फ्रैडा झील से निकलकर डैक पर पहुंची। उसके सुन्दर शरीर से पानी की बूंदें रिस रही थीं। अपने कपड़े उठाकर वह लिविंग रूम में चली गई। जौनी डैक पर बैठा फ्रैडा को लिविंग रूम में जाते देखता रहा।
सूरज डूब रहा था। घंटे-भर के पश्चात् स्काट भी लौट आएगा।
जौनी फ्रैडा के विषय में सोच रहा था।
इसका मतलब तुम्हें लालच नहीं आएगा –
दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1
तुम्हारा क्या विचार है इस बारे में।
और इसके बाद भय और आश्चर्य के कारण वह कपड़े उतारकर पानी में कूद पड़ी थी।
स्पष्ट था कि यदि वह विश्वासघात करना चाहती तो हर्गिज भी उसका व्यवहार ऐसा नहीं होना था।
कपड़े पहनकर वह पुनः उसके पास नीचे ही आ बैठी और गंभीरतापूर्वक बोली – ‘मेरे विचार में हमें स्पष्ट बातें कर लेनी चाहिए जौनी। क्या तुम भी सोचते हो कि तुम्हारा ठहरना मेरे और एड के लिए खतरनाक है?’
वह पहले तो हिचकिचाया, फिर सहमति दे दी।
‘हां – मैं कल एड के साथ रिचविले चला जाऊंगा – और तुम लोग भी मुझे भुला ही दो तो बेहतर रहेगा।’
फ्रैडा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया। बोली – ‘मैं तुम्हें नहीं भुला सकती। मुझे तुमसे प्यार हो गया है।’
‘महसूस तो मैं भी यही करता हूं, मगर मेरा चले जाना ही ठीक होगा।’
‘क्या तुम मुझे साफ-साफ नहीं बता सकते?’ उसकी पतली उंगलियां जौनी की कलाई को सहला रही थीं, किस चक्कर में फंसे हुए हो?’
फ्रैडा का सुखद स्पर्श उसकी सतर्कता पर हावी हो गया। झील के उस शांत जल को घूरते हुए उसने खामोशी के साथ अब तक घटी सारी घटनाएं कह सुनाईं, मगर यह नहीं बताया कि थैलों में भरी रकम कितनी थी?’
‘मैंने सारा धन ईस्ट सिटी में छिपा रखा है। यदि मैडल का घपला बीच में नहीं होता तो कोई दिक्कत नहीं होनी थी। मैं वहीं रहता। मसीनो मुझ पर शक नहीं कर सकता था। अंत में एक दिन उस रकम को निकालकर मैं अपने सपने को साकार करने के लिए यहां से कूच कर देता।’
‘क्या वह बहुत बड़ी धनराशि है?’ फ्रैडा ने पूछा।
जौनी ने उसकी ओर देखा। उसका चेहरा भावहीन था और निगाहें कहीं और देख रही थीं।
‘हां काफी है।’
‘वह रकम तुम्हें प्राप्त हो गई तो क्या तुम मुझे भी यहां से निकाल ले जाओगे?’
‘हां।’
‘क्या तुम मुझे और नाव के बीच एक को चुनना पसन्द करोगे। क्या तुम मेरी खातिर अपनी महत्त्वाकांक्षा, अपने सपने का त्याग कर दोगे?’
वह क्षण-भर को भी नहीं हिचकिचाया – ‘नहीं यदि तुमने मेरे सपने के साकार होने में कोई बाधा उत्पन्न की तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा। अपनी एकमात्र इच्छा के लिए ही तो मैंने जान की बाजी लगाई है। वह मेरे लिए सर्वोपरि है।’
फ्रैडा ने सहमति सूचक सिर हिलाया।
‘तुम्हारी स्पष्टवादिता मुझे बेहद पसन्द आई है। तुम वास्तव में ही सम्पूर्ण पुरुष हो। मैं तुम्हारे साथ रहूंगी और तुम्हारी महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति में तुम्हें अपना पूरा सहयोग दूंगी।’
‘अगर उन लोगों ने मुझे यहां ढूंढ लिया तो वे तुम्हें भी जान से मार डालेंगे।’
‘यदि मैं तुम्हारे साथ उस दौलत में हिस्सा बंटाना चाहती हूं तो रिस्क तो मुझे भी उठाना ही पड़ेगा जौनी। ठीक है न?’
