sahanasheelata
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Hindi Story: बसन्ती के बेटे ने जैसे ही घर आकर अपनी मां को बताया कि मिश्रा जी के बेटे ने उसको गालियां निकाली है, वो झट से शिकायत करने उनके घर पहुंच गई। मिश्रा जी ने बसन्ती से पूछा कि थोड़ा शांति से बताओ कि मेरे बेटे ने ऐसी कौन-सी गाली दे दी जो तुम इतना भड़क रही हो? बसन्ती ने कहा कि वो तो मैं आपको नहीं बता सकती। मिश्रा जी ने फिर से पूछा कि क्या बहुत गंदी-गंदी गालियां दी है तुम्हारे बेटे को? बसन्ती ने तपाक् से कहा कि मिश्रा जी आपका दिमाग तो ठीक है, क्या आप इतना भी नहीं जानते कि गालियां हमेशा गंदी ही होती है। आपने क्या कभी अच्छी गालियां भी सुनी है? बसन्ती और उसका बेटा जिस तरह से मिश्रा जी को उल्टे-सीधे जवाब दे रहे थे, उनके दिल-दिमाग का संतुलन भी बिगड़ने लगा था।

सारी उम्र सहनशीलता का पाठ पढ़ने और पढ़ाने वाले मिश्रा जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस औरत को कैसे बोध करवाया जाये कि जब तक सभी तथ्यों को अच्छे से न जान लिया जाये उस समय तक किसी से झगड़ा करना तो दूर उन पर कभी भरोसा भी नहीं करना चाहिए। इतनी छोटी-सी बात पर बसन्ती ने इतना झगड़ा कर दिया कि मिश्रा जी का दिल कर रहा था कि इन लोगों को धक्के मार कर अपने घर से निकाल दे। लेकिन फिर यह सोच कर सहम गये कि यदि मैंने भी इन्हें कुछ उल्टा-सीधा कह दिया तो बसन्ती का पति आ जायेगा। वो तो मेरे से सेहत में बहुत तगड़ा है और उसके आने से नौबत मारपीट तक पहुंच सकती है। इसी के साथ मिश्रा जी मन ही मन यह सोचने लगे कि हर आदमी की सोच उसकी बुद्धि अनुसार अलग-अलग होती है। वैसे भी बच्चों की इस आधी-अधूरी बात को सुन कर आपे से बाहर होने को मैं तो क्या कोई भी व्यक्ति इसे समझदारी नहीं मानेगा। ऐसे माहौल में किसी तरह से खुद को शांत रखते हुए हमें अपनी सहनशक्ति की परीक्षा लेनी चाहिए। इस विचार के मन में आते ही मिश्रा जी ने बात को बदलते हुए बसन्ती से कहा कि आप दुनिया की दूसरी सबसे खूबसूरत औरत हो। बसन्ती तिलमिलाते हुए बोली- ‘वो तो ठीक है, मुझे पहले यह बताओ कि दुनिया की पहली खूबसूरत औरत कौन है? मिश्रा जी ने हंसते हुए कहा कि पहली खूबसूरत औरत भी तुम ही हो, लेकिन वो सिर्फ उस समय जब तुम हंसती और मुस्कराती हो।

मिश्रा जी ने बसन्ती को थोड़ा और समझाने का प्रयास करते हुए कहा कि हर इंसान को हमेशा यह मान कर चलना चलिए कि आप सारी दुनिया को अपनी मर्जी मुताबिक नहीं चला सकते और न ही आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है। जिस प्रकार हम यह सोचते हैं कि हर कोई हमारे कुछ भी बोले बिना सभी कार्य हमारी इच्छानुसार कर दे। इसी तरह हमें यह भी सोचना चाहिए कि हम भी वही सभी काम करे जो दूसरे लोग बिना बोले हम से चाहते हैं। जिस तरह पानी हर जगह अपना रास्ता ढूंढ लेता है, हमें भी सहनशीलता अपनाते हुए खुद को भी अपने स्तर व गरिमा के अनुसार दूसरों से मधुर संबंध बनाए रखने चाहिए। सहनशीलता का महत्त्व इसी बात से समझा जा सकता है कि नदी जब तक शांत भाव से अपने किनारों के बीच बहती रहती है तो दुनिया उसकी पूजा करती है। परंतु जब कोई नदी अपने किनारों को तोड़ कर बाढ़ का रूप धारण कर लेती है तो वही नदी हत्यारी बन जाती है।

