जानिए क्यों टीनएज में पैरेंट्स से दूरी बनाते हैं बच्चे: Teenage Children
Teenage Children

Teenage Children: उम्र के साथ हम सभी में बदलाव होते हैं। ये बदलाव सिर्फ शारीरिक ही नहीं होते हैं, बल्कि स्वभाव में भी काफी फर्क नजर आता है। यह देखने में आता है कि जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उन्हें अपने माता-पिता की सबसे अधिक जरूरत होती है। बच्चे चाहे घर पर हों या फिर बाहर, वे हमेशा ही अपने पैरेंट्स को ढूंढते रहते हैं।

लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगते हैं, तो वे अपने पैरेंट्स से दूरी बनाने लगते हैं। यह देखने में आता है कि टीनएज में बच्चे अपने पैरेंट्स से थोड़ा कटे-कटे रहने लगते हैं। पर्सनल स्पेस के नाम पर वे अपने पैरेंट्स से अपनी बातें छिपाते हैं। अपनी किसी भी चीज में उन्हें पैरेंट्स की दखलअंदाजी अच्छी नहीं लगती है। हो सकता है कि आपका  टीनएज बच्चा भी बार-बार ऐसा कर रहा हो और आपको कुछ समझ में ना आ रहा हो। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि टीनएज में बच्चे अपने पैरेंट्स से दूरी क्यों बनाते हैं-

आजादी की चाहत

Teenage Children
Teenage Children-Habit

टीनएज उम्र का ऐसा पड़ाव है, जहां बच्चों के शरीर में तेजी से बदलाव हो रहे होते हैं। यह वह उम्र होती है, जब बच्चे खुलकर जीना चाहते हैं। वे अपनी पहचान तलाशना चाहते हैं और खुद को एक्सप्लोर करना चाहते हैं। ऐसे में माता-पिता की हिदायत या उनके जीवन के अनुभवों से जुड़ी सलाह उन्हें ना केवल बोरिंग लगती है। बल्कि उन्हें ऐसा लगता है कि माता-पिता उनकी आजादी छीन रहे हैं। इसलिए, वे उनसे दूरी बनाना पसंद करते हैं।

दोस्तों का प्रेशर

टीनएज में दोस्तों का पीयर प्रेशर भी अक्सर बच्चों को पैरेंट्स से दूर करता है। इस उम्र में बच्चे अपने पैरेंट्स से ज्यादा दोस्तों की बात को तवज्जो देते हैं। चूंकि दोस्तों और पैरेंट्स की उम्र में काफी अंतर होता है, इसलिए उनकी सोच भी काफी अलग होती है। ऐसे में बच्चों को यही लगता है कि उनके दोस्त ही सही हैं और जो भी उनके पैरेंट्स कह रहे हैं, वह केवल उनका कंट्रोल करने का तरीका है। इतना ही नहीं, बच्चे अपने दोस्तों के ग्रुप में खुद को फिट करना चाहते हैं, जिसके कारण वे अपने पैरेंट्स से अधिक दोस्तों को महत्व देते हैं और इससे उनकी अपने पैरेंट्स से दूरियां बढ़ती चली जाती हैं।

सोचने का अलग तरीका

Teenager Children Thinking
Teenage Children

उम्र का फासला सोच में भी दूरियां पैदा कर देता है। एक ही बात को पैरेंट्स और बच्चे दोनों ही अलग तरीके से सोच सकते हैं। उनकी सोच के अंतर के कारण उनके बीच कम्युनिकेशन चैलेंजेस भी होते हैं। इस उम्र में अधिकतर टीनएजर्स को यह लगता है कि पैरेंट्स उनकी बात को कभी भी नहीं समझेंगे या फिर वे सिर्फ और सिर्फ अपनी मर्जी ही चलाते हैं। जिसके चलते वे किसी भी तरह की बहस से बचने के लिए अपने पैरेंट्स से दूर रहना ही पसंद करते हैं।