‘अच्छी तरह सोच लो। कल इस विषय में हम फिर बातें करेंगे – क्योंकि अभी तो मुझे वह रकम प्राप्त करनी है।’
‘तुमने उसे छुपाया कहां है?’
जौनी मुस्कराया। बोला – ‘ऐसी जगह, जहां का उन्हें सपने में भी ख्याल नहीं आ सकता।’
‘उसे निकालने के लिए वापस जाने में कोई खतरा तो नहीं है?’
‘इससे ज्यादा खतरनाक काम दुनिया में और कोई नहीं है।’
‘लेकिन तुम्हारे स्थान पर मैं भी तो उसे निकालकर ला सकती हूं, क्योंकि वे लोग मुझे बिल्कुल नहीं जानते।’
जौनी के मस्तिष्क में सतर्कता की बिजली-सी कौंध गई। मान लो वह उसे रकम छुपी होने का स्थान बता दे और उसे लॉकर की चाबी भी दे दे तथा वह किराये की कार में ईस्ट सिटी जाकर उन थैलों को निकालकर कार में लाद ले, तो संभव है जीवन-भर वह उसे तलाश ही करता रहेगा। नहीं, इतनी बड़ी रकम का किसी पर भी आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता। उसने प्यार का उस पर विश्वास तो अवश्य जमा दिया है, किन्तु नोटों से भरे थैलों के हाथ आते ही क्या वह अपने लालच पर काबू कर सकेगी।
जौनी को फ्रैडा के शब्द याद आ गये देखने में तुम चोर जैसे लगते हो। नहीं, वह उसके अनुरूप कदापि नहीं था। वह उससे चौदह साल बड़ा था। इतनी बड़ी रकम हाथ आ जाने के बाद उस जैसी सुन्दर औरत को किसी बयालीस वर्षीय मोटे-ठिगने आदमी में क्या दिलचस्पी रह जाएगी। वह तो अपना मनपसन्द साथी चुनकर ऐश की जिन्दगी गुजार सकती थी।
निकट आते ट्रक की आवाज ने उसे जवाब देने की जहमत से बचा लिया। बोला – ‘एड आ गया है, अब हम कल बात करेंगे।’
‘हां तुम ठीक कहते हो।’ वह उठी और तेजी से किचन में चली गई।
स्काट ने स्वीमिंग की। जौनी द्वारा पकड़े सास की प्रशंसा की और डैक पर बैठे जौनी के निकट आ बैठा। फ्रैडा रसोई में काम करती रही।
‘कैसा गुजरा दिन आज का?’ स्काट ने सिगरेट जलाते हुए पूछा।
‘बहुत अच्छा। और तुम्हारा?’
‘वही, रोज की तरह!’ सिगरेट की राख पानी में झाड़कर स्काट बोला, ‘अच्छा ये बताओ – क्या वह तैयार हो गई थी?’
जौनी के शरीर में तनाव-सा उत्पन्न हो गया।
‘क्या कहा?’
‘क्या तुम्हें उसका शारीरिक संसर्ग प्राप्त हो गया था?’
‘देखो एड – इस प्रकार की बातें मत करो। वह तुम्हारी पत्नी है। तुम्हें उसकी इज्जत करनी चाहिए।’
वह धूर्ततापूर्वक मुस्कराया फिर बोला – ‘मेरा दावा है कि फ्रैडा मुझसे निराश हो चुकी है और अपनी इच्छापूर्ति की फिक्र में वह दिन-रात वासना की आग में झुलसती रहती है।’
‘फिर तुम उसकी इच्छा पूरी क्यों नहीं कर डालते?’ जौनी ने गुस्से पर काबू पाने का असफल प्रयास करते हुए पूछा।
‘क्योंकि वह मेरे तौर-तरीके को पसन्द नहीं करती।’
जौनी को इस आदमी से अपार घृणा हो आई। वह उठकर खड़ा हो गया। तभी फ्रैडा डैक पर आ पहुंची।
‘खाना तैयार है।’ वह बोली।
तीनों डिनर के लिए उठ खड़े हुए।
जब डिनर लगभग समाप्त हो चला था तो अनायास ही स्काट पूछ बैठा –
‘क्या तुम्हारा कोई छोटा भाई भी है जौनी?’
