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करारा जवाब – गृहलक्ष्मी लघुकथा

शिप्रा के पास उसके सात वर्षीय बेटे नमन के स्कूल से फोन आया। वह फोन पर बात करके तुरंत नमन के कमरे में पहुंची और उसको लताड़ते हुए बोली ,”आज स्कूल में तुम्हारे साथ इतनी बड़ी बात हो गई और तुमने बताना भी ज़रूरी नहीं समझा!

Posted inहाय मै शर्म से लाल हुई

वो आ गई, उनकी याद…

बात उन दिनों की है जब मेरी नई-नई शादी हुई थी। मेरे पति बैंक से रोज देर से घर आते थे। मैं अकेले घर में बोर हो जाती थी। मैं हमेशा उनका इंतजार ही करती थी, कब वे आएं।

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मजाकिया मनोज – गृहलक्ष्मी लघुकथा

बाप के जाने के कुछ ही दिनों बाद मनोज को अकेला छोड़ कर मां भी स्वर्ग सिधार गई थी। पूरे गांव को उसकी इस अचानक हुई मौत का पता नहीं चला। मनोज अकेला पड़ गया था, इस बात का सभी को दुख था। 15 साल का लड़का अकेला कैसे जीवित रहेगा। अकेला पड़ गया यह लड़का अंदर से टूट जाएगा। हर किसी के मन में अलग-अलग विचार घूम रहे थे। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं।

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अनमोल तोहफ़ा – गृहलक्ष्मी लघुकथा

विदाई का वक़्त हो चला था. अनु बारी-बारी से सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद ले रही थी. अब मालती बुआ की बारी थी. बड़ी भाभी ने चुहल की,” अनु तो बुआ जी की फेवरेट है. देखे बुआजी इसे क्या तोहफ़ा देती है?”

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गोलमाल – गृहलक्ष्मी लघुकथा

जनगणना करने वाले अधिकारी एक बस्ती में पहुंचते ही अपनी नाक-भौं सिकोड़ने लगे। तभी उनमें से एक अपने सहकर्मी से बोला- ‘सर, यहां तो अभी से ही सांस लेना दुर्लभ हो रहा है, इस बदबूदार बस्ती के अन्दर तक जाकर आगे का काम कैसे कर पाएगें?’ हथेली की जीवन रेखा पर तम्बाकू रगड़ रहे दूसरे […]

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वर्चस्व – गृहलक्ष्मी लघुकथा

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नगर की प्रख्यात महिला संगीत अकादमी ने महिला सशक्तिकरण विषय पर नगर की विभिन्न महिला संगठनों की प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया।

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नासमझ – गृहलक्ष्मी लघुकथा

डॉ. के क्लीनिक में बहुत भीड़ थी। अचानक सिस्टर ने देखा एक वृद्ध व्यक्ति कांप भी रहा है और हाँफ भी रहा है। वह उसे पहले डॉ. के पास ले गई। डॉ. ने उसकी जांच की तो पाया रोगी का रक्तचाप 300 के आस-पास है। डॉ. बहुत चकित हुआ और उसने उसके साथ आए बेटे से पूछा ‘पिछली बार कब आपने इनके रक्तचाप की जांच कराई थी।’

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प्रेम-प्यार- गृहलक्ष्मी लघुकथा

सर्दियों की अलशाम दो जोड़े पाँव समुद्र किनारे रेत पर दौड़े जा रहे थे। लड़की आगे थी और पीछे भाग रहा लड़का उसे पकड़ने का प्रयास कर रहा था।

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स्लो प्वाईजन – गृहलक्ष्मी लघुकथा

अस्सी वर्षीय शन्नो देवी चुपचाप अपने कमरे में लेटी लगातार छत पर लगे पंखे को घूर रही है। उसके अंदर, बाहर सब ओर एक सन्नाटा है। कहने को उसके साथ बेटे, बहू, पोते पोतियों का भरा पूरा परिवार है। पति की मृत्यु के पश्चात और अस्वस्थता के कारण उसका बाहर आना-जाना और सखी सहेलियों से मिलना सब बंद हो गया है।

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वाह – गृहलक्ष्मी लघुकथा

एक विक्षिप्त वृद्ध तीन दिनों से गायब। दुनियादारी की बेमिसाल तस्वीर अपनी पत्नी की आज्ञा बेटे ने मान ली। थाने में रपट तक नहीं लिखाई। चौथे दिन घर के निकट चौराहे पर वे अचानक मिल गए।

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