Parents Discriminate Between Children: ‘मम्मी आपने तो हमेशा ही बड़े भईया को हम सभी पर तरजीह दी।’, ‘हां भई आपकी राजकुमारी के अलावा तो कोई और सही हो भी नहीं सकता।’, ‘इसको तो हमेशा छोटे होने का फायदा मिलता आया है।’ ‘आप दोनों को कैसे मैनेज करना है इसे सब आता है।’, यह वो डायलॉग है जो अक्सर ही बच्चे अपने मां-बाप से कहते आए हैं। ‘कभी मजाक में’, ‘कभी शिकायत में’, ‘कभी रोकर’ तो ‘कभी हंसकर’, बड़े होने के बाद भी कई बार बच्चे अपने मां- बाप के साथ इन जज्बातों का बयां कर ही देते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में मां-बाप बच्चों के बीच भेदभाव करते हैं या बच्चों को सिर्फ ऐसा लगता है। आखिर क्यों होती हैं यह शिकायतें इसकी वजह को जानने की कोशिश करते हैं।
कुछ बच्चे स्मार्ट होते हैं

ऐसा अक्सर जॉइंट फैमिली वाले बच्चों के साथ होता है। वहां पर जब बहुत सारे कजिंस साथ पलते हैं तो उन्हें सवाईल ऑफ द फिटेस्ट का समीकरण पता चल जाता है। ऐसे बच्चे बहुत स्मार्ट प्ले करते हैं। जैसा कि झगड़ा होने पर जोर-जोर से रोने लगना, अपने काम का नंबर आने पर निकल जाना और बड़ों के सामने अपनी बात को बेहतर तरीके से दो-चार बातें लगाकर बताना। यह बच्चे बड़ों से जूझने का हुनर बखूबी जानते हैं ऐसे में दूसरे बच्चों को लगता है कि यह बड़ों के फेवरेट हैं लेकिन इनकी गेम प्लानिंग को समझना बड़े बड़ों के बस की बात नहीं होते। यह पेरेंट्स के फेवरेट हैं या नहीं इसका भेद तो यही जानते हैं।
किसी बच्चे का बीमार होना
बहुत बार ऐसा होता है कि पेरेंट्स का एक सॉफ्ट कॉनर्र अपने उस बच्चे के साथ होता जो शारीरिक रूप से थोड़ा कमजोर होता है। ऐसे में मां-बाप के उसके आस-पास के दूसरे लोगों के मन भी उसके लिए एक इमोशनल सपोर्ट ज्यादा विकसित होता है। जैसा कि कोई बच्चा बहुत समय तक अस्पताल में भर्ती रहा हो। या बचपन में उसकी कोई सर्जरी हुई हो। या फिर वह बार-बार बीमार पड़ता हो। इस बच्चे को थोड़ी ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है। लेकिन इन बच्चों के साथ एक बात होती है कि इनके भाई बहन भी इनसे एक हमदर्दी रखते हैं। स्पेशल बच्चों के केस में देख लें उनके तो छोटे हों या बड़े भाई-बहन भी मां-बाप ही बन जाते हैं।
बहुत भोले बच्चे

खैर आज के जमाने में ऐसे बच्चे पैदा होने बंद हो चुके हैं लेकिन कुछ अपवाद आज भी आपको दिख ही जाएंगे। अगर बच्चा जरुरत से ज्यादा सीधा होता है तो मां-बाप उसका सपोर्ट सिस्टम बनकर खड़े होते हैं। बड़े होने के बाद भी ऐसे बच्चों का कंसर्न अपने पेरेंट्स की तरफ बहुत होता है। बात सिर्फ पेरेंट्स की नहीं है अक्सर यह लोग अपने भोलेपन की वजह से अपने दोस्तों और दूसरे लोगों के फेवरेट होते हैं। लोगों को इनकी मासूमियत बहुत अच्छी लगती है।
इकलौते और छोटे
बहुत बार ऐसा होता है कि तीन पीढ़ियों के बाद कोई लड़की आई होती है तो वह घर की क्या पूरे खानदान की लाड़ली बन जाती है। या ऐसा भी होता है कि भाई बहनों के बीच में गैप ज्यादा होता है। ऐसे में जब छोटा बच्चा बहुत दिन बाद आता है तो उसकी नटखट अदाएं सभी का मन मोह लेती है। लेकिन हां अगर उसके बाद कोई और छोटा नहीं आता तो वह ताजिंदगी ऐसे ही लड्डू बना रहता है। इन दोनों ही मामले में इनके बहन- भाईयों को इस बात को लेकर शिकायतें होती हैं।
तो क्या इसका हल है?
अगर यह बात बच्चों के बीच में छोटे-मोटे हंसी-मजाक तक है तो ठीक है। लेकिन अगर बड़े होते बच्चों के बीच में कुछ कड़वाहट आ रही है तो पेरेंट्स होने के नाते यह समय आपके अवेयर होने का है। आप दोनों ही बच्चों को समय-समय पर ही इस बात का अहसास दिला सकते हैं कि आप सभी उनके फेवरेट हैं। लेकिन अगर आपका एक बच्चा बहुत खींझा हुआ और तनाव में रहने लगे तो इस समस्या का हल करना आपका फर्ज है। आपको इस बात को समझना होगा कि एक दिन आपके बच्चे आप दोनों के बिना अकेले इस दुनिया में रहेंगे। आपकी किसी भी किस्म की लापरवाही की वजह से अगर उन्हें भेदभाव का अहसास हो रहा है तो इस बात को बड़ा मत होने दें। यही छोटी चीजें आगे चलकर बहुत कड़वाहट की वजह बन जाती हैं। बच्चों को इतनी आजादी तो मिलनी चाहिए न कि वो आपसे शिकायत कर सकें।
