Parenting Advice: आज के समय में अधिकतर पैरेंट्स की यह शिकायत होती है कि उनके बच्चे उनकी बात ही सुनते हैं। फिर चाहे पैरेंट्स उन्हें प्यार से समझाएं, तब भी वे उनकी बात नहीं मानते हैं। ऐसे में पैरेंट्स अपना धैर्य खो देते हैं और बच्चों पर गुस्सा करने लगते हैं। पैरेंट्स के चिल्लाने पर कुछ हद तक बच्चे बात सुन लेते हैं। लेकिन वास्तव में वह मन से उनकी बात नहीं मानते हैं। अगर लगातार ऐसा होता है तो फिर पैरेंट्स के चिल्लाने पर भी बच्चों पर कोई असर नहीं होता है।
इस स्थिति में सिचुएशन बहुत अधिक बिगड़ जाती है। तब पैरेंट्स और बच्चों के बीच काफी दूरियां आ जाती हैं। इस स्थिति में बच्चे पैरेंट्स को उल्टा जवाब देने से भी गुरेज नहीं करते हैं। आपके साथ यह स्थिति ना आए, इसके लिए जरूरी है कि आप पहले यह समझें कि बच्चे अपने पैरेंट्स की बात क्यों नहीं सुनते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही कुछ वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी वजह से बच्चे अपने पैरेंट्स की बात सुनना छोड़ देते हैं-
ऊंची आवाज़ में बोलने की वजह से नहीं सुनते बच्चे

कई पैरेंट्स को ऐसा लगता है कि अगर वे ऊंची आवाज़ में बच्चे से बात करेंगे तो बच्चे उनकी बात सुनेंगे। शुरुआत में शायद ऐसा हो भी जाए। लेकिन जब लगातार पैरेंट्स ऐसा करते हैं तो इससे बच्चे उन्हें इग्नोर करना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि उनके पैरेंट्स को हमेशा ही चिल्लाने की आदत है। ऐसे में बच्चा ना तो अपने पैरेंट्स के साथ समय बिताना पसंद करता है और ना ही उनकी किसी बात को तवज्जो देता है। इसलिए, अगर आपको बच्चे की किसी बात, आदत या हरकत से किसी तरह की कोई शिकायत है तो ऐसे में आप उन पर चिल्लाने या ऊंची आवाज़ में बात करने की जगह शांत तरीके से बात करें। साथ ही साथ, उनका पक्ष समझने की भी कोशिश करें।
बहस करने पर नहीं सुनते बच्चे
कई बार ऐसा होता है कि पैरेंट्स बच्चां से किसी विषय पर बात करते हैं और जब उनके विचार आपस में नहीं मिलते हैं तो अक्सर उनकी बहस शुरू हो जाती है। जब पैरेंट्स बच्चे के साथ हर छोटी-छोटी बात पर बहस करना शुरू कर देते हैं तो बच्चे उनकी बात सुनना बंद कर देते हैं। यहां तक कि अगर पैरेंट्स सही भी कहते हैं और बच्चे की भलाई के बारे में सोचते हैं, तब भी बच्चा उन्हें इग्नोर करना शुरू कर देते हैं। इसलिए, कोशिश करें कि आप किसी बात या सिचुएशन पर बच्चों से लड़ने व बहस करने की जगह उसके दोनों पक्ष के बारे में बता दीजिए और अंतिम फैसला बच्चों को लेने दें। इससे बच्चा आसानी से आपकी बात समझकर सही निर्णय लेगा।
तुलना करने पर नहीं सुनते बच्चे

अधिकतर पैरेंट्स की यह आदत होती है कि वे अपने बच्चे की तुलना किसी अन्य बच्चे से करने लगते हैं। भले ही वह अपने बच्चे को समय के साथ और भी ज्यादा बेहतर बनाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी तुलना करने से बच्चे के आत्मविश्वास पर चोट लगती है। उस पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है और ऐसे में बच्चे पैरेंट्स को ही अपना दुश्मन मानने लगते हैं और उनसे दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। ऐसे में उन्हें अपने पैरेंट्स की किसी बात में कोई रूचि नहीं होती है और ना ही वे अपने पैरेंट्स की किसी बात को तवज्जो देते हैं। ऐसे में पैरेंट्स यह शिकायत करना शुरू कर देते हैं कि उनका बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है।
सराहना न करने पर नहीं सुनते बच्चे
चाहे बच्चा हो या बड़ा, हर किसी को अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता है। जब भी कोई व्यक्ति कुछ अच्छा करता है तो उसे सराहना पसंद आती है। वह यही चाहता है कि उसके द्वारा किए गए अच्छे काम को नोटिस किया जाए। इससे उसे एक प्रोत्साहन मिलता है। बच्चों में यह भावना कुछ अधिक प्रबल होती है। लेकिन जब बच्चे द्वारा किए गए अच्छे कामों की पैरेंट्स सराहना नहीं करते हैं तो इससे बच्चे के मन में नकारात्मकता बढ़ने लगती है। उसे ऐसा लगता है कि पैरेंट्स को उसके द्वारा किए गए प्रयासों की कोई वैल्यू नहीं है। ऐसे में बच्चा भी पैरेंट्स से दूरी बनाने लग जाता है और वह किसी भी अच्छे काम को नहीं करना चाहता है। इस स्थिति में बच्चे अपने पैरेंट्स की बात सुनना बिल्कुल छोड़ देते हैं और उनके बीच आपसी तनाव बढ़ने लगता है।
अनसुना करने पर नहीं सुनते बच्चे

अक्सर घरों में यह देखा जाता है कि जब बच्चा अपनी कोई बात पैरेंट्स के साथ शेयर करता है तो उस समय पैरेंट्स किसी ना किसी अन्य चीज में व्यस्त होते हैं और ऐसे में वे बच्चे की बातों को अनसुना कर देते हैं। जब पैरेंट्स लगातार ऐसा करते हैं तो बच्चे के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उसे ऐसा महसूस होने लगता है कि पैरेंट्स के मन में बच्चे की बातों या उसकी भावनाओं की कोई वैल्यू नहीं है। ऐसे में वह खुद भी पैरेंट्स का रवैया अपनाने लगता है। इसलिए, जब पैरेंट्स उनसे कुछ कहते हैं तो वे भी उनकी बातों को अनसुना कर देते हैं और अपनी चीजों में बिजी हो जाते हैं। इसलिए बतौर पैरेंट्स आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर बच्चा आपसे कुछ कह रहा है तो आप उसे इग्नोर ना करें।
