Hindi Poem: कभी आपने यह सोचा कि स्त्री हमेशा सीता
ही क्यों होती है वो कभी बुद्ध की तरह क्यों नहीं बन पाई
अगर बुद्ध की तरह उसने अपने सोते हुए पति और बच्चों को त्याग कर दिया
उन्हें छोड़कर चली गई तो मैं, आप और हमारा समाज
उसके चरित्र का वर्णन
पहले से ही करने लगेगा हम पहले से ही मान लेंगे की हो सकता है
वो अपने प्रेमी के साथ भाग गई होगी, हम यह नहीं सोचेंगे कि
शायद वह बुद्ध की तरह खुद की तलाश में निकली होगी,
दरअसल यही हमारे समाज का दोगलापन हैं कि बुद्ध जब वापस लौटते
हैं तो उनकी पूजा होती है,उपासना होती है, उन्हें भगवान का दर्जा
दिया जाता है
वहीं जब सीता लौटती हैं तो उन पर कलंक
लगते हैं उन्हें अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है और यही वजह हैं कि स्त्री हमेशा सीता
रहती है वो बुद्ध नहीं बन पाती
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