Posted inहिंदी कहानियाँ

घर की लक्ष्मी – गृहलक्ष्मी कहानियां

माया को उसके सास-ससुर बात-बात पर ताने मारते। उसका पति तो उसे अधिक दहेज न लाने के कारण रोज तानों के साथ-साथ थप्पड़-मुक्के भी मारने लगा। माया की सुबह गलियों से शुरू होती और शाम लात-घूसे लेकर आती। ये सब सहना तो माया की अब नियति बन गया था। रोज-रोज की दरिंदगी को सहते-सहते माया के आंसू सूख चुके थे…

Posted inहिंदी कहानियाँ

असहाय – गृहलक्ष्मी कहानियां

घर में पानी भरपूर आता था। हमेशा पानी से हौज भरा रहता था। घर में रहने वाले चार लोग, उसमें भी दो बच्चे और सास बहू। सुबह-सुबह मां जी की आंख खुली तो नित्य कर्म से निवृत्त हो सोचा नहा लूं, तब तक पानी भी आ जाएगा और जितना पानी नहाने में खर्च होगा, फिर […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

गृहलक्ष्मी की कहानियां -अपनी अपनी सोच

  गृहलक्ष्मी की कहानियां – बाज़ार से निकलते ही रिक्शा मिल गया। मैंने व नीलू ने अपना अपना सब्जी का थैला उस पर रखा व आराम से बैठ गए। तेरी सास कैसी है नीलू… ठीक है भाभी, उनका भी कुछ न कुछ लगा रहता है। हर दूसरे दिन उनकी सेवा में ही जाना पड़ता है। […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

डस्टबिन – गृहलक्ष्मी कहानियां

गृहलक्ष्मी की लघुकथा प्रतियोगिता में हमें ढेरों लघुकथाएं प्राप्त हुई हैं जिनमें से हमने झांसी की मनिकना मुखर्जी की इस कहानी का चयन किया है।

Posted inहिंदी कहानियाँ

एक सिपाही का खत अपनी दुल्हन के नाम

प्रिय — और क्या कहूं?    मुझे आना पड़ा तुम्हें ऐसे ही छोड़ कर, मेरी मातृ भूमि बुला रही थी मुझे ! जानता हूँ, अभी तो तुम्हारा घूंघट भी ठीक से नहीं उठाया था ,हम एक दूजे की आँखों में ठीक से अपने प्रेम का अक्स भी न देख पाये थे ,अभी तो तुम्हारे हाथों […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

उफ! ये मोजे-गृहलक्ष्मी की कहानियां

उधर वसुधा फिर परेशान थी। कहीं तनिष ने कहीं उससे नाराज होकर तो अपनी यह मोजे वाली बुरी आदत सुधार ली। उफ! ये मोजे… कहती वसुधा भी मीठी नींद में सो गई।

Gift this article