Daulat Aai Maut Lai Hindi Novel | Grehlakshmi
daulat aai maut lai by james hadley chase दौलत आई मौत लाई (The World is in My Pocket)

तेजी से कदम उठाते हुए एन्डी लुकास ने मसीनो के दफ्तर में प्रवेश किया। दरवाजा बंद करके बारी-बारी से मसीनो तथा तान्जा की ओर देखा। दफ्तर सिगरेट के कसैले धुएं से भरा हुआ था। मेज पर व्हिस्की की आधी बोतल, दो गिलास तथा बर्फ की ट्रे रखी हुई थी।

‘हूं। क्या हुआ?’ मसीनो ने गुर्राते हुए पूछा।

दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

‘देर तो जरूर लगी है मिस्टर मसीनो।’ एन्डी ने कहा – ‘किन्तु मैं चैक करा चुका हूं। उस रात के दो बजे से सुबह पांच बजे तक जाने वाले प्रत्येक ड्राइवर से मैंने बात की है। उनके मुताबिक किसी ने उस दौरान दो थैले किसी भी बस में नहीं चढ़ाए। सामान रखते समय वे टिकट इश्यू करते हैं किन्तु उस दौरान किसी का टिकट नहीं दिया गया।’

‘इसका मतलब यह हुआ।’ तान्जा बोला – ‘कि उसके साथ कोई और भी व्यक्ति था जो दोनों थैलों को बाहर ले गया, या फिर धन अभी भी यहीं मौजूद है, इसी शहर में।’

‘मान लो।’ मसीनो ने अपना विचार व्यक्त किया – ‘चोरी उसने अकेले ही की और दोनों थैलों को ग्रेहाउंड बस स्टेशन के लगेज लॉकरों में इस विचार से रख दिया कि वापस आकर धन हासिल कर लेगा। इस संभावना के बारे में क्या विचार है?’

तान्जा ने इंकार में सिर हिला दिया – ‘वह बेवकूफ नहीं था मिस्टर मसीनो। वह अच्छी तरह जानता था कि वापस लौटना असंभव होगा। मेरा दावा है कि इस काम में उसका कोई साथी जरूर था और वही उस रकम को लेकर शहर से बाहर निकला होगा।’

‘विचार तो तुम्हारा ठीक लगता है।’ मसीनो ने कहा – ‘लेकिन मान लो उसने रकम लगेज लॉकर में रख छोड़ी हो।’ फिर उसने एन्डी की ओर देखकर कहा – ‘तो क्या हम उसको चैक कर सकते हैं?’

‘वहां तीन सौ से भी ज्यादा लॉकर हैं।’ एन्डी ने उत्तर दिया – ‘और बिना किसी जज के आदेश के कमिश्नर तक भी उनकी तलाशी नहीं ले सकता। मेरे विचार में इस झंझट में न पड़ना ही उचित होगा मिस्टर मसीनो।’

कुछ देर सोचने के बाद मसीनो बोला – ‘तुम ठीक कहते हो – अगर हमने उन लॉकरों की तलाशी ली तो अखबार वाले ये बात ले उड़ेंगे। बेहतर होगा कि हम उन लॉकरों को सील कर दें। मैं चाहता हूं एन्डी कि तुम दिन- रात चौबीस घंटे उन लॉकरों की निगरानी का इंतजाम कर दो। निगरानी करने वालों को बैगों का हुलिया अच्छी तरह से समझा देना। ज्योंही कोई व्यक्ति उन बैगों को ले जाता हुआ दिखाई दे, वे उसे तुरन्त दबोच लें।’

एन्डी ने सहमति जताई और तुरंत बाहर निकल गया।

मसीनो ने तान्जा की ओर देखा और पूछा – ‘तुम्हारी ऑर्गनाइजेशन क्या कर रही है इस विषय में?’

‘कार्यवाही शुरू हो चुकी है मिस्टर मसीनो – तुम थोड़ा धैर्य रखो – वक्त तो कुछ ज्यादा जरूर लग जाएगा किन्तु वह हमसे बचकर नहीं निकल सकेगा। हमारे हर व्यक्ति को सूचना दी जा चुकी है कि हमें उसकी तलाश है। यह देखो।’ उसने अपनी जेब से कागज निकालकर डेस्क पर फैला दिया – ‘कल सुबह तक फ्लोरिडा