How to make aura powerful
How to make aura powerful

Hindi Poem: श्रृंगार जो औरत का गहना है,
हर वक्त हर पल पहना है.
जिंदगी के भागमभाग में व्यस्त हो जाए
चुटकी भर सिंदूर कभी न लगाना भूल पाए,
वो बाबूजी के लिए पराठा,
वो अम्मा जी के चने का साग,
पति के लिए परवल की सब्जी,
बच्चों की वो प्यारी मैगी..
भले दो कौर ही वो खुद खाए,
चुनरी साड़ी तीज उसे जां से ज्यादा भाए..
सबके पसंद को अपनी बनाती,
जब तब देखो मुस्काती..
तुलसी को जल देना नहीं भूल पाती..
धुले बालों में तौलिया लपेट,
धूप अगरबत्ती के संग कुछ बुदबुदाती
प्रार्थना सबके लिए करती जाती..
निस्वार्थ उसकी ममता,प्यार होती
घर को वो ही मंदिर बनाती..
घर के एक एक कोने से है उसे प्यार,
स्वार्थी होती हैं ये, नहीं समझ आएगा उसका प्यार..
सोलह श्रृंगार है उसे बहुत प्यारा,
हर प्रार्थना में उसने यही खुद के लिए मांगा..
कैसी होती हैं न औरतें,
बहुत स्वार्थी लेकिन होती हैं औरतें..
मैं “उमा”मेरी अंतिम सांस मेरे “शंकर”के कंधे पर हो..
अब न कोई और प्रार्थना हमारी,
दीजे वरदान हे भोले भंडारी…

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