जिस समय धर्मेंद्र दफ्तर से घर लौटा उस समय तेज वर्षा हो रही थी। उसने देखा कि घर के मुख्य द्वार के बाहर मिट्टी से सने पदचिन्हों के निशान थे। उसने घर में घुसते ही पत्नी से पूछा, ‘क्या घर पर कोई आया था?’ ‘नहीं, सुबह से घर पर कोई नहीं आया।’
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भिखारी – गृहलक्ष्मी लघुकथा
सरकारी दफ्तर में अपना काम निपटा, मैं जल्दी-जल्दी स्टेशन आया। गाड़ी एक घंटे बिलम्ब से आ रही थी। मैंने घर से लाये पराठें निकाले और खाने लगा। तभी एक भिखारी जो हड्डियों का ढांचा मात्र था मेरे पास आकर, हाथ फैला कर चुपचाप खड़ा हो गया।
प्रेम पगे रिश्ते – गृहलक्ष्मी लघुकथा
रोहन को ऑफिस के काम से अक्सर टूर पर रहना पड़ता। उसका पूरा ध्यान पापा की ओर ही लगा रहता। दिन में तीन-चार बार फोन कर हाल-चाल पूछ लेता, पर कभी-कभी काम इतना होता कि दिन भर बात ही न हो पाती।
आज की शबरी – गृहलक्ष्मी लघुकथा
अपनी मित्र कजरी के घर के मेन गेट की घंटी बजाते बजाते मेरी नजर बेर के उस पेड़ पर अटक गई, जो लगा तो बाजू वाले घर में था पर उसका पूरा हिस्सा बाउंड्री वॉल के इस तरफ याने कजरी के आंगन में था गेट खोलते कजरी बोली, क्या सोचने लगी।
उसके बिना – गृहलक्ष्मी लघुकथा
आज तीन दिन हो गये थे, वो ना जाने कहाँ गायब हो गया था!
एक अजीब सी तड़प महसूस हो रही थी मुझे, उसकी ग़ैर-मौजूदगी से।
मिसाल – गृहलक्ष्मी लघुकथा
शांतिनगर मोहल्ले का माहौल शोरमय हो गया। ढोल नगाड़े के शोर में लोगों की ऊंची आवाजें ‘हरी बाबू- जिंदाबाद’ गूंज रही थीं।
घर के अंदर सभी सदस्य एक दूसरे को बधाई देते हुए आगत की तैयारी में जुट गये थे।
दहेज – गृहलक्ष्मी लघुकथा
शिवांश एक कम्पनी में इंजीनियर था। उसके साथ कम्पनी में अक्षिता भी कार्य करती थी, दोनों एक दूसरे को पसन्द करते थे परन्तु डरते थे कि कहीं दोनों के माता-पिता जाति -भेद के कारण मना न कर दें।
नशा – प्रेमचंद कहानियाँ
ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं ग़रीब क्लर्क था, जिसके पास मेहनत-मजदूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थीं। मैं ज़मींदार की बुराई करता, उन्हें हिंसक पशु और ख़ून चूसनेवाली जोंक और वृक्षों की चोटी पर फूलनेवाला बंझा कहता। वह ज़मींदारों का पक्ष लेता; पर स्वभावत: उसका पहलू कुछ कमज़ोर होता था, क्योंकि उसके ज़मीदारों के अनुकूल कोई दलील न थी।
मानुष गंध – गृहलक्ष्मी लघुकथा
मैं अपनी धुन में सड़क पर चला जा रहा था तभी एक आवाज सुनाई दी-एक्सक्यूज मी, इस रोड का नाम क्या है? स्टेट बैंक की ब्रांच इसी रोड पर है?
पहली बार हुआ गरीबी का एहसास
तब मैं सरस्वती शिशु मंदिर में 5 वीं कक्षा का विद्यार्थी था। हर रोज की तरह मैं स्कूल के लिए तैयार हुआ। उस वक्त आसमान बादल से घिर गया था और हम सब बच्चे स्कूल के छुट्टी और बारिश में भीगने का इंतजार कर रहे थे। छुट्टी हो गई तो एक दोस्त के साथ साइकिल लेकर बारिश में […]
