ऊटी जा रहे हैं घूमने, तो टोडा जनजाति के गांव का जरूर करें भ्रमण: Toda Tribe
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Toda Tribe: घूमना किसे पसंद नहीं है, बच्चा, बूढ़ा या जवान हर कोई घूमने के नाम से खुश हो जाता है। और हो भी क्यों ना आखिर घूमना सभी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। घूमने की बात आती है तो लोग देश के अलग-अलग हिस्सों का रुख अपनी पसंद के हिसाब से करते हैं। किसी को पहाड़ पसंद है तो किसी को समुद्री किनारे तो कई लोग संस्कृति और प्रकृति को करीब से जानने के लिए किसी विशेष जगह का चुनाव करते हैं। आज हम आपको घूमने के लिए ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां जाकर आप एक अलग ही अनुभव का एहसास करेंगे। साथ ही आप बेहद करीब से एक जनजातीय जीवन के बारे में जान पाएंगे और महसूस कर पाएंगे किसी परंपरागत जीवनशैली को।

वैसे तो भारत में कई ऐसी आदिवासी जनजातियां रह रही हैं, जो आज भी अपनी परंपरागत जीवनशैली के साथ जुड़ी हुई हैं। आधुनिक भारत में वे आज भी बेहद साधारण जीवन यापन कर रहे हैं। इन्हीं आदिवासी जनजातियों में शामिल है टोडा जनजाति। परंपरागत तरीके से जीवन जीने वाली ये आदिवासी जनजाति तमिलनाडु के नीलगिरि हिल्स में ऊटी से लगभग 15 किमी दूर स्थित टोडा गांव में रहती है। अगर आप इस जनजाति की संस्कृति, भोजन, कपड़े और उनके बारे में जानना चाहते हैं तो एक बार टोडा गांव जरूर जाएं। यहां आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है यहां की पारंपरिक टोडा झोपड़ियां। उनकी बनावट कई हद्द तक एक सामान होती है।

टोडा जनजाति

Toda Tribe
Toda Tribe People

प्रकृति की गोद में बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले लोग अपना विशेष धर्म और संस्कृति रखते हैं। ये लोग टोडा भाषा का प्रयोग करते हैं, जो तमिलनाडु की 18 विभिन्न भाषाओं में से एक है। टोडा जनजाति भैंस पालने वाले आदर्श चरवाहे और प्रथा को मानने वाली होती है। ये जनजाति अपने धर्म, संस्कृति और परम्पराओं के प्रति समर्पित है। नी परम्पराओं का अनुसरण करते हुए समूह में रहना पसंद करते हैं। जीवनयापन के लिए इनका मुख्य कार्य पशुपालन है।

संस्कृति: टोडा जनजाति अपनी संस्कृति को बहुत महत्त्व देती है, जो अपने पौराणिक देवी-देवताओं पर आधारित है। संगीत और नृत्य इनमें खास होता है। इनका धर्म प्रकति पर आधारित है, जिस वजह से ये लोग प्रकृति से बेहद करीबी तरीके से जुड़े हुए हैं।
खान-पान : टोडा जनजाति के लोगों के खानपान में अनाज, फल और मांस प्रमुख होता है। ये लोग चाय और कहवा भी पीते हैं। साथ ही जंगली साग और सब्जियों का सेवन रोजमर्रा के खानपान में शामिल है। मांस और दूध के लिए ये लोग अपने घरेलू जानवरों को पालते हैं।
पहनावा: टोडा जनजाति की महिलाएं और पुरुष एक ढीला-ढाला चोगा जैसा सूती वस्त्र पहनते हैं , जो गर्दन से पैरों तक को ढंक देता है। इसके नीचे धोती जैसा वस्त्र पहना जाता है। हालांकि वहां के आजकल के युवा ने कमीज और कुर्ता पहनना शुरू कर दिया है। अन्धविश्वास के चलते ये जनजाति पहले ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल नहीं करती।

टोडा की पारंपरिक झोपड़ियां

आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है टोडा की पारंपरिक झोपड़ियां। इन्हें बेहद ही खास शैली से बनाया जाता है। इन झोपड़ियों की खिड़की और दरवाजे आमतौर पर अर्ध बैरल आकार में बने होते हैं। इनमें प्रवेश के लिए आपको झुकना पड़ता है लेकिन अंदर जाने के बाद आप इसमें आराम से खड़े हो सकते हैं। बड़े-बड़े घास के मैदानों में बनी ये झोपड़ियां बेहद आकर्षक लगती हैं।

कैसे पहुंचे टोडा गांव?

ऊटी दक्षिण भारत का सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन है। अगर आप ऊटी जा रहे हैं तो टोडा गांव जरूर जाएं। ऊटी से 15 किलोमीटर दूर टोडा गांव पहुंचने के लिए आप किसी भी स्थानीय वाहन को चुन सकते हैं। वहीं अगर आप तमिनाडु से बाहर के रहने वाले हैं तो आपको कोयंम्बटूर एयरपोर्ट पहुंचना होगा। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद जैसे शहरों से कोयंम्बटूर के लिए नियमित फ्लाइट्स होती हैं। कोयंम्बटूर पहुंचने के बाद एयरपोर्ट के बाहर से आपको टैक्सी, कैब या बस मिलती है, जो 3 घंटे में ऊटी पहुंचा देती है।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...