जौनी तुरन्त सचेत हो गया।
‘भाई तो क्या, इस दुनिया में मेरा कोई रिश्तेदार तक भी नहीं है।’
‘मैंने यूं ही पूछ लिया था’ स्काट प्लेटें खिसकाकर बोला – ‘रिचविले टाइम्स में आज मैंने एक अजीब-सा विज्ञापन देखा था। वह अभी भी मेरी जैकेट की जेब में रखा है।’
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कुर्सी से उठकर वह अपनी जैकेट के पास पहुंचा और उसकी जेब से एक मुड़ा हुआ कागज निकाल लाया।
जौनी और फ्रैडा निगाहों ही निगाहों में बातें कर चुके थे।
स्काट ने अखबार जौनी के सामने फैलाकर पूछा – ‘दस हजार डॉलर के इस इनाम के बारे में क्या विचार है तुम्हारा?’
जौनी ने विज्ञापन पढ़ने का बहाना करते हुए जेब से सिगरेट निकाली।
‘बात दिलचस्प है।’ स्काट कहे जा रहा था – मुझे अभी-अभी अचानक महसूस हुआ कि तुम्हारी शक्ल इस फोटो से मिलती-जुलती है, अतः मैंने सोचा, यह तुम्हारे छोटे भाई की फोटो होगी।’
‘मेरा कोई भाई नहीं है।’ जौनी ने उत्तर दिया।
स्काट ने पेपर फ्रैडा की ओर बढ़ा दिया।
‘क्या तुम्हारी राय में भी फोटो वाले की शक्ल जौनी से नहीं मिलती?’
फ्रैडा ने फोटो पर नजर डाली।
‘समानता तो हो सकती है।’ सामान्य ढंग से वह बोली, ‘मगर मैं इसे जौनी की तस्वीर मानने को तैयार नहीं हूं।’ वह खड़ी हो गई और प्लेटें समेटकर किचिन में चली गई।
‘तुम्हारी राय में ऐसे आदमी के लिए इनाम घोषित करने की क्या तुक हो सकती है, जो अपनी याददाश्त ही खो बैठा हो?’ स्काट बोला।
‘उसके मां-बाप, बहुत ज्यादा अमीर होंगे और अपने लाड़ले पुत्र को खोजना चाहते होंगे।’
‘अमीर मां-बाप की औलाद तो यही नहीं लगता।’
जौनी खामोश रहा।
‘ओह दस हजार डॉलर’ चेहरे पर चमक लिए स्काट कहता रहा – ‘अगर मुझे यह रकम मिल जाए तो तीन ट्रक और खरीद लूं, फिर तो मैं वास्तव में बिजनेसमैन हो जाऊंगा। ड्राइवर तो आसानी से मिल जाएंगे। ट्रक खरीदने के लिए धन मिलना ही एक कठिन समस्या है।’
‘क्या तुमने बगैर नये ट्रक खरीदे अपनी आमदनी को दोगुना करने के बारे में भी सोचा है कभी?’ जौनी उसका ध्यान विज्ञापन से हटाने को बेचैन था।

‘ऐसा कैसे हो सकता है?’
‘बताता हूं – तुम श्रिम्पस की पेटियां लादकर रिचविले ले जाते हो।’
‘हां – फिर?’
‘मगर उधर से खाली लौटते हो। क्या तुम रिचविले से न्यू साइमारा तक के लिए सामान लादकर नहीं ला सकते?’
‘तुम समझते हो मैंने इस पर पहले नहीं सोचा है-’ स्काट ने कड़वे स्वर में कहा – ‘तुम जरा बाहर ट्रक को सूंघो तो मछली की दुर्गन्ध से तुम्हारा सिर फटने लगा। इतने बदबूदार ट्रक को कोई भला आदमी अपने किसी सामान के लिए क्यों पसन्द करेगा।’
‘मेरा तो यही विचार था।’ जौनी खड़ा होकर बोला – ‘लगता है सोने का वक्त हो गया, अच्छा फिर मिलेंगे।’
स्काट ने सहमति में सिर हिला दिया।
जौनी चला गया। स्काट अभी भी विज्ञापन को घूरे जा रहा था।
दौलत आई मौत लाई भाग-20 दिनांक 07 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

