क्या वक्त हुआ है।’ जौनी को फ्रैडा की उनींदी-सी आवाज सुनाई दी।
जौनी ने अपनी कलाई ऊपर उठाई। तीन बजने वाले थे।
‘ओह! तीन बजने वाले हैं – मुझे गांव जाना चाहिए।’ वह झटपट पलंग से उतरी और जौनी को देखने लगी।
जौनी ने उसके बदन को ललचाई नजरों से देखा और हाथ बढ़ाकर उसे अपनी ओर खींचना चाहा, मगर वह पीछे हट गई और उसकी पकड़ से दूर जाकर खड़ी हो गई।
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‘क्या तुम भी मेरे साथ चलना चाहते हो?’
जौनी की इच्छा तो हुई, मगर सुरक्षा की दृष्टि से इंकार करते हुए वह बोला – ‘मैं यही रहूंगा परन्तु तुम लेने क्या जा रही हो?’
‘डाक देखूंगी, शायद कोई पत्र आया हो फिर एड के लिए न्यूज पेपर भी खरीदना है।’
जौनी ने सिगरेट जला ली और धीरे-धीरे उसके कश लेने लगा। कुछ देर फ्रैडा के शरीर से मिले शारीरिक सुख को याद करते हुए वह उठा और स्वीमिंग के लिए झील में कूद गया।
फ्रैडा साढ़े चार बजे वापस लौटी । स्वीमिंग से निबटकर कपड़े पहन चुकने के बाद जौनी डैक पर आ बैठा था।
‘तुम अखबार देखो।’ पेपर उसे थमाकर वह बोली – ‘मैं खाना तैयार करती हूं तब तक।’
न्यूज पेपर पढ़ने में जौनी को आरंभ से ही कोई दिलचस्पी नहीं थी। अखबार में वह सिर्फ स्पोर्ट कालम ही पढ़ना पसन्द करता था अतः उसने अनमने से भाव से अखबार उठाया और यूं ही उसके पेज उलटने-पलटने लगा। सहसा उसकी नजरें अखबार में छपे एक विज्ञापन पर जा टिकीं। उसने पढ़ना आरंभ किया।
क्या तुमने इस आदमी को देखा है?
इनाम दस हजार डॉलर।
अपने फोटो पर निगाह पड़ते ही उसके सारे जिस्म में भय की ठंडी लहर दौड़ गई। कांपते हाथों से वह विज्ञापन का एक-एक शब्द पढ़ गया।
‘डाइसन एन्ड डाइसन।’ कालो तान्जा के एटॉर्नीज थे।
क्या फ्रैडा इसे देख चुकी है, मगर पेपर जिस ढंग से मुड़ा हुआ है उसे देखकर तो नहीं लगता कि उसने इसे देखा है, क्योंकि पेपर खोला ही नहीं गया था।
पसीने में डूबे चेहरे सहित वह अपने बीस वर्ष पुराने उस फोटो को देखता रहा, जो जेल में खींचा गया था। पुराना होने के बावजूद भी उसमें काफी समानता थी। अनायास ही उसका हाथ अपनी दाढ़ी पर चला गया। नहीं, इस फोटो के द्वारा उसे कोई नहीं पहचान सकता।
सैंट क्रिस्टोफर के मैडल में वह अपूर्व विश्वास रखता था।
फ्रैडा उस मैडल को देख चुकी थी।
उसने आसपास नजरें दौड़ाई। उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था। फ्रैडा को धन की बेहद जरूरत थी और दस हजार डॉलर की रकम किसी का भी ईमान डुबो सकती थी। सिर्फ गांव जाकर डाइसन एन्ड डाइसन को फोन करने भर की देर होगी और वे लोग चौबीस घंटे से भी कम समय में उसे दबोच लेंगे।
क्या किया जाये?
अखबार को यदि खत्म भी कर दिया जाये, तब भी कुछ नहीं होगा, क्योंकि तान्जा खामोश नहीं बैठेगा। लगातार कम से कम एक हफ्ते तक यह विज्ञापन रोज अखबारों में छपता रहेगा। कभी न कभी तो स्काट या फ्रैडा की नजर उस पर पड़ ही जाएगी।
‘तुरन्त भाग खड़ा हो।’
मगर किसी भी अच्छे शहर से वह बीसों मील दूर था। थोड़ी ही देर में
अंधेरा हो जाएगा और अंधेरे में अनजाने इलाके में भटक जाना मुश्किल नहीं था।
क्या वह फ्रैडा पर विश्वास कर ले?
‘कौन दस हजार डॉलर का इनाम दे रहा है?’ फ्रैडा न जाने कब चुपचाप उसके पीछे आ खड़ी हुई थी।
वह स्तब्ध रह गया। उसका जी चाहा कि अखबार को फाड़-फूड़कर झील में फेंक दे किन्तु उंगलियों को जैसे लकवा मार गया था।
फ्रैडा ने अखबार धीरे-से उसके हाथ से खींच लिया और उसके बराबर में बैठती हुई बोली –
‘दस हजार डालर! क्या यह इनाम मुझे मिल सकता है?’
