Maa Ganga
how Maa Ganga came to earth

Summary:धरती पर कैसे उतरीं माँ गंगा – जानिए पूरी पौराणिक कथा

गंगा नदी को हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी और पाप नाशिनी कहा गया है। माँ गंगा का धरती पर अवतरण एक महान कथा है, जिसमें भगीरथ की तपस्या और भगवान शंकर की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

How Maa Ganga Came to Earth: हिंदू धर्म में माँ गंगा का विशेष स्थान है। हिन्दू धर्म में गंगा के पवित्र जल का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। गंगा को केवल एक नदी के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि इन्हें देवी का स्वरूप भी माना जाता है। सदियों से ऐसी आस्था चली आ रही है कि गंगा का जल सबसे पवित्र और अमृत के समान होता है, जो सभी पापों को धो देता है। गंगा का जल इतना शुद्ध होता है कि यह कभी खराब नहीं होता है। इसमें स्नान करने से व्यक्ति का तन-मन शुद्ध होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि माँ गंगा धरती पर कैसे आईं और क्या है इसकी पौराणिक कथा?

Ganga
What is the importance of Maa Ganga Avtaar

माँ गंगा धरती पर कैसे आईं इस संबंध में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि भगीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए काफी कठोर तपस्या की, जिसकी वजह से वह माँ गंगा को धरती पर लाने में सफल रहे। दरअसल भगीरथ ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की आत्माओं को मुक्त कराने के और उनकी आत्मा की शांति के लिए गंगाजल से तर्पण करने की प्रतिज्ञा की थी और यह मुक्ति केवल गंगा के जल से ही संभव थी। लेकिन माँ गंगा के तेज वेग के कारण उनका सीधे धरती पर आना मुश्किल था।

अगर वे सीधे धरती पर आतीं तो उनके तेज वेग के कारण प्रलय आ सकता था। इसलिए माँ गंगा के तेज वेग को कम करने के लिए भगीरथ ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या की।

Lord Shankar
Lord Shankar held Ganga in his matted hair

भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने माँ गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया, ताकि उनके प्रचंड वेग से धरती पर किसी तरह का कोई विनाश न हो और इस तरह से माँ गंगा कैलाश पर्वत होती हुई धरती पर आ गईं। माँ गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलीं और अंत में सगर पुत्रों की अस्थियों को स्पर्श कर उन्होंने उन्हें मोक्ष दिलाया।

ganga
What is the importance of Maa Ganga Avtaar

माँ गंगा को धरती पर लाने का योगदान भगीरथ को जाता है, इसी वजह से उन्हें “भागीरथी” भी कहा जाता है। आज भी गंगा स्नान और गंगाजल का महत्व सबसे ज्यादा है। गंगा धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी जीवनरेखा मानी जाती है।

  • माँ गंगा पापों से मुक्ति और मोक्ष दिलाती हैं। ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को उसके इस जन्म और पिछले जन्मों के सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
  • गंगाजल सबसे पवित्र है, इसे आत्मा का शुद्धि का माध्यम माना जाता है। गंगा जल नए जीवन और ऊर्जा का संचार करती है।
  • जीवन से लेकर मृत्यु तक के हर संस्कार में माँ गंगा का आशीर्वाद जरूरी होता है। मृत्यु के बाद दाहसंस्कार के राख को गंगा में विसर्जित करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
  • गंगा नदी भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है।

ए अंकिता को मीडिया इंडस्ट्री में 9 वर्षों का अनुभव है। इन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की और खास तौर पर लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट बीट में रुचि रखती हैं। लेखन के अलावा वेब सीरीज़ देखना, घूमना, संगीत सुनना और फोटोग्राफी...