28 अक्तूबर 1958 को जब कार्डिनलों की संसद में पोप के निर्वाचन की रस्म पूरी हुई, तो बधाई देने के लिए लोगों की बाढ़ पोप जॉन की ओर उमड़ पड़ी। चर्च के पदाधिकारी बधाई देने के उत्साह में इस तरह बह गये कि अन्त में पोप के निजी सचिवों ने उन्हें वैटिकन के महासचिव के कार्यालय में बैठाकर दरवाजे पर पोप की पवित्र मोहर लगा दी।
इस मोहर को तोड़ना भयंकर धर्मद्रोह है, किन्तु कार्डिनल और बिशप तक उत्साह के बहाव में उसे तोड़कर घुसने लगे। प्रधान कार्डिनल तिसरा चिल्ला उठे- “उन्हें रोको… रोको, वर्ना वे सब धर्म से बहिष्कृत कर दिये जायेंगे।”
यह सुन पोप जॉन मुसकराये और तिसरों से मृदुतापूर्वक बोले, “कोई बात नहीं। आप उनका बहिष्कार कीजिये और पोप की हैसियत से हमारा पहला काम होगा, उन्हें क्षमा प्रदान करना।”
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