बदलते वक्त के साथ बंदनवार भी आधुनिकता के रंग में रंग चुका है लेकिन फिर भी गृह-प्रवेश हो, घर में शादी हो या बच्चा पैदा हुआ हो तो आज भी घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों को मौली (पूजा के समय कलाई पर बांधी जाने वाली लाल डोरी या धागा) में पिरोकर बंदनवार के रूप में लगाया जाता है। त्यौहारों पर तो इस के बिना घर की सजावट अधूरी मानी जाती है। बंदनवार केवल सजावट में ही चार चाॅंद नहीं लगाते बल्कि ये समृद्धि और शुभता का भी प्रतीक होते हैं। आम फलों का राजा है इसलिए इस के पत्ते शुभ माने जाते हैं।

बाजार में मौजूद बंदनबार 

आजकल बाजार में कई तरह के डेकोरेटिव बंदनवार उपलब्ध हैं जो स्टोन, गोटा, जरी, मोती, छोटी-छोटी सीपियों, घुघंरू और घंटियों से डेकोरेट किए होते हैं । बेशक ये महंगे होते हैं लेकिन ये घर के मुख्य-द्वार को एक सुन्दर सा लुक प्रदान करते हैं जिस कारण हर आगंतुक की नज़र एक बार तो उस पर ठहर सी जाती है ।

अगर आम के पत्तों और गेंदे के फूलों को मिला कर बंदनवार बना रहे हैं तो आम के पत्तों की संख्या सोलह होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सोलह की संख्या को भगवान कृष्ण की सोलह कलाओं के साथ जोड़कर देखा जाता है। बंदनबार खरीदते समय ध्यान दें कि इसकी एक तरफ शुभ और दूसरे किनारे पर लाभ लिखा हो। घर पर बंदनबार बना रहे हैं तो कुमकुम से बदनबार के दोनों की नारों पर शुभ-लाभ लिखना ना भूलें।


घर पर कैसे तैयार करें बंदनबार 
 

  • गुलाब, गेंदा, चमेली और केले के पत्तों को लम्बाई में चैड़ी पट्टियों के रूप में काटकर उन्हें सूईं में पिरोकर मनमोहक बंदनवार तैयार किया जा सकता है। फूलांे की खुशबू से घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है जिस से तन-मन नई स्फूर्ति से भर जाते हैं।
  • थर्माकोल की शीट को अपनी पसंद के अलग -अलग डिजाईन के ब्लाॅक्स के रूप में काट कर व उन्हें मिरर, शिमर व छोटी घंटियों से सजाकर एक पक्की डोरी पर चिपका दें। सूखने पर दरवाजे के उपर लगा दें आकर्षक बंदनवार तैयार है। आप इन ब्लाॅक्स में किसी भी देवी-देवता (लक्ष्मी-गणेश) का चित्र भी अंकित कर सकते हैं।
  • आपको जिस तरह का बंदनवार बनाना हो, उसी के अनुसार बाजार से सारा सामान खरीद लाएं। मार्किट में कई आकार के लटकन, प्लास्टिक व हल्की धातु की घण्टियां, बीड्स, प्लास्टिक या वुड के शुभ-लाभ और घुंघरू के साथ अन्रू कई प्रकार की सजावटी सामग्री उपलब्ध है। 
  • आप बंदनवार कार्ड-बोर्ड, वाॅयलेट-पेपर, पुरानी साड़ी के जरी वाले बार्डर पर या मोटे कपड़े पर तैयार कर सकते हैं।
  • चूंकि हम पारम्परिक दीवाली मना रहे है। तो पारम्परिक स्टाईल में जयपुरी प्रिंट या जरी प्रिंट को डिजाईनुसार काट कर उसे छोटे-छोटे प्लास्टिक के नारियल, मिरर, मेटल के लक्ष्मी-गणेश और गोटे की सहायता से सजाएं