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एक दौर था जब बच्चे अपने माता-पिता को पलटकर जवाब नहीं देते थे। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है। बच्चे न सिर्फ बात-बात पर गुस्सा होते हैं। बल्कि पलटकर पेरेंट्स को जवाब भी देते हैं।
Pre-Teen Parenting: बच्चों की परवरिश करना आज के समय कोई आसान काम नहीं है। एक दौर था जब बच्चे अपने माता-पिता को पलटकर जवाब नहीं देते थे। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं है। बच्चे न सिर्फ बात-बात पर गुस्सा होते हैं। बल्कि पलटकर पेरेंट्स को जवाब भी देते हैं। बच्चों के ऐसे व्यवहार से पेरेंट्स परेशान हैं। आज जानते हैं कि ऐसी स्थिति में आप बच्चों को कैसे संभाल सकते हैं।
न करें ये गलतियां

आज के समय बच्चों को किसी काम के लिए रोकना-टोकना, मना करना मुश्किल है। बच्चे अब ‘न’ सुनना पसंद नहीं करते। छोटे-छोटे बच्चे भी पेरेंट्स को जवाब दे देते हैं। बच्चों का पलटकर जवाब देना पेरेंट्स को अंदर तक झकझोर देता है। प्रतिक्रिया में वे भी उनपर चिल्लाते हैं, गुस्सा करते हैं। लेकिन ऐसा करना भी गलत है। मनोचिकित्सक कहते हैं कि इस स्थिति पेरेंट्स को थोड़ी देर के लिए शांत हो जाना चाहिए। क्योंकि इससे संघर्ष की स्थिति पैदा होती है। आप एक लंबी सांस लें और फिर प्रतिक्रिया देें।
आप ही है बच्चों के आदर्श
पेरेंटिंग विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चे अपने आस-पास के लोगों से ही भावनात्मक विनियमन सीखते हैं। वे प्रतिक्रियाएं देना भी पेरेंट्स से ही सीखते हैं। इसलिए सबसे पहले आप अपने रवैये में सुधार करें। अपने गुस्से को कंट्रोल करना सीखें। बच्चे के चिल्लाने पर अगर आप भी चिल्लाएंगे तो यह सत्ता संघर्ष की स्थिति बन सकती है। वहीं जब आप बुरी स्थिति में शांत रहते हैं तो आप दृढ़ता से अपनी बात रख पाते हैं। आपका यह व्यवहार बच्चों को भी आत्म नियंत्रण सिखाता है। प्रतिक्रिया देने से पहले बस कुछ देर रुकना बच्चों को एक शक्तिशाली संदेश देता है कि हम अपनी भावनाओं पर काबू कर सकते हैं।
वजह जानने की करें कोशिश
बच्चा अगर बात-बात पर पलट कर जवाब दे रहा है तो उसके पीछे के कारण जानने की भी कोशिश करें। हो सकता है कि बच्चा अपने फ्रेंड्स से प्रेरित होकर ऐसा व्यवहार कर रहे हो। कई बार बच्चे जिद्दी होनेे के कारण चिल्लाने लगते हैं। उन्हें लगता है कि चिल्लाने या जवाब देने से पेरेंट्स मांग पूरी कर देेंगे। ऐसी स्थिति में बच्चों की मनमानी मांगें मानना बंद करें। उन्हें बताएं कि घर पर सम्मान से बात करना बहुत मायने रखता है। साथ ही बुरी संगत छुड़वाने की कोशिश करें।
प्री-टीन पीरियड है खास
बच्चे अक्सर प्री-टीन पीरियड में ज्यादा उग्र और गुस्सैल हो जाते हैं। पेरेंट्स को यह समझना होगा कि इस समय बच्चा कई परिवर्तनों से गुजरता है। हार्मोन चेंज होते हैं, दोस्त बदलते हैं और माहौल भी अलग होता है। ऐसे में बच्चों के व्यवहार में बदलाव बहुत ही नॉर्मल है। बच्चे हर बात को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में जब कोई उनकी बात नहीं मानता है तो वे चिल्लाने या जवाब देने लगते हैं। पेरेंट्स को यह नहीं सोचना चाहिए कि बच्चा असभ्य व्यवहार कर रहा है। बल्कि बचपन से ही बच्चों को उनकी सीमाओं के बारे में बताना शुरू करें। जिससे यह परेशानी कम होगी।
अनादर को न करें अनदेखा
बच्चे को जानना और समझना हर पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप अनादर को अनदेखा करें। अक्सर टीनएज में पहुंचा बच्चा उम्र बढ़ने पर ‘बच्चे’ की तरह व्यवहार नहीं करना चाहता। वहीं अधिकांश पेरेंट्स को अधिकार खोने का डर लगने लगता है। ऐसे में इस समय को समझदारी से हैंडल करना जरूरी है।
ये शक्ति का खेल नहीं है
बहस को शक्ति का खेल न बनाएं। इससे न सिर्फ बच्चा और पेरेंट्स तनाव में आएंगे, बल्कि घर का माहौल भी खराब होगा। इसलिए बच्चे को साफ कहें कि अगर वो सम्मानजनक रूप से बात रखेगा तो ही आप बात सुनेंगे। अगर आप ने बच्चे से बात करना बंद कर दिया है। और बच्चा बाद में आपसे गलती की माफी मांग रहा है तो आपको भी उसकी बात सुननी चाहिए। बच्चे के साथ फिर से जुड़ने का यह बेहतरीन समय होता है।
