Teen Love Care: बढ़ती उम्र अपने साथ भावनाओं का ज्वार भी लेकर आती है। टीनएजर्स की फीलिंग्स पल-पल बदलती है। वे अपोजिट सेक्स की ओर आकर्षित भी होने लगते हैं। बदलते परिवेश में यह स्वाभाविक भी हैै। कई बार टीनएजर्स इसे लेकर पियर प्रेशर भी फील करते हैं यानी सब दोस्तों की गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड है तो मेरी भी होनी चाहिए, जैसा दबाव। टीनएजर्स जल्दी से सबपर विश्वास कर लेते हैं। कुछ ही दिनों में गहरी दोस्ती कर लेते हैं और कई बार धोखा भी खा जाते हैं।
वर्तमान में यह परिस्थिति पेरेंट्स के लिए एक बड़ा चैलेंज है। ऐसे में हर पेरेंट की यह जिम्मेदारी है कि वे खुलकर इस विषय पर बच्चों से बात करें। उन्हें शांति से बैठकर सुनें, उन्हें दोस्ती, जान-पहचान और प्यार का अंतर समझाएं। इस वेलेंटाइन डे पर बच्चों पर किसी तरह की पाबंदी लगाने से पहले एक बार करें मन की बात।
Teen Love Care: आप बने अपने टीनएजर्स के बेस्ट फ्रेंड

आज के समय में यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों के दोस्त बनें। पहले ज्वाइंट फैमिली होती थीं, जिसमें बच्चों के पास हमउम्र रिश्तेदार होते थे। उन्हीं से वे अपने दिल की बातें शेयर कर लेते थे। बड़े परिवारों में आए दिन कोई न कोई आयोजन होते थे, जिससे बच्चे भी फैमिली में ही बिजी रहते थे। लेकिन एक न्यूक्लियर फैमिली का चलन है। बच्चे भी एक या दो ही होते हैं। ऐसे में वे आपस में अपनी फीलिंग्स शेयर ही नहीं कर पाते।
घर से बाहर जो उनकी बात सुनता और समझता है उसी की ओर वे आकर्षित हो जाते हैं। इसलिए सबसे पहले आप अपने बच्चों के बेस्ट फ्रेंड बनें। उनसे दिल खोलकर बातें करें, खुले मन से उनकी बातें सुनें। दोस्ती का यह रिश्ता इतना गहरा होना चाहिए कि वह अगर किसी को पसंद करने लगे हैं तो भी आपको बिना डरे वो बता सकें। यकीन मानिए अपने बच्चों की सुरक्षा और भविष्य के लिए यह आज की जरूरत है।
नए दोस्त का बैकग्राउंड जानना जरूरी

दरअसल, टीनएज बहुत की भ्रमित करने वाली उम्र है। यंगस्टर्स खुद अपनी फीलिंग समझ नहीं पाते। वे दोस्ती को प्यार समझ बैठते हैं। आप उन्हें समझाएं कि पहले ये जान लें कि यह प्यार है या फिर सिर्फ क्रश। टीनएजर्स को समझाएं कि हम जीवन में बहुत से लोगों से मिलते हैं, लेकिन वे सभी हमारे करीबी दोस्त या उससे बढ़कर नहीं हो सकते।
न ही कुछ समय की जान पहचान प्यार हो सकती है। उन्हें बताएं कि दोस्त चुनने से पहले और दोस्ती को प्यार में बदलने से पहले नए साथी का बैकग्राउंड जरूर जांच लें। उनकी फैमिली और एजुकेशन के बारे में जानना भी जरूरी है। उसके बाद ही कोई निर्णय लें।
सही और गलत समझने की सीख दें

बच्चों को बचपन से ही किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान भी जरूर दें। कोशिश करें कि उन्हें सही और गलत की सीख आप समय-समय पर दें। अगर दोस्त आपके बच्चे के अकेलेपन का फायदा उठा रहे हैं तो आप बच्चे को खुलकर इस बारे में बताएं। दोस्ती में क्या करना सही है और क्या करना गलत ये बात आप उन्हें सिखाएं। जिससे बच्चा दोस्तों को चुनने का सही फैसला खुद कर सके।
पहले करियर, फिर कुछ और

टीनएजर्स को यह समझाना जरूरी है कि सही काम, सही समय पर ही होना अच्छा रहता है। प्यार करने का भी एक समय होता है। पहले आप पढ़ाई करें, फिर अच्छा करियर बनाएं, उसके बाद प्यार के बारे में शांति से सोचें। जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही करियर की महत्ता हम समझाएं, जिससे बड़े होने पर वे ऐसा कोई कदम नहीं उठाएं। सबसे पहले अपने करियर पर ही फोकस करें।
