Summary : बारहमासी सेमी का पौधा जानिए क्यों है ख़ास?
यह एक बार लग जाने के बाद सालों तक फल देता है और मौसम के साथ-साथ आपकी रसोई को हरी सब्ज़ी की निरंतर आपूर्ति देता रहता है।
Perennial Semi Leafy Vegetable: हमारे भारतीय घरों में आजकल किचन गार्डन का क्रेज़ तेज़ी से बढ़ा है। इस मायने में यह उपयोगी साबित हो रहा कि ताज़ी, रसायन-मुक्त और भरोसेमंद सब्ज़ियां घर पर ही उगाई जा सकें। ऐसे में देसी बारहमासी सेमी का पौधा एक बेहतरीन विकल्प है। यह एक बार लग जाने के बाद सालों तक फल देता है और मौसम के साथ-साथ आपकी रसोई को हरी सब्ज़ी की निरंतर आपूर्ति देता रहता है। कम देखभाल, कम खर्च और ज़्यादा उत्पादन इसकी सबसे बड़ी खासियत है, जिससे यह हर घर के किचन गार्डन के लिए आदर्श बन जाता है।
देसी बारहमासी सेमी की पहचान

देसी सेमी आम मौसमी सेमी से अलग होती है। यह बेलदार पौधा एक बार जम जाने के बाद कई वर्षों तक जीवित रहता है और हर साल फूल-फल देता है। इसकी फलियां पतली, लंबी और स्वाद में हल्की मीठी होती हैं। गांवों में इसे पीढ़ियों से उगाया जाता रहा है क्योंकि यह कम पानी और साधारण मिट्टी में भी अच्छी तरह पनप जाती है। सबसे खास बात यह है कि इसमें कीटनाशकों की जरूरत बहुत कम पड़ती है जिससे यह स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी सुरक्षित सब्ज़ी मानी जाती है।
पौधा लगाने का सही समय और तरीका
देसी बारहमासी सेमी को लगाने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च या फिर जुलाई-अगस्त माना जाता है। इसे बीज या जड़ दोनों से लगाया जा सकता है लेकिन जड़ से लगाया गया पौधा जल्दी बढ़ता है। किचन गार्डन में इसे ऐसी जगह लगाएं जहां पर्याप्त धूप आती हो और बेल फैलने के लिए सहारा मिल सके। गड्ढा खोदकर उसमें गोबर की सड़ी खाद मिलाएं और पौधा लगाकर हल्की सिंचाई करें। शुरुआत के दिनों में नमी बनाए रखना ज़रूरी होता है।
मिट्टी, धूप और पानी की जरूरत

यह पौधा बहुत नाज़ुक नहीं होता, फिर भी दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। रोज़ाना 5–6 घंटे की धूप मिलने पर बेल मजबूत होती है और फूल-फल अच्छी मात्रा में आते हैं। पानी की बात करें तो जरूरत से ज़्यादा सिंचाई नुकसानदायक हो सकती है। गर्मियों में सप्ताह में 2–3 बार और सर्दियों में 7–10 दिन में एक बार पानी देना पर्याप्त रहता है। बारिश के मौसम में अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था ज़रूर रखें।
देखभाल और उत्पादन बढ़ाने के घरेलू उपाय
देसी सेमी की देखभाल बहुत आसान है। समय-समय पर सूखी टहनियां काटते रहें, इससे नई शाखाएं निकलती हैं। महीने में एक बार गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालने से पौधा लंबे समय तक फल देता रहता है। कीट लगने की स्थिति में नीम की पत्तियों का घोल या छाछ का छिड़काव काफी असरदार होता है। रासायनिक दवाओं से बचना बेहतर होता है क्योंकि यह पौधा खुद ही काफी मजबूत होता है।
साल भर हरी सब्ज़ी और रसोई में उपयोग

बारहमासी सेमी का सबसे बड़ा फायदा यही है कि एक बार पौधा जम जाए तो साल के अधिकतर महीनों में फलियां मिलती रहती हैं। सर्दी, गर्मी और बरसात, हर मौसम में इसका उत्पादन किसी न किसी रूप में बना रहता है। इसकी सब्ज़ी सूखी, रसेदार या दाल के साथ मिलाकर बनाई जा सकती है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर यह सब्ज़ी प्रोटीन, फाइबर और आयरन का अच्छा स्रोत मानी जाती है, जो पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
