Griha Pravesh Vidhi: नया घर लेना हर किसी के जीवन का एक महत्वपूर्ण सपना होता है। यह सपना साकार करने के बाद, उसमें प्रवेश करने से पहले हिन्दू धर्म में एक विशेष पूजा का विधान है – गृह प्रवेश। माना जाता है कि नए घर में प्रवेश करने से पहले ग्रह शान्ति और शुभता के लिए की जाने वाली यह पूजा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और सुख-समृद्धि का आगमन करवाती है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शुभ मुहूर्त पर पंडित जी की उपस्थिति संभव नहीं हो पाती। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर बिना पंडित जी के गृह प्रवेश कैसे संपन्न किया जाए? क्या इसके लिए शुभ मुहूर्त का फायदा उठा पाना मुमकिन नहीं है?
इस लेख में हम आपको इसी असमंजस का हल बताने जा रहे हैं। जी हां, आप कुछ आसान से क्रियाओं को अपनाकर स्वयं ही अपने नए घर में गृह प्रवेश पूजा संपन्न कर सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि बिना पंडित जी की सहायता के आप किस प्रकार से शुभ मुहूर्त में अपने नए घर में गृह प्रवेश कर सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।
क्या क्या पूजा सामग्री होनी चाहिए
गंगाजल: शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक, घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में मदद करता है।
लाल रंग: शुभता और समृद्धि का प्रतीक, स्वस्तिक बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
धूप: सुगंधित धूप वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक बनाता है।
दीपक: ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक, घर में सुख-समृद्धि लाता है।
फूल: ताजगी और सुंदरता का प्रतीक, देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
फल: पोषण और समृद्धि का प्रतीक, देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
मिठाई: मधुरता और खुशी का प्रतीक, देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
नारियल: संपन्नता और सौभाग्य का प्रतीक, भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है।
चावल: समृद्धि और उन्नति का प्रतीक, देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
सुपारी: शुभता और सफलता का प्रतीक, देवी-देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
कलश: पवित्र जल से भरा कलश, पूजा का मुख्य केंद्र होता है।
घी: दीपक जलाने और प्रसाद बनाने के लिए।
कुमकुम: टीका लगाने और पूजा स्थल को सजाने के लिए।
हल्दी: टीका लगाने और पूजा स्थल को सजाने के लिए।
पान: देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए।
मीठा: पूजा के बाद वितरण के लिए मीठा भोजन।
दक्षिणा: पंडित या ब्राह्मण के लिए दान।
आइए जानते हैं बिना पंडित जी के गृह प्रवेश कैसे करे
- कलश स्थापना: सबसे पहले, कलश को अच्छी तरह धोकर लाल कपड़े से ढक लें। कलश में गंगाजल, चावल, सुपारी और एक रुपया भरें। नारियल को दो भागों में काटकर कलश के दोनों तरफ रखें। कलश को पूजा स्थान पर स्थापित करें और गणपति जी की मूर्ति कलश के सामने रखें।
- पूजा: दीपक जलाएं और धूप जलाएं। कपूर जलाकर आरती करें। भगवान गणेश और कुलदेवता की पूजा करें। नौ ग्रहों, वास्तु देवता और ग्रह देवता की पूजा करें। मंत्र का जाप करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। पूजा समाप्त होने के बाद आरती गाएं।
- प्रवेश: आरती के बाद, दाएं पैर से नए घर में प्रवेश करें।