Posted inमन्नू भंडारी की कहानी, हिंदी कहानियाँ

शायद: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: जहाज़ की बत्तियाँ जलीं तो लगा, जैसे पानी में बिछी अँधेरे की चादर में अनेक दरारें पड़ गई हों। चारों ओर बल्बों की झूलती बंदनवार देखकर ही राखाल को खयाल आया कि इस बार वह दीवाली घर पर ही मनाएगा। कितना अच्छा होता, किसी तरह वह पूजा पर ही पहुँच पाता। सारे यात्री […]

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मैं हार गई: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: जब कवि-सम्मेलन समाप्त हुआ, तो सारा हॉल हँसी-कहकहों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था। शायद मैं ही एक ऐसी थी, जिसका रोम-रोम क्रोध से जल रहा था। उस सम्मेलन की अन्तिम कविता थी, ‘बेटे का भविष्य।’ उसका सारांश कुछ इस प्रकार था, एक पिता अपने बेटे के भविष्य का अनुमान लगाने […]

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रानी माँ का चबूतरा: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: आज रात को जब चबूतरे पर बैठक लगी तो औरतों की चर्चा का विषय पूर्णिमा को होनेवाला आयोजन था। कौन क्या पहनेगी, पूजा की थाली में क्या ले जाएगी, क्या मनौती मानेगी आदि बातों पर चर्चा हो रही थी कि रामी अपनी छोटी बहिन धन्नी को लेकर पहुँची। बूढ़े काका ने अपनी चिलम […]

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चश्मे: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: बरामदे के दरवाजे के आखिरी ताले को झटका देकर जब मिसेज वर्मा आश्वस्त हुई, तो भीतर ड्राइंग-रूम की घड़ी ने साढ़े ग्यारह बजे का एक घंटा बजाया। बीच में रखी हुई ड्रेसिंग टेबल से उन्होंने दूध का गिलास उठाया तो काली-सी परछाई शीशे में उस समय तक दिखाई देती रही, जब तक वे […]

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दो कलाकार: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: ‘ऐ रूनी, उठ,’ और चादर खींचकर, चित्रा ने सोती हुई अरुणा को झकझोरकर उठा दिया।‘अरे, क्या है?’ आँख मलते हुए तनिक खिझलाहट-भरे स्वर में अरुणा ने पूछा। चित्रा उसका हाथ पकड़कर खींचती हुई ले गई और अपने नए बनाए हुए चित्र के सामने ले जाकर खड़ा करके बोली, ‘देख, मेरा चित्र पूरा हो […]

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खोटे सिक्के: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: ‘जी, इन्हें कहाँ रक्खूँ?’एक सहमी-सी आवाज़ पर सब घूम पड़े। देखा, एक छोटा लड़का थैली हाथ में लिए भयभीत-सा खड़ा है।‘क्या है इसमें?’ कड़ककर मि. खन्ना ने पूछा। आवाज़ में ऊँचे पद का गर्व बोल रहा था।‘जी, खोटे सिक्के हैं। वहाँ मेरा बाबा खोटे सिक्के चुन रहा है, उसी ने भेजे हैं।’ डर […]

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यही सच है: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक मुझे समय का आभास हुआ। …घंटा-भर हो गया यहाँ खड़े-खड़े और संजय का अभी तक पता नहीं! झुँझलाती-सी मैं कमरे में आती हूँ। कोने में रखी मेज़ पर किताबें […]

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तीसरा हिस्सा: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: शेरा बाबू हवा में मुट्ठियाँ उछाल-उछालकर भन्नाते हुए कमरे में इधर से उधर घूम रहे हैं, ‘नहीं, अब और नहीं चलेगा। बहुत बर्दाश्त कर लिया मैंने। इन लोगों ने समझ क्या रखा है…’वास्तव में इनका नाम शेरा बाबू नहीं। 1962 में चुनाव के दौरान इन्होंने एक पाक्षिक पत्रिका निकाली थी। बहुत बड़ा रिस्क […]

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स्त्री-सुबोधिनी: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन इस उम्र तक आते-जाते जिन स्थितियों से मैं गुज़री हूँ, जैसा अहम अनुभव मैंने पाया… चाहती हूँ, बिना किसी […]

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असामयिक मृत्यु: मन्नू भंडारी की कहानी

Hindi Story: सब-कुछ जहाँ का तहाँ थम गया। गति महेश बाबू के हृदय की बंद हुई थी, पर चाल जैसे सारे घर की ठप्प हो गई। अधूरा बना हुआ मकान और अधकचरी उम्र के तीन बच्चे।सच पूछो तो यह भी कोई उम्र है मरने की भला? कुल जमा चवालीस साल। पर मौत कौन किसी से […]