शांतिनगर मोहल्ले का माहौल शोरमय हो गया। ढोल नगाड़े के शोर में लोगों की ऊंची आवाजें ‘हरी बाबू- जिंदाबाद’ गूंज रही थीं।
घर के अंदर सभी सदस्य एक दूसरे को बधाई देते हुए आगत की तैयारी में जुट गये थे।
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दहेज – गृहलक्ष्मी लघुकथा
शिवांश एक कम्पनी में इंजीनियर था। उसके साथ कम्पनी में अक्षिता भी कार्य करती थी, दोनों एक दूसरे को पसन्द करते थे परन्तु डरते थे कि कहीं दोनों के माता-पिता जाति -भेद के कारण मना न कर दें।
नशा – प्रेमचंद कहानियाँ
ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं ग़रीब क्लर्क था, जिसके पास मेहनत-मजदूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती रहती थीं। मैं ज़मींदार की बुराई करता, उन्हें हिंसक पशु और ख़ून चूसनेवाली जोंक और वृक्षों की चोटी पर फूलनेवाला बंझा कहता। वह ज़मींदारों का पक्ष लेता; पर स्वभावत: उसका पहलू कुछ कमज़ोर होता था, क्योंकि उसके ज़मीदारों के अनुकूल कोई दलील न थी।
मानुष गंध – गृहलक्ष्मी लघुकथा
मैं अपनी धुन में सड़क पर चला जा रहा था तभी एक आवाज सुनाई दी-एक्सक्यूज मी, इस रोड का नाम क्या है? स्टेट बैंक की ब्रांच इसी रोड पर है?
