बच्चों के साथ रिश्ते को गहरा करने के 5 प्रभावी तरीके: Relationships with Children
Relationships with Children

Relationships with Children: “जब तुम मां-बाप बनोगे तब तुम्हें पता चलेगा कि मां-बाप होते क्या हैं”, यह डायलॉग कभी न कभी हमें अपने माता-पिता से सुनने को मिल ही जाता है। सच बात है कि मां-बाप क्या होते हैं, ये एहसास मां-बाप बनने के बाद ही होता है। कई बार वो अपने बच्चे के शौक को पूरा करने के लिए अपनी जरुरतों को भी खत्म कर देते हैं। हर दौर में मां-बाप ने अपने बच्चों को प्यार और सहयोग दिया है। लेकिन आज की इस भागदौड़ की जिंदगी में रिश्ते भी कांच की तरह हो गए हैं। बड़े होते बच्चों के पास मां-बाप के लिए समय नहीं है तो कई बार मां-बाप भी अपने बच्चों को वो समय नहीं दे पाते जिसकी उन्हें जरुरत है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ प्रभावी तरीके लेकर आए हैं जिससे आपका और आपके बच्चे का रिश्ता गहरा होगा।

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1) बेहतर श्रोता बनें

बच्चे की और आपकी दुनिया बिल्कुल अलग है। इस उम्र में बच्चे अपने दोस्तों और स्कूल में व्यस्त रहते है वहीं आप ऑफिस और घर के बीच में उलझे रहते हैं। लेकिन आपकी बातचीत बच्चे और आपकी दुनिया को जोड़ती है। आप कोशिश करें कि दिन का कोई एक समय तो जरुर हो जब आप अपने बच्चों के साथ बातें करें। आपको पता है कि बातें करना बहुत जरुरी होता है। इससे आपको उससे अलग से कुछ पूछना नहीं पड़ेगा। बच्चा आपको हर वो बात बताना चाहेगा जो उसे अच्छी या बुरी लगे। लेकिन जब बच्चा आपसे बात कर रहा हो तो उस दौरान आपके हाथ में मोबाइल फोन नहीं होना चाहिए। उसकी आंखों में आंखें डालें। उसके हर एक एक्सप्रेशन को नोट करें। वहीं एक भाषा खामोशी की भी होती है उसे भी सुनने और समझने की कोशिश करें।

2) माफी मांग लीजिए

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Relationships with Children-Apologize

हम अपने बच्चों को शिष्टाचार के पहले पाठ में माफ़ी मांगना और धन्यवाद करना सिखाते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है कि अगर आपने कोई गलती कर दी है तो क्या आप उन्हें सॉरी बोलते हैं? दरअसल, हम कई बार पेरेंटिंग के दौरान ही गलती करते हैं। हम कई बार अपने किसी भी व्यवहार की वजह से सॉरी फील तो करते हैं लेकिन इसका इजहार अपने बड़े होने की वजह से नहीं कर पाते। बच्चे छोटे हैं और अगर आप सिर्फ सॉरी कह रहे हैं तो आपका बस सॉरी बोल देना ही उनके लिए काफी है लेकिन अगर आपके बच्चे बड़े हो रहे हैं तो सॉरी के साथ अपनी गलती को भी स्वीकार करें। याद रखें कि हमने बचपन से सीखा है कि माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता तो फिर बच्चों से माफ़ी मांगने में हिचकिचाहट क्यों।

3) कुछ रचनात्मक करें

बच्चों को जब स्कूल से प्रोजेक्ट मिलते हैं वो जाहिर सी बात है कि वो अपने आप पूरे नहीं कर सकते। अक्सर पेरेंट्स उन्हें पूरा करवाते हैं। यह प्रोजेक्ट बच्चों और पेरेंट्स के बीच में बॉन्ड बैठाने का भी एक अच्छा सोर्स हैं। कुछ इसी तरह का प्रोजेक्ट आप अपने आप तैयार करें। जैसे कि बच्चों के साथ मिलकर कोई फैमिली स्टोरी बनाएं या फिर सॉन्ग। आप याद रखें कि यह बनकर आएगा तक जो आपको एक अलग मजा आएगा लेकिन इसका प्रोसेस भी आपके रिश्ते को गहरा करने के लिए काफी है।

4) उनकी उम्र का सम्मान करें

चिंकू, मीठी, चिक्की, टुकटुक यह कुछ ऐसे निकनेम हैं जो अक्सर पेरेंट्स बच्चों के प्यार में रख देते हैं। लेकिन अगर आपके बच्चों के दोस्त घर पर आए तो उन्हें उनके निकनेस से नहीं बल्कि उनके नाम से संबोधित करें। आप भी सोचें आपके कलीग्स के सामने आपको कोई मुन्ना बुलाए तो आपको कैसा लगेगा? बच्चों के दोस्तों के सामने उनका सम्मान करें। ऐसी कोई भी बात उनके दोस्तों के सामने न करें जो बाद में उनकी टांग खिंचाई का कारण बने। बच्चों की जो उम्र है उस हिसाब से उनके साथ व्यवहार करें। जिन फैमिली मैटर में बच्चों को शामिल कर सकते हैं उसमें उनकी राय लें। अगर कोई मेहमान आने वाला है तो उनके साथ मैन्यू प्लान करें। जब आप उन्हें शामिल रखेंगे तो वह आपके साथ अपने बॉन्ड को स्ट्रॉन्ग करते जाएंगे।

4) छोटे-छोटे पलों को करें सेलिब्रेशन

जिंदगी में खुश रहने के लिए छोटी-छोटी खुशियों का सेलिब्रेट होना जरुरी है। आप बच्चों के छोटे-छोटे अचीवमेंट को सेलिब्रेट करें। उनका कोई छोटा सा टेस्ट है उसमें उन्हें टेंशन है कि वो परफॉर्म करेंगे या नहीं लेकिन उसके बावजूद वो अच्छा स्कोर कर गए। आप उसे सेलिब्रेट करें। अगर वह स्पोर्ट्स में कुछ जीतकर आ रहे हैं आप उस मोमेंट को मनाकर उन्हें खाएस होने का अहसास दिलाएं। हर इंसान चाहता है कि उसे प्रशंसा मिले और जब पेरेंट्स बच्चे को यह अहसास करवा पाने में सफल होते हैं कि वो उनके जीवन का एक सितारा है तो वहीं रिश्ते में विश्वास ओर गहराई दोनों बढ़ जाते हैं।