Teen health and hygiene care
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Summary: बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं

टीनएज में बॉडी शेमिंग से जूझते बच्चों को पेरेंट्स सही जानकारी और समर्थन देकर आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच दे सकते हैं।

Teenagers Body Shaming: वर्तमान समय में परफेक्ट बॉडी पाना जिस तरह एक ट्रैप बनता जा रहा है उससे हमारे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। परफेक्ट बॉडी पाना, अच्छा दिखना और लगाना आज लाइफस्टाइल के पार्ट से ज्यादा दिखावा बन गया है और इसका असर हमारे बच्चों पर नजर आता है, खासतौर से टीनएज में जिनकी बॉडी एक ट्रांजिशन फेज से गुजर रही होती है। इस समय बहुत से टीनएजर अपने शरीर को लेकर कॉन्फिडेंस महसूस नहीं कर पाते और बॉडी शेमिंग का शिकार बनते हैं। ऐसे में जरूरी है की माता-पिता अपने टीनएजर्स का सही मार्गदर्शन करें और समय रहते उन्हें ऐसी शिक्षा और परवरिश दे कि वह भविष्य में बॉडी शेमिंग का शिकार ना बने। बॉडी शेमिंग सिर्फ किसी बच्चे के मजाक तक सीमित नहीं है बल्कि यह बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास दोनों को बाधित करती है। आइए इस लेख में जानते हैं किस तरह माता-पिता अपने बच्चों को गाइड करें ताकि बच्चा बॉडी शेमिंग से निपट सके।

शारीरिक बदलाव: टीनएजर अर्थात 12 से 18 साल के बीच जिस समय बच्चों शारीरिक और मानसिक बदलाव से गुजर रहे होते हैं इस उम्र में बच्चों के हाइट, वजन, आवाज, प्राइवेट पार्ट्स और हार्मोन्स में बदलाव होता है यह बदलाव बच्चों में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के होते हैं।

सोशल मीडिया का दबाव: वर्तमान समय में जितनी तेजी से अच्छे दिखने का ट्रेंड चल रहा है वह बच्चों पर उनकी तरह अच्छा दिखने का दबाव डाल रहा है।

दोस्तों के कॉमेंट्स: टीनएजर में शरीर को लेकर दोस्तों के बीच एक दूसरे के लिए कमेंट होना आम बात है लेकिन कई बार यह इतना बढ़ जाता है कि बच्चा अपने आप को नापसंद करने लगता है और बॉडी शेमिंग का शिकार हो जाता है।

सामाजिक मानसिकता: बार-बार बच्चों को समाज की बेकार सोच को झेलने जैसे गोरा, काला, मोटा, पतला, नाटा, लंबा जैसे शब्द बच्चों को बुरा महसूस करवाते हैं।

Body shaming in teenagers and Parenting solutions
Body shaming in teenagers and Parenting solutions

अपने बच्चों से हर रोज खुल कर बात करें अपनी बातों को उनके उम्र के अनुसार बदले और जरूरी चीज समझाएं जैसे टीनएज में बच्चों को उनके शरीर में होने वाले परिवर्तन का कारण बताएं। अगर आपका बच्चा उदास लग रहा है, उसकी आदतें बदल रही है तो बात करें, बात करके जाने इसकी क्या वजह है, कहीं वह किसी तरह के बुलींग का सामना तो नहीं कर रहा है।

शरीर में हो रहे बदलाव के लिए बच्चों को वैज्ञानिक कारण देकर समझाएं इसके लिए आप उनके अध्यापक की मदद ले सकते हैं।

लड़कियों को बताएं मासिक चक्र कोई बीमारी नहीं है यह सब को होता है और यह स्वस्थ होने की निशानी हैं। लड़कों को बताएं उनके आवाज का बदलना या चेहरे पर बाल आना सामान्य है। यह उनके शरीर में हो रहे हार्मोन्स के बदलाव के कारण है और सभी इस अवस्था से गुजरते हैं।

बच्चों को समझाएं स्वस्थ होना हमारे खुद के लिए जरूरी है। मोटा या पतला होना स्वस्थ होने का माप नहीं है। सभी का शरीर अलग होता है। हमारा मोटा या पतला होना कई कारणों पर निर्भर कर सकता है, उसमें से एक है हमारा मेटाबॉलिज्म या हमारी जेनेटिक अर्थात हमारे परिवार में सब कैसे हैं।

अपने बच्चों को बताएं गोरा या काला होना सुंदरता का माप नहीं है। हमारा रंग इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस प्रदेश में रहते हैं या हमारे माता-पिता किस रंग के हैं।

मोटा, पतला, गोरा, काला, लंबा, छोटा या चेहरे पर कोई दाग या शरीर में किसी तरह की कमी सुंदरता का माप कभी नहीं बन सकते आप उन्हें उदाहरण दे सकते हैं जो तथाकथित शरीर से सुंदर नहीं है पर एक सफल व्यक्ति हैं। जैसे,

मैरी कॉम, कम हाइट के बाद भी चैंपियन है।

लिज़ो, शरीर से मोटी हैं पर बहुत बढ़िया अमेरिकी सिंगर हैं।

दुनी चंद, रंग सांवला लेकिन बहुत अच्छे एथलीट हैं।

वरुण शर्मा, जिसे हम चूचा के नाम से जानते हैं एक सफल कॉमिक एक्टर हैं।

आप और भी उदाहरण देकर अपने बच्चों को बता सकते हैं आप कैसे दिखते हैं से जरूरी है आप कितने सफल बनते हैं।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...