Hindi Poem: श्रृंगार जो औरत का गहना है,हर वक्त हर पल पहना है.जिंदगी के भागमभाग में व्यस्त हो जाएचुटकी भर सिंदूर कभी न लगाना भूल पाए,वो बाबूजी के लिए पराठा,वो अम्मा जी के चने का साग,पति के लिए परवल की सब्जी,बच्चों की वो प्यारी मैगी..भले दो कौर ही वो खुद खाए,चुनरी साड़ी तीज उसे जां […]
Author Archives: उमा पुपुन
मां पापा होते तो ये पर्व उदास न होती-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: हृदय रो पड़ता है विशेष त्योहारों पर,आर्शीवाद का कोई फोन नहीं आता तीज त्योहारों पर,हमारी मायके की आस न टूट रही होतीमां पापा होते तो ये पर्व उदास न होती..जब आता तीज का पावन पर्व,गुलाबी साड़ी मोतियों वाली मां ने चूड़ी सिंदूर संग भिजवाई होती..पहनती जब तीज के दिन वो साड़ी,मां पापा का […]
अनोखा रिश्ता-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Stories in Hindi : अरे, तुलसी बेटा ,चल,देर हो जाएगी.. आज स्कूल में तुम्हारा पहला दिन है .. कहकर सोहन अपने रिक्शे को साफ करने लगा…आई बाबा,कहकर तुलसी दौड़ते भागते आई। स्कूल ड्रेस में,गौर वर्ण और घुंघराले बालों में तुलसी को देख सोहन निहारता रह गया ।आज तुलसी की छवि में उसे अपनी पत्नी विमला […]