सहनशीलता की खूबियों को यदि गौर से देखे तो यही समझ आता है कि सहनशीलता से जहां हमें जीवन में हर चीज बड़ी सुगमता से मिल जाती है वहीं यह हमारे व्यक्तित्व को निखारती है। दूसरों से हर समय अपेक्षा रखने की बजाए खुद अपने आप से अधिक उम्मीद करनी चाहिए क्योंकि दूसरों से जब हमारी उम्मीद पूरी नहीं होती तो हमारे मन को बहुत दुःख होता है। जबकि खुद से उम्मीद करने पर हमें सहनशीलता की प्रेरणा मिलती है। सहनशीलता ही एक मात्र ऐसा अस्त्र है जिससे आप ताकतवर इंसान को भी शिकस्त देने में कामयाब हो सकते हैं।

मिश्रा जी की बात खत्म होने के साथ ही बसन्ती ने कहा कि आज तक हर कोई यह तो जरूर समझाता था कि यदि शांति को पाना है तो धैर्य को समझो, धीरज को समझो। परंतु इतने सब्र से किसी ने भी सहनशीलता को समझाने की हिम्मत नहीं दिखाई। शायद इसलिये जिस चीज को समझने की चाह बरसों से मन में थी, उसे भी ठीक से न तो कोई समझा पाया न ही मैं समझ पाई। जो बात कई किताबी कीड़े भी ठीक से नहीं कह पाते, आपने तो वो भी सादगी से कहते हुए मेरे मन से शंका के सारे कांटे निकाल दिये। अब जो कुछ मेरी तरफ से कहासुनी हुई हो उसके लिये नम्रतापूर्वक आप से क्षमा मांगती हूं। मिश्रा जी ने बसन्ती को इस बात का तर्क देते हुए कहा कि सिर्फ कोरी बातें करने से कुछ नहीं होता, किसी को कुछ भी समझाने से पहले उसे जीवन में अपनाना पड़ता है तभी आप किसी दूसरे की दिशा को बदल सकते हैं।

मिश्रा जी द्वारा सहनशीलता के गुणों के बखान से प्रभावित होकर जौली अंकल को यह स्वीकार करने में कोई संदेह नहीं है कि जैसे चमक के बिना हीरे-मोतियों की कोई कद्र नहीं होती, ठीक इसी प्रकार सदाचार और सहनशीलता के बिना मनुष्य किसी काम का नहीं होता। सहनशीलता ही हमारे मन को शीतलता देने के साथ संतुष्टता एवं खुशी देती है। सहनशीलता के इन्हीं गुणों से ही हमारा स्वभाव सरल बनने के साथ दूसरों को स्वतः हमारी ओर आकर्षित करते हैं। अंत में तो इतना ही कहा जा सकता है कि जैसे क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने से घर-घर में जुनून व ऊर्जा पैदा हुई है, यदि ऐसे ही सहनशीलता जैसे बहुमूल्य और दुर्लभ गुण को हर देशवासी अपना ले तो हमारे घर-संसार से लेकर सारा देश सुंदर और खूबसूरत बन जायेगा। खाली बर्तन सबसे अधिक आवाज़ करते हैं। जीवन में आगे बढ़ना है तो अहंकार और चापलूसी जैसी भावना को मन से मिटाना होगा।

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Kahaniyan Jo Raah Dikhaye : (कहानियां जो राह दिखाएं)