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पत्नी धर्म निभाना-गृहलक्ष्मी की कविता

Poem in Hindi: साथ तेरा मिला जो मुझको, बिछड़ मुझसे अब न जाना। वपु रूप में बसों कही भी, चित्त से मुझे न बिसराना।। साथ तुम्हारा मुझे मिला है, हर जन्म में इसे निभाना। कहे जमाना कुछ भी हमको त्याग मुझे तुम न जाना।। सुख दुःख और कहासुनी से, मुझसे तुम न अमर्ष होना। हालात रहें […]

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आइना- गृहलक्ष्मी की कहानियां

बेटा सुनील, मैंने पूरे जीवन की कमाई नेहा की पढ़ाई में लगा दी, मेरे पास दहेज में देने के लिए कुछ भी नहीं है।” शिवनारायण जी ने कहा।“अरे नहीं अंकल! मुझे दहेज में कुछ नहीं चाहिए। बस पढ़ी-लिखी, संस्कारी लड़की चाहिए, जो जीवन के हर हालात में साथ निभा सकें।” शिवनारायण जी को टोकते हुए […]

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