Tribal community performing Mon festival rituals
Tribal community performing Mon festival rituals

नागालैंड का मोन उत्सव: परंपरा, नृत्य और जनजातीय संस्कृति

मॉन उत्सव नागालैंड में कॉन्याक जनजाति द्वारा मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत और सामाजिक एकता का अद्भुत प्रदर्शन होता है।

Nagaland Mon Festival: भारत का पूर्वोत्तर भाग अपनी सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक उत्सवों के लिए जाना जाता है। नागालैंड का मोन उत्सव इन्हीं में से एक अनोखा पर्व है जो अपनी ऐतिहासिक परंपराओं, जनजातीय संस्कृति और अनूठे लोकनृत्यों के लिए प्रसिद्ध है। यह उत्सव खासतौर पर नागालैंड के मोन जिले में कॉन्याक जनजाति द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल अतीत की वीर गाथाओं को याद दिलाता है, बल्कि आधुनिक समय में भी जनजातीय जीवन, रीति-रिवाज और सामाजिक एकता को उजागर करता है। तीन से चार दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में परंपरा, संगीत, नृत्य और रंगों की बहार देखने को मिलती है।

Tribal community performing Mon festival rituals
Exploring the origins and cultural significance of Mon festival

मोन उत्सव की जड़ें कॉन्याक जनजाति की पुरानी “सिर-कटाई परंपरा” से जुड़ी हुई हैं। पुराने समय में इस जनजाति के योद्धा दुश्मनों का सिर काटकर विजय का प्रतीक मानते थे। सिर-कटाई उनके साहस, शक्ति और सामुदायिक गौरव का प्रतीक हुआ करता था। हालांकि आज यह प्रथा पूरी तरह समाप्त हो चुकी है, लेकिन इसकी स्मृति और उससे जुड़ी वीरता की झलक मोन उत्सव में देखी जा सकती है। इस पर्व के दौरान योद्धाओं की पोशाक, हथियार और युद्ध नृत्य इन ऐतिहासिक परंपराओं को जीवंत बना देते हैं।

मोन उत्सव का सबसे आकर्षक हिस्सा है यहाँ का युद्ध नृत्य। पारंपरिक पोशाक, रंग-बिरंगे हेडगियर, शंख और ढोल की थाप पर योद्धा जैसे अंदाज़ में किया गया यह नृत्य हर दर्शक को रोमांचित कर देता है। नृत्य के साथ गाए जाने वाले गीत वीरता, प्रकृति और सामुदायिक जीवन की कहानियों को अभिव्यक्त करते हैं। इसके अलावा, यहाँ हस्तशिल्प, पारंपरिक आभूषण और हथियारों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है, जिससे पर्यटक कॉन्याक जनजाति की जीवनशैली को करीब से समझ सकते हैं।

Tourists enjoying Mon festival dances and music performances
Engage with traditional dances, rituals, and local festivities

मोन उत्सव केवल देखने भर का आयोजन नहीं है, बल्कि इसमें भाग लेने वालों को अनोखा अनुभव भी मिलता है। यहाँ आने वाले सैलानी स्थानीय भोजन का स्वाद चख सकते हैं, जनजातीय बाजारों में पारंपरिक वस्त्र और हस्तशिल्प खरीद सकते हैं और कॉन्याक लोगों की अतिथि-नवाज़ी का आनंद ले सकते हैं। यह उत्सव उन यात्रियों के लिए खास है जो लोक संस्कृति और अनोखी परंपराओं से रूबरू होना चाहते हैं।

मोन जिले तक पहुँचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा दीमापुर है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से यात्रा की जा सकती है। कोहिमा से मोन की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है और रास्ते में पहाड़ी दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। ठहरने के लिए गेस्ट हाउस और स्थानीय होमस्टे उपलब्ध हैं, जो यात्रियों को वास्तविक नागा संस्कृति का अनुभव कराते हैं। खाने-पीने के लिए स्थानीय व्यंजन जैसे स्मोक्ड मीट, चावल और बांस की कोपलों से बने पकवान जरूर चखें।

Tribal warriors performing ceremonial war dances during Mon festival
Special traditions and symbolic rituals in Nagaland

मोन उत्सव केवल एक सांस्कृतिक पर्व ही नहीं बल्कि नागालैंड की पहचान है। यह हर साल अप्रैल के महीने में मनाया जाता है और इसे देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। यहाँ के पारंपरिक उत्सव न केवल पुरानी परंपराओं को जीवित रखते हैं बल्कि युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। इस उत्सव में शामिल होना मानो नागालैंड की आत्मा को महसूस करना है।

संजय शेफर्ड एक लेखक और घुमक्कड़ हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और मुंबई में हुई। 2016 से परस्पर घूम और लिख रहे हैं। वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन एवं टोयटा, महेन्द्रा एडवेंचर और पर्यटन मंत्रालय...