सावन मास में करें शिव की भक्ति-गृहलक्ष्मी की कविता
Sawan Maas me kare shiv ki bhakti

Shiv Poem: शंकर शम्भु  भोलेनाथ ,
नीलकंठ  महादेव  भूतनाथ ।
जग पीड़ाहारी, सकल सुखकारी,
नटराज  शिव  जग पालनहारी ।
किया हलाहल  विषपान ,
दिया जगत को  प्राणदान ।
दुष्टों के संहारक  शिव
त्रिशूल धारी  त्रिलोचन  शिव।
शक्ति  शिव के   वामांग  विराजे,
मिल अर्द्धनारीश्वर  रूप सजावें।
जटा में गंगा शीश शशि सजावें,
डमरूधारी शिव नागेश्वर  कहावें।
गणेश कार्तिकेय   पार्वती संग
उमापति  कैलाश विराजे।
नंदी आके शीश नवावें,
भूत ,प्रेत शिव महिमा गावें।
सौम्य रूप भोले भंडारी  ,
रौद्ररूप  तांडवकारी ।
विश्वेश  महेश  त्रिपुरारी ,
मृत्युंजय  रूद्र नागधारी।
रूद्राभिषेक  शिव को लुभावें,
सावन माह शिव का कहावें ।
शिव की  भक्ति में इंद्र  स्वयं,
सावन में जलाभिषेक  करावें।
शिव की महिमा सारा जग जाने,
शिव चरणों में शीश नवावें।