पीठ का दर्द
पीठ के दर्द की समस्या आज महिलाओं में आम हो चुकी है। कम उम्र की महिलाएं भी इसकी शिकार हो रही हैं। पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट, दिल्ली के फिजीशियन कंसलटेंट डॉ. मधुजीत गुप्ता का कहना है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लो बैक पेन की समस्या सामान्य हो गई है। एक लंबी अवधि तक लगातार एक ही स्थिति में बैठे रहना इसका मुख्य कारण है। गलत ढंग से बैठने से मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक वजन वाला समान उठाने के कारण भी महिलाएं लंबर बैक पेन की शिकार हो सकती हैं। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर से कैल्शियम कम होने लगता है। इसके कारण भी बैक पेन की समस्या शुरू हो जाती है। महिलाओं को अपने बैठने के पॉश्चर पर ध्यान देना चाहिए। हमेशा पीठ और गर्दन सीधा करके बैठें। इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल, मुंबई के हड्डी रोग विशेषज्ञ व सर्जन डॉ. सचिन भोसले का कहना है कि बैकपेन का इलाज समय रहते जरूरी है, नहीं तो यह बड़ी समस्या बन सकता है। एक महीने से अधिक समय तक दर्द होने पर आप तुरंत किसी डॉक्टर की सलाह लें। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर का वजन बढऩे के साथ मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है या स्पाइनल नव्र्स में बदलाव होता है, जिसके कारण यह समस्या बढ़ जाती है।

उपाय- फिजियोथेरेपी
बैक पेन के लिए व्यायाम सबसे अच्छा इलाज है। अधिक दर्द होने पर आप फिजियोथेरेपी करवा सकती हैं। बैक पेन से परेशान रोगियों को इंटरवेंशन पेन मैंनेजमैंट ट्रीटमेंट भी दिया जाता है, जिसके अंर्तगत इंजैक्शन द्वारा एक तरल पदार्थ को डिस्क तक पहुंचा कर एक्सरे में दर्द का कारण जाना जा सकता है। फिर जरूरत होने पर उपचार के लिए अगली सिटिंग दी जाती है।

डायबिटीज
एक शोध के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं डायबिटीज की अधिक शिकार हो रही हैं। डायबिटीज आम तौर पर व्यक्ति की खराब जीवनशैली के कारण होता है। इसके अलावा तनाव, एल्कोहल का सेवन, जंक, फैटी फूड और धूम्रपान आदि भी डायबिटीज का कारण हो सकती है। कई बार यह लोगों में आनुवांशिक तौर पर भी होता है। अत्यधिक कैलोरीज युक्त खान-पान भी इसका कारण है, खासतौर पर सॉफ्ट ड्रिंक का अधिक सेवन। ड्रिंक में मिला एक्स्ट्रा शुगर, कैफीन और कलर स्वास्थ को नुकसान पहुंचाता है। ज्यादा कैफीन से शरीर में कैल्शियम नष्ट होने लगता है। ज्यादा शुगर से इंसुलिन लेवल में गड़बड़ी आ सकती है। ज्यादा भूख लगना या थकान महसूस होना, अचानक वजन कम होना, किसी भी घाव को ठीक होने में समय लगना और सांस फूलना आदि डायबिटीज के मुख्य लक्ष्ण हैं। अक्सर गर्भावस्था के दौरान अस्थाई तौर पर भी महिलाओं को डायबिटीज हो सकती है।

उपाय- व्यायाम और डाइट

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, फरीदाबाद, की स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अनिता कांत का कहना है कि डायबिटीज की शिकार महिलाओं को व्यायाम जरूर करना चाहिए। अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के बारे में जानकारी रखें और डायटीशियन के हिसाब से डाइट लें। शुगर और ब्लड प्रेशर का एक साथ होना खतरनाक होता है। इसलिए हर सप्ताह इसे चैक करवाती रहें।