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पूजनीय गंगा नदी के जल को इतना पवित्र माना गया है कि हिंदू धर्म की कोई भी पूजा इसके जल के बिना अधूरी रहती है। मां गंगा करोड़ों लोगों के लिए मोक्ष का द्वार है। यही कारण है कि मृत्यु के बाद मृतक की अस्थियां और फूल गंगा में बहाए जाते हैं।
Asthi Visarjan in Ganga: गंगा ना सिर्फ एक पवित्र नदी है, बल्कि हिंदू धर्म में इसे ‘मां’ का दर्जा दिया गया है। एक मां, जो अपने बच्चों के सभी पाप हर लेती है, जिसकी ममता के आंचल में जाकर हर मृत इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पूजनीय नदी के जल को इतना पवित्र माना गया है कि हिंदू धर्म की कोई भी पूजा इसके जल के बिना अधूरी रहती है। मां गंगा करोड़ों लोगों के लिए मोक्ष का द्वार है। यही कारण है कि मृत्यु के बाद मृतक की अस्थियां और फूल गंगा में बहाए जाते हैं। क्या है इसके पीछे का पौराणिक और वैज्ञानिक कारण, आइए जानते हैं।
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यह है पौराणिक मान्यता
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा सगर के 60 पुत्र थे। राजा सगर इक्ष्वाकु वंश के महान प्रतापी राजा थे। अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था। उन्होंने अपने सभी पुत्रों को यज्ञ के घोड़े की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी। इस दौरान देवराज इंद्र ने छल से उस घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। जब यज्ञ का घोड़ा नहीं मिला तो राजा सगर के पुत्रों ने अभिमान में चूर होकर पृथ्वी को खोदना शुरू कर दिया और पाताल लोक तक जा पहुंचे। यहां उन्होंने कपिल मुनि के आश्रम में घोड़े को बंधा हुआ देखा। ऋषि से बिना कुछ बात किए ही सभी राजकुमारों ने उन्हें चोर मान लिया और उन्हें अपमानित करने लगे। ऐसे में ध्यान में बैठे कपिल मुनि क्रोधित हो गए। कपिल मुनि ने सभी को श्राप दिया और एक ही क्षण में राजा सगर के सभी पुत्र भस्म हो गए।
ऐसे धरती पर आई मां गंगा
जब राजा सगर को इस बात का पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि से क्षमा मांगी और अपने पुत्रों की मुक्ति का मार्ग पूछा। तब कपिल मुनी ने राजा सगर को बताया कि स्वर्ग की नदी गंगा जब पृथ्वी को स्पर्श करेगी, तभी तुम्हारे पुत्रों को मुक्ति मिलेगी। जिसके बाद राजा सगर के वंशज दिलीप के पुत्र भागीरथ ने मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या की। भागीरथ ने मां गंगा से धरती पर अवतरित होने का वरदान मांगा। इसी वरदान के कारण मां गंगा धरती पर आईं। जिसके बाद भागीरथ ने अपने वंशजों की राख गंगा नदी में प्रवाहित की और सभी को मुक्ति मिली। यही कारण है कि मां गंगा को मोक्षदायिनी कहते हैं।
श्रीकृष्ण ने भी दिया वरदान
एक अन्य मान्यता के अनुसार गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करने के पीछे एक और धार्मिक कथा भी है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने गंगा नदी को वरदान दिया था कि जो कोई भी गंगा नदी में अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित करेगा, उसका परिवार हमेशा खुशहाल रहेगा। यह भी माना जाता है कि जितने दिन अस्थियां गंगा नदी में तैरती हैं, उतने दिन जीवन आत्मा श्री कृष्ण के धाम में निवास करती है। इसके बाद आत्मा को मोक्ष मिलता है।
जानिए वैज्ञानिक कारण
गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करने के पीछे पौराणिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गंगा नदी का पानी अम्लीय है। इसमें कई केमिकल मौजूद हैं, जिनसे हड्डियां जल्दी गल जाती हैं। इसलिए अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाता है।