डॉ. के क्लीनिक में बहुत भीड़ थी। अचानक सिस्टर ने देखा एक वृद्ध व्यक्ति कांप भी रहा है और हाँफ भी रहा है। वह उसे पहले डॉ. के पास ले गई। डॉ. ने उसकी जांच की तो पाया रोगी का रक्तचाप 300 के आस-पास है। डॉ. बहुत चकित हुआ और उसने उसके साथ आए बेटे से पूछा ‘पिछली बार कब आपने इनके रक्तचाप की जांच कराई थी।’
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प्रेम-प्यार- गृहलक्ष्मी लघुकथा
सर्दियों की अलशाम दो जोड़े पाँव समुद्र किनारे रेत पर दौड़े जा रहे थे। लड़की आगे थी और पीछे भाग रहा लड़का उसे पकड़ने का प्रयास कर रहा था।
स्लो प्वाईजन – गृहलक्ष्मी लघुकथा
अस्सी वर्षीय शन्नो देवी चुपचाप अपने कमरे में लेटी लगातार छत पर लगे पंखे को घूर रही है। उसके अंदर, बाहर सब ओर एक सन्नाटा है। कहने को उसके साथ बेटे, बहू, पोते पोतियों का भरा पूरा परिवार है। पति की मृत्यु के पश्चात और अस्वस्थता के कारण उसका बाहर आना-जाना और सखी सहेलियों से मिलना सब बंद हो गया है।
वाह – गृहलक्ष्मी लघुकथा
एक विक्षिप्त वृद्ध तीन दिनों से गायब। दुनियादारी की बेमिसाल तस्वीर अपनी पत्नी की आज्ञा बेटे ने मान ली। थाने में रपट तक नहीं लिखाई। चौथे दिन घर के निकट चौराहे पर वे अचानक मिल गए।
गड्ढे – गृहलक्ष्मी लघुकथा
‘क्यों बे! बाप का माल समझ कर मिला रहा है क्या?’ गिट्टी में डामर मिलाने वाले लड़के के गाल पर थप्पड़ मारते हुए ठेकेदार चीखा।
भैया जी, चाय
मेरा मायका पक्ष पूरा व्यापारी वर्ग था, जहां काफी लोगों का आना-जाना लगा रहता था। अत:सभी को चाचा, भैया, दादा आदि संबोधन से बात करना हमारे घर की चलन में था। मेरी इच्छा के अनुसार मेरी शादी व्यापारी घर में न करके एक सर्विस वाले माहौल में की गई।
जिजीविषा – गृहलक्ष्मी लघुकथा
‘क्या देख रही हो, माला?’
‘यह कोई नयी बेल है। अपने आप उग आयी है और देखो कितनी जल्दी-जल्दी बढ़ रही है।’
‘अरे, वह तो जंगली है। उखाड़ फेंको उसे।’
गर्माहट – गृहलक्ष्मी लघुकथा
बैठक खाने में बैठकर खाने का मेन्यु बनाने से खाना नहीं बनता, खाना बनाने के लिए तो रसोई घर में काम करना पड़ता है, बुझे बुझे मन से रश्मि बैठक खाने से पास हुये मेन्यु पर जुट गई। उसके लिए तो यह रोज का ही था। ठंड है ठंड है कहकर, सारी ननदे रजाई में या धूप सेकने बैठ जातीं। और वही से खाने में क्या क्या बनेगा डिसाईड करतीं। शाम शुरू होते.
मोक्ष – गृहलक्ष्मी लघुकथा
21.09.2017 आज न जाने ऐसा क्या हुआ जब से उसे पढ़ाने बैठा तो पढ़ाने में मन नहीं लग रहा था। हर क्षण यही मन होता उसके रूप-सौंदर्य का पान करता रहूँ… मेरी यह स्थिति देखकर उसने मुझे टोका, – ‘सर! लगता है आज आपका मूड ठीक नहीं है… तो आज छोड़ दीजिए..,’
सोने के अंडे देने वाली हंसिनी – ईसप की प्रेरक कहानियाँ
एक किसान के खेत के पास ही एक हंसिनी भी रहती थी। एक बार वह किसान घूमता-घूमता हंसिनी का घोंसला देखने गया, तो उसे वहाँ एक अंडा दिखाई दिया, पर वह कोई मामूली अंडा न होकर सोने का था। यह देखकर किसान की खुशी का ठिकाना न रहा। अब तो किसान अक्सर उस हंसिनी के […]
