Relation with Kid: पेरेंटिंग इज ऐन आर्ट, जो आज की तारीख में हर मां बाप के लिये एक जरूरी ट्रेट बन चुकी है। आज के समय में सभी को परवरिश के फ्रेंडली गुर सीखने की खास जरूरत है। अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने के लिए मां बाप क्या कुछ नहीं करते? पर कई बार इस सब के बाद भी पेरेंट्स और बच्चों के बीच अक्सर बहसबाजी और झगड़े होते हैं। यूं तो कहा जाता है कि पेरेंट्स और बच्चों के बीच दोस्तों वाला रिश्ता होना चाहिए, पर कहीं न कहीं कभी कभी जेनरेशन गैप की वजह से यह पॉसिबल नही होता। फ्रैंक पेरेंट्स जहां हर बच्चे की पहली चाहत होते हैं, वहीं अक्सर ऐसा अनुभव किया जाता है की कभी कम्युनिकेशन गैप तो कभी जेनरेशन गैप के कारण बच्चों और अभिभावकों के बीच तनाव देखा जाता है। ऐसे सिचुएशन में मां बाप अपने बच्चो के साथ रिश्ते को कैसे दुरुस्त कर सकते हैं, आइए जानते हैं। इस आर्टिकल में आप जानेंगे की अच्छी पेरेंटिंग के तहत कैसे मां बाप अपने बच्चों से मधुर रिश्ते स्थापित कर सकते हैं। इस आर्टिकल में खाए तौर पर जानिए कि कैसे आप अपने बच्चों के साथ मधुर रिश्ते बनाते हुए, बहसबाजी को टाटा बाय बाय कर सकते हैं।
एक्टिव लिस्टनर

अगर आप अच्छे मां बाप बनना चाहते हैं तो आपको सिर्फ अपनी बात कहने की जगह सुनने की भी आदत डालनी होगी। किसी भी कीमत पर आप अपने बच्चों की बात कांटे नहीं, बल्कि उनकी बातों को अच्छे से सुने। एक्टिव लिसनर बनते ही आपकी आधी समस्या का हल हो जाएगा। बच्चों को सुनने की आदत से आप उनको बेहतर रूप से समझ पायेंगे। अपने बच्चों की बातें सुनकर उन्हें समझने की कोशिश करें तथा उसी के बाद अपना प्वाइंट ऑफ व्यू व्यक्त करें।
मां बाप से पहले दोस्त बने

अगर आप वाकई अच्छे मां बाप बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको मां बाप की जगह अपने बच्चों का दोस्त बनना होगा। बता दें आज की तारीख में एक तरफ जहां जेनरेशन गैप की वजह से बच्चे अपने मां बाप से कनेक्ट नही कर पाते, वहीं आपके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों को समझ कर उनके हिसाब से अपने आप को बदलें और जेनरेशन गैप को दूर करें। अगर आप अपने बच्चों के अच्छे दोस्त बन जाते हैं, तो आधा काम यहीं आसान हो जाएगा।
जरूरी है गुस्से को गुडबाय

कई बार बच्चे नादानी में कभी छोटी तो कभी बड़ी गलती करते हैं, ऐसे में उनको सबक सिखाना बहुत जरूरी है। पर याद रखें कि सबक सिखाते वक्त आपको अपनी भाषा और अपने गुस्से को कंट्रोल करना होगा। कहीं आपका गुस्सा आपके सबक की ऐसी तैसी ना कर दे। ध्यान रखें कि अगर आपका बच्चा कोई भी गलती करता है, तो बहुत प्यार भरे लहजे से उसे सब कुछ समझाने की कोशिश करें। कहीं ऐसा ना हो कि आपके हाथ या जुबान पर कंट्रोल ना रहने पर, आपका गुस्सा सब कुछ बिगाड़ ना दे। अपने बच्चों से बातचीत करते वक्त अपने गुस्से को थूक दें और उन्हें हर बात प्यार से समझाने की कोशिश करें।
बच्चों पर कुछ भी थोपे नहीं

