Nakshatra: धर्म शास्त्रों में नक्षत्र का बहुत अधिक महत्त्व है। हमने अक्सर पंडित-पुरोहितों को कहते सुना है कि ‘ग्रह नक्षत्र ठीक नहीं है या ग्रह नक्षत्रों की दिशा ठीक नहीं चल रही।’ ज्योतिष शास्त्रों में मानने वालों का ग्रह नक्षत्रों में बहुत विश्वास होता है। ऐसे लोग अपने घर काम ग्रह नक्षत्र देखकर ही करते हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार, किस्मत पूरी तरह से ग्रह नक्षत्रों पर ही आधारित होती है। आज इस लेख में हम आपको नक्षत्रों के महत्त्व बारे में बताएंगे। साथ ही बताएंगे कि किस तरह से नक्षत्रों को तीन श्रेणी में बांटा गया है।
क्या है नक्षत्र?

धार्मिक शास्त्रों में तारों को समूह को नक्षत्र कहा जाता है। जिनकी संख्या 27 बताई गई है। इन 27 नक्षत्रों में कुछ शुभ, कुछ अशुभ और कुछ को मध्यम नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है। जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है, तो इन नक्षत्रों के बीच से होकर गुजरता है। चंद्रमा और तारों के इसी तालमेल को नक्षत्र कहा जाता है। ऐसे में जब भी किसी का जन्म होता है तो उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उस बच्चे का जन्म नक्षत्र होता है। ऐसे में उस बच्चे पर इस नक्षत्र का शुभ व अशुभ प्रभाव जीवन पर पड़ता है।
कितनी है नक्षत्रों की संख्या?
धार्मिक शास्त्रों में जिन 27 नक्षत्रों का उल्लेख है उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं। अश्विन, आश्लेषा, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, चित्रा, स्वाति, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती। इन्हीं 27 नक्षत्रों को तीन शुभ नक्षत्र, मध्यम नक्षत्र और अशुभ नक्षत्र की श्रेणी में बांटा गया है।
शुभ नक्षत्र
रोहिणी, अश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा और पुनर्वसु ऐसे 15 नक्षत्र हैं जिन्हें शुभ माना जाता है। इन नक्षत्रों में हुए सभी काम सफल होते हैं। इतना ही नहीं इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व बेहद प्रभावशाली होता है।
मध्यम नक्षत्र

पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा को मध्यम नक्षत्रों की श्रेणी में रखा जाता है। इन नक्षत्रों में किसी भी विशेष या व्यवसाय से जुड़े कामों को नहीं किया जाता हालांकि सामान्य कामकाज के लिहाज से कोई बड़ा नुकसान नहीं होता। इस दौरान जन्मे लोग बेहद सामान्य होते हैं।
अशुभ नक्षत्र
भरणी, कृतिका, मघा और आश्लेषा नक्षत्र में भूल से भी किसी काम को नहीं करना चाहिए। इस दौरान किए गए काम कभी भी सफल नहीं होते। लेकिन इन नक्षत्रों में विध्वंसक कामकाज करना ठीक रहता है। लेकिन एक आम आदमी के लिए ये चारों ही नक्षत्र बेहद नुकसानदेह माने जाते हैं।
