Astro Tips: हमारे पूर्वजों का ज्ञान अथाह है। उन्होंने सदियों के अनुभव और अध्ययन से जीवन जीने की ऐसी कला विकसित की, जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहना संभव है। इन ज्ञानों को उन्होंने शास्त्रों में संजोया है। भोजन तो हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। यह केवल शरीर को ऊर्जा देने वाला तत्व नहीं, बल्कि समृद्धि और आनंद का भी स्रोत है। यही कारण है कि शास्त्रों में भोजन के संबंध में भी कई महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। ये नियम न सिर्फ स्वस्थ रहने का मार्गदर्शन देते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता लाने में भी सहायक होते हैं। आइए, आज हम गौर करें शास्त्रों के उन अनमोल रत्नों पर, जो हमें बताते हैं – स्वस्थ भोजन का सही तरीका क्या है?
आयुर्वेद में, भोजन को हमारी प्रकृति के अनुरूप चुना जाता है। विभिन्न खाद्य पदार्थों में अलग-अलग गुण होते हैं जो हमारे शरीर के दोषों को प्रभावित कर सकते हैं। ताजा, मौसमी और संतुलित भोजन तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित रखता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का निर्माण होता है। वहीं, ज्योतिष ग्रहों की चाल और नक्षत्रों की स्थिति को भोजन से जोड़ता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, ताजा भोजन सकारात्मक ग्रह-ऊर्जा को ग्रहण करता है, जबकि बासी भोजन नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है। यह नकारात्मक ऊर्जा हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ग्रहों की चाल और नक्षत्रों की स्थिति का हमारे भोजन पर प्रभाव पड़ता है। ताजा भोजन ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है, जबकि बासी भोजन नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है।
बासी भोजन करने से ग्रहों की स्थिति कमजोर हो सकती है
हमारे पूर्वजों ने ज्योतिष विज्ञान के माध्यम से सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों के प्रभाव को समझने का प्रयास किया। ज्योतिष में, भोजन को केवल पोषण का स्रोत नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा को ग्रहण करने का एक माध्यम भी माना जाता है। सूर्य को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है और ताजा भोजन इस सौर ऊर्जा को अपने में समाहित कर लेता है। यह सकारात्मक ऊर्जा हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ाती है।
ज्योतिष का मानना है कि बासी भोजन में समय के साथ सकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है, और इसके स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा हावी हो जाती है। यह नकारात्मक ऊर्जा हमारी कुंडली में कमजोर ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को बढ़ा सकती है, जिससे हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
इसका मतलब यह नहीं है कि बासी भोजन करने से अचानक हमारे जीवन में तबाही आ जाएगी। लेकिन यह निश्चित रूप से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। अपच, थकान, नकारात्मक विचार और चिंता ये कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो बासी भोजन के सेवन से जुड़ी हैं।
बासी भोजन का मन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सात्विक, राजसिक और तामसिक। ताजा, स्वच्छ और पौष्टिक भोजन सात्विक भोजन माना जाता है। यह भोजन मन को शांत, एकाग्र और सकारात्मक बनाता है। वहीं, बासी, मसालेदार और तले हुए भोजन को तामसिक भोजन माना जाता है। यह भोजन मन को सुस्त, भ्रमित और नकारात्मक बनाता है। बासी भोजन का मन पर प्रभाव, बासी भोजन का सेवन करने से मन में नकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ जाता है। बासी भोजन चिंता और अवसाद को बढ़ा सकता है। बासी भोजन मन में असंतुलन और अशांति पैदा कर सकता है। बासी भोजन एकाग्रता और स्मरण शक्ति को कमजोर कर सकता है।
बासी भोजन शुक्र ग्रह की ऊर्जा को कमजोर कर सकता है
ज्योतिष शास्त्र में, शुक्र ग्रह को सौंदर्य, प्रेम, विलासिता और समग्र कल्याण का ग्रह माना जाता है। इसका प्रभाव हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है, जिसमें हमारी शारीरिक बनावट, त्वचा का स्वास्थ्य और समग्र जीवनशैली शामिल है। ज्योतिषियों का मानना है कि बासी भोजन का सेवन शुक्र ग्रह की ऊर्जा को कमजोर कर सकता है, जिसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। बासी भोजन का शुक्र ग्रह पर प्रभाव, बासी भोजन का सेवन मुंहासे, एक्जिमा, और त्वचा की अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। बासी भोजन से पाचन संबंधी समस्याएं, थकान और कमजोरी हो सकती है। ज्योतिष के अनुसार, बासी भोजन नकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करता है, जो हमारे जीवन में नकारात्मकता ला सकता है। शुक्र ग्रह की कमजोर ऊर्जा सौंदर्य में कमी, चमक की कमी और त्वचा की समय से पहले बूढ़ा होने का कारण बन सकती है।