जौनी देखता रहा। वह विज्ञापन पढ़ने लगी। जैसे ही उसने सैंट क्रिस्टोफर के मैडल के बारे में पढ़ा, उसके चेहरे पर तनाव पैदा हो गया। फोटोग्राफ को गौर से देखने के बाद उसने जौनी पर नजरें डाली।
‘क्या यह फोटो तुम्हारी है?’ उसने पूछा।
‘हां!’
‘क्या तुम अपनी याददाश्त खो बैठे हो?’
जौनी ने इंकार में सिर हिला दिया।
‘यह डाइसन एन्ड डाइसन कौन है?’
‘माफिया ऑर्गनाइजेशन के आदमी।’ अपने सूखे होंठों पर जुबान फिराते हुए जौनी ने कहा।
‘माफिया।’ वह चौंकी।
‘हां।’
उसने अखबार नीचे रख दिया।
‘मैं समझी नहीं’ उसने कहा। उसके स्वर में बेचैनी थी।
‘न ही समझो तो अच्छा है।’
‘क्या तुम माफिया के ही आदमी हो?’
‘नहीं।’
‘तो फिर वे इतना इनाम क्यों दे रहे हैं?’
‘वे लोग मुझे तलाश करके मार डालना चाहते हैं।’ जौनी ने शांत स्वर में कहा।
वह सिहर उठी – ‘मार डालना चाहते हैं, मगर क्यों?’
‘मैंने उनका कुछ नुकसान कर दिया है।’
वह कुछ देर तक उसे घूरती रही, फिर विज्ञापन वाला पेज फाड़कर उसे थमा दिया।
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‘तुम इसे जला डालो। दस हजार डॉलर की रकम कम नहीं होती। अगर एड की निगाह इस पर पड़ गई और उसे लालच आ गया तो सिर्फ टेलीफोन करने की देर होगी और तुम्हारा खेल खत्म हो जाएगा।’
‘इसका मतलब तुम्हें लालच नहीं आ सकता।’
‘तुम सोचते हो कि मुझे लालच आ जाएगा।’
जौनी ने विवशतापूर्वक उसकी ओर देखा और बोला – ‘यह रकम कम नहीं है और तुम ऐसे ही किसी धन को प्राप्त करने की इच्छुक हो। मैं नहीं जानता कि…’
वह उठकर खड़ी हो गई – बोली – ‘मैं स्वीमिंग के लिए जा रही हूं।’
‘सुनो फ्रैडा – मैं तुम्हें समझाना चाहता हूं कि…।’
मगर वह रुकी नहीं, उसने अपने सारे कपड़े, उतारकर एक ओर रख दिये और झील में कूद गई।
जौनी ने अखबार जलाकर पानी में फेंक दिया। भयभीत-सा डेक पर बैठा वह पानी में फ्रैडा के हिलते सिर को देखता रहा। जो पल-पल दूर होता जा रहा था। क्या उसे फ्रैडा पर यकीन कर लेना चाहिए, माथे पर आये पसीने को पोछते हुए वह सोचने लगा – यदि वह गांव में जाकर टेलीफोन कर दे, तो उसे तो तब तक पता नहीं लगेगा जब तक कि अर्नी और टोनी माफिया के आदमियों के सहित उसे आकर घेर नहीं लेगा। बेहतर होगा कि वह फौरन यहां से कूच कर दे, मगर उसके जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई। क्योंकि फ्रैडा उसकी रग-रग में इतनी समा चुकी थी कि निकलने का प्रश्न ही नहीं था। आज तक उसके दिल में किसी औरत के प्रति इतना लगाव पैदा नहीं हुआ था।
मान लो वह फ्रैडा पर विश्वास करके यहीं टिका रहे – मगर फिर स्काट का क्या करेगा। देर-सवेर वह विज्ञापन देख ही लेगा।
मगर मैडल का तो उसे पता ही नहीं। फ्रैडा भी केवल मैडल के ही कारण चौंकी थी। जब तक लॉकेट का पता नहीं चलेगा, वह विज्ञापन का संबंध उसके साथ नहीं जोड़ सकता। क्योंकि फोटो तो बीस साल पुराना था।
कांपते हाथों से उसने अपने गले से लॉकेट उतारा और मैडल हथेली पर रखकर उसे घूरने लगा।
जब तक यह तुम्हारे पास रहेगा, दुनिया की कोई विपत्ति तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
उसने मां के बारे में सोचा-बेचारी बगैर पढ़ी-लिखी अंधविश्वासी औरत थी और स्वयं जौनी दो बार इस मैडल के कारण ही भयानक संकट में फंस चुका था। अगर यह मैडल न होता तो वह आज यूं मुंह छुपाये गुमनामी के अंधेरे में न भटक रहा होता और यदि यही मैडल उसके गले में न लटक रहा होता तो फ्रैडा भी कदापि उसे पहचान नहीं सकती थी।

वह खड़ा हो गया। उसने अपना हाथ ऊंचा किया और पूरी ताकत से लॉकेट झील में फेंक दिया।
जौनी कुछ अचल मुद्रा में खड़ा सोचता रहा – लॉकेट हमेशा के लिए समाप्त हो चुका था। अब उसके कारण कोई अन्य विपत्ति नहीं आ सकती थी।
दौलत आई मौत लाई भाग-19 दिनांक 06 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

