यूनान के एक गाँव का लड़का जंगल में लकड़ियां काटकर शाम को पास वाले शहर के बाजार में बेचकर अपना गुजारा करता था। एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था। उसने देखा कि उस बालक का गट्ठर बहुत ही कलात्मक रूप से बंधा हुआ है। -उसने उस लड़के से पूछा- “क्या यह […]
Author Archives: डॉ. राजेन्द्र पटोरिया
आप तो दाता है – अनमोल प्रेरक प्रसंग
राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया, तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए, चौंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और कहा महाराज आप बड़े हैं, वर पक्ष वाले हैं […]
लाल साड़ी – अनमोल प्रेरक प्रसंग
अरे यह बुढ़ऊ भी 65 साल में सठिया गया है, यह देखो न पेन ड्राइव के जमाने में वीसीआर माँग रहा है। अब कहां से लाऊं अभी के अभी। कहता हुआ म्यूजिक स्टोर का मालिक झल्ला उठा। “जा रे महेश, देख जरा पुराने कबाड़ में पड़ा है धूल झाड़ कर ले आ! पता नहीं ये […]
योग्य हो गए – अनमोल प्रेरक प्रसंग
बुद्धदेव का एक शिष्य उनके पास हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। उन्होंने उससे प्रश्न किया, “क्या चाहते हो?” शिष्य बोला, “यदि भगवान् आज्ञा दें तो देश विचरण करना चाहता हूँ।” तथागत ने भिक्षु से पुनः पूछा, “पूर्ण! तू कौन से प्रान्त में विचरण करेगा?” “भंते, सूनापरान्त नामक जनपद में।” भिक्षु पूर्ण ने उत्तर दिया। “सूनापरान्त […]
प्यासे को पानी – अनमोल प्रेरक प्रसंग
संत एकनाथ कमंडलु में गंगा-जल भरकर काशी से रामेश्वरम् की यात्र कर रहे थे। गर्मी के दिन थे। मीलों तक पानी नहीं मिलता था। संत एकनाथ ने देखा कि एक गधा प्यास से तड़पकर मृतप्राय हो गया है। उन्होंने पानी का कमंडलु उसके मुँह में उड़ेल दिया। गधा जी उठा। शिष्यों ने देखा तो बोले, […]
सजा देकर क्या करोगे – अनमोल प्रेरक प्रसंग
स्वामी दयानन्द के पाखंड खंडन से चिढ़कर पूना के पोंगापंथी पाखंडियों ने उन्हें अपमानित करने तथा चिढ़ाने के लिए एक जुलूस निकाला। उन्होंने एक नकली दयानंद बनाकर चूना और कालिख से उसका मुँह रँगकर गधे पर बिठाकर जुलूस के आगे कर रखा था और लोग पीछे-पीछे उस पर दयानन्द के नाम से तरह-तरह की व्यंग्य […]
विचारपूर्वक कार्य करो – अनमोल प्रेरक प्रसंग
संस्कृत कवि भारवि प्रारम्भ में अत्यन्त निर्धन था। वह बेचारा गौएँ चराकर जैसे-तैसे अपना जीवन-निर्वाह किया करता। एक दिन उसने निम्न श्लोक तैयार किया और उसे एक भोजपत्र पर लिखा- सहसा विदधीत न क्रियाम् अविवेकः परमापदां पदम्। वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धा स्वयमेव सम्पदः।। उक्त श्लोक भारवि की पत्नी को बेहद भाया तथा वह उसे लेकर […]
आत्मिक उन्नति पर ध्यान दें – अनमोल प्रेरक प्रसंग
ब्रह्मदेश के राजा थिबा महान् ज्ञानयोगी थे। एक बार एक अहंकारी भिक्षुक उनके पास आया और बोला, “राजन्! मैं अनेक वर्षों से अखण्ड जप ध्यान करता आ रहा हूँ, किन्तु आज तक मुझे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई_ जबकि आपको राजवैभव में लिप्त होने के बावजूद भी, मैंने सुना है, ज्ञानयोग की प्राप्ति हुई है। […]
पवित्रता – अनमोल प्रेरक प्रसंग
स्निग्ध-गम्भीर स्वर से तमिल दिव्य-प्रबंधों का पाठ करके आचार्य रामानुज धीर-गम्भीर गति से मन्दिर की परिक्रमा कर रहे थे। तभी अकस्मात् एक चाण्डाल स्त्री उनके सम्मुख आ गयी। आचार्य श्री के पैर ठिठक गये। प्रबंध-पाठ खण्डित हो गया, मुँह से ये परुष शब्द फूट पड़े, “हट जा चाण्डालिन, मेरे मार्ग को अपवित्र न कर।” चाण्डाल […]
क्षमा – अनमोल प्रेरक प्रसंग
28 अक्तूबर 1958 को जब कार्डिनलों की संसद में पोप के निर्वाचन की रस्म पूरी हुई, तो बधाई देने के लिए लोगों की बाढ़ पोप जॉन की ओर उमड़ पड़ी। चर्च के पदाधिकारी बधाई देने के उत्साह में इस तरह बह गये कि अन्त में पोप के निजी सचिवों ने उन्हें वैटिकन के महासचिव के […]