उम्र में अधिक होने के कारण कई बार आप ऐसा अनुभव करते होंगे कि आपके बच्चे किसी गलत राह पर जा रहे हैं, और उन्हें आपके मार्गदर्शन की जरूरत है। ऐसे में आप अपने बच्चों को प्यार से समझाने की कोशिश करें। अगर वो आपकी बात नहीं मानते तो उन पर अपना डिसीजन थोपने की जगह प्रयास करें कि अपनी गलती से वे खुद सीखें। इससे आपके बच्चे सेल्फ डिपेंडेंट बनेंगे। कई पेरेंट्स अपनी राय थोप थोप कर अपने बच्चों का अस्तित्व खत्म कर देते हैं वहीं कई पेरेंट्स अपनी राय ना देखकर बच्चों के भविष्य को खतरे में डाल देते हैं। ऐसे में अपनी सूझ बूझ से निर्णय लें। कुछ पेरेंट्स अपने सपने और अपनी पसंद के करियर भी बच्चों पर थोप देते हैं, इस आदत से भी बचें।
वॉयलेंट ना हों

कई बार यह देखा गया है कि कुछ मां बाप अपने बच्चों को सुधारने की आड़ में उन पर हाथ उठा देते हैं। बच्चों के साथ किया जाने वाला यह वायलेंट बिहेवियर सरासर गलत है। अगर आप अपने बच्चों के साथ मारपीट करेंगे तो इससे आपके बच्चों के मन में आपके प्रति एक भयंकर डर बैठ जाएगा, जो काफी हद तक समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है। बच्चों की उम्र बेहद नाजुक होती है, ऐसे में मारपीट उन पर एक नेगेटिव और काफी गहरा प्रभाव छोड़ सकती है। याद रहे, अपने बच्चों के साथ वायलेंट होने आपकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है, क्योंकि मारपीट से आपके बच्चे के मन में एक अजीब और अलग सा डर बैठ जाएगा। वॉयलेंस से समस्या बढ़ती है, इसलिए वॉयलेंस से बचें। वॉयलेंस के बजाए अपने बच्चे को प्यार से समझाने की कोशिश करें।
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वर्क प्लेस की भड़ास न निकालें

कभी कभी मां बाप के ऑफिस से लौटने के बाद बच्चे ओवर एक्साइटेड हो जाते हैं और अपने पेरेंट्स के साथ वक्त बिताना चाहते हैं। ऐसे में कभी कभी पेरेंट्स अपनी वर्क प्लेस की इरिटेशन की वजह से अपने ही बच्चों पर चिल्ला पड़ते हैं। आपको इस आदत से बचना होगा। किसी भी कीमत पर अपने वर्कप्लेस की भड़ास अपने बच्चों पर ना निकालें। अगर आप अपने काम को लेकर स्ट्रेस्ड हैं, तो प्यार से अपने बच्चों को समझाएं कि आप थोड़ी देर बाद उनसे बात करेंगे। बच्चे प्यार की भाषा को आसानी से समझते हैं। इसलिए एंग्री मैन रहने की बजाय कूल रहने की कोशिश करें।
हर बात पे ना करें कंपेयर

हर किसी का अपना एक बोलने और रहने का लहजा होता है। ऐसे में किसी को क्रिकेट पसंद होता है तो किसी को मैथमेटिक्स। इस सिचुएशन में ध्यान दें कि अपने बच्चे को किसी से भी कंपेयर ना करें। ना ही उसके अन्य भाई बहनों से ना ही उसके दोस्तों से। ऐसे में संभव है कि आपका बच्चा इनफिरियर फील करे, या फिर उसके मन में अन्य लोगों के प्रति नफरत भर जाए। कंपेरिजन की इस फालतू आदत से बचें। हर बच्चा अपने आप में अलग होता है, अपने बच्चे की इंडिविजुअलिटी को पहचाने तथा उसके टेस्ट के अनुसार उसे अपना करियर चुनने दें। शायद इस टिप से आपका बच्चा ही आपका मुरीद हो जाए।
