Hindi Poem: ये जो तुम शहद में डूबे हुए शब्दों सेप्रेम परोसते हो, नये तुम पुरुष ही कर सकते होऔर शायद इसीलिएनही समझ पाते स्त्री का प्रेम स्त्री के लिए तो प्रेमएक एहसास है जिसे वह जीती हैहृदय की धड़कन सेसाँसो की सरगम तक ! इस बार आनातो इंतजार व मिलन केसपनों केअनगिनत बिम्ब उकेरे हुएमेरी […]
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सीखना-उम्र का मोहताज नहीं
Hindi Poem:”माँ, क्या आपने कभी कुछ ऐसा करना चाहा था, जो आप सीख न पाईं?”बेटी दीया के इस मासूम-से सवाल ने मुझे भीतर तक हिला दिया।मैं उसके सिर पर हाथ फेरती रही, पर शब्द गले में अटक गए।उस एक सवाल के पीछे दबे हुए थे कई बरसों के अनकहे सपने,कई इच्छाएँ जिन्हें जिम्मेदारियों के नीचे […]
पत्नी धर्म निभाना-गृहलक्ष्मी की कविता
Poem in Hindi: साथ तेरा मिला जो मुझको, बिछड़ मुझसे अब न जाना। वपु रूप में बसों कही भी, चित्त से मुझे न बिसराना।। साथ तुम्हारा मुझे मिला है, हर जन्म में इसे निभाना। कहे जमाना कुछ भी हमको त्याग मुझे तुम न जाना।। सुख दुःख और कहासुनी से, मुझसे तुम न अमर्ष होना। हालात रहें […]
तुम जीना अपने लिए-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: सांत्वनाएँ सभी देंगेमगर तुम्हारे संघर्ष मे तुम्हारा साथ कोई नहीं देगासब कहेंगे कि तुम बहुत सबल होमगर तुम्हारे टूटे मन की व्यथा कोई नहीं सुनेगातुम्हारी हर मुस्कान पर सवाल उठेंगेमगर जो आँसू जब्त किये है तुमने भीतर ही उनका हिसाब कोई नहीं पूछेगातुम हर दिन बिखरोगीमगर कोई तुम्हें नहीं समेटेगामगर फिर भी जीना […]
सुहागन स्त्री-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: सुहागन स्त्री के दाह सँस्कार सेलौटे पति के सामने पड़ने सेस्त्री अपने जीवन के लिएअशुभता से न डरीमन में उसे शुभत्व मानअपने लिये उस नारी के जैसीमृत्यु की कामना कीवहीँ पुरुष के दाह सँस्कार के बादसमाज ने उसकी पत्नी केदर्शन से भयभीत होअपने अशुभ होने की भावना कीसोचा इस विपदा के बाद भीजी […]
नींव की ईंट-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो, नव जीवन की क्यारी है,हर घर की मनभावन तुलसी, ईंट नीव की, नारी हैं।वो बहती सरिता सी निश्छल,परमारथ के हित में जीती,उसको श्रेय कभी न मिलता,उसकी झोली रहती रीती।धैर्य,सहन शक्ति से उसकी,कठिन परिस्थिति हारी है,ईश्वर की सुन्दरतम कृति वो नव जीवन की क्यारी है।बाबुल का आँगन तज करके,पिय […]
सरस्वती वंदना-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: हे मांँ वीणा वादिनी ऐसा तू वरदान दे,ज्ञान से झोली तू भर दे, ज्ञान का आकाश दे। ज्ञान की गंगा बहे, ज्ञान का भंडार देज्ञान की चाशनी में, मांँ तू हमको पाक दे। ज्ञान की सरगम सजें, ज्ञान का संगीत होज्ञान के नूपुर बजें, ज्ञान के ही साज़ हो। ज्ञान से सजें लेखनी, […]
रोज़ डे—गृहलक्ष्मी की कविता
Rose Day Poem: आज बाज़ार गई तोफूलों का व्यापार होते देखा,दुकानों,एक्स्ट्रा काउंटर्स परलाल गुलाब बेहिसाब देखा। ओह!आज रोज़ डे है…जो हर वर्ष फरवरी में आता है।दिमाग में एक विचार कौंधाये प्यार लाल गुलाब से ही क्यों दर्शाया जाता है? शायद लाल रंग प्यार का प्रतीक हो!पर फूल गुलाब ही क्यों, गुड़हल,डहेलियाभी तो हो सकता था?पर […]
श्रावण मास में शिवाराधना-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Sawan Kavita: श्रावण मास अति पावन है,लो शिव को जल चढ़ाएंँ,हर-हर हर महादेव के जयघोष से सारी सृष्टि गुंजाएंँ।बम बम बम बम भोले शिव ,शिव का ही नाम जपाएंँ,जो शिवजी का ध्यान करें,शिव की भक्ति पाए।मन से करें जो शिवाराधना,वो ही शिव को पाए।कर लो सुमिरन शिव नाम का,जप लो ॐ नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय, […]
सावन मास में करें शिव की भक्ति-गृहलक्ष्मी की कविता
Shiv Poem: शंकर शम्भु भोलेनाथ ,नीलकंठ महादेव भूतनाथ ।जग पीड़ाहारी, सकल सुखकारी,नटराज शिव जग पालनहारी ।किया हलाहल विषपान ,दिया जगत को प्राणदान ।दुष्टों के संहारक शिवत्रिशूल धारी त्रिलोचन शिव।शक्ति शिव के वामांग विराजे,मिल अर्द्धनारीश्वर रूप सजावें।जटा में गंगा शीश शशि सजावें,डमरूधारी शिव नागेश्वर कहावें।गणेश कार्तिकेय पार्वती संगउमापति कैलाश विराजे। नंदी आके शीश नवावें,भूत ,प्रेत शिव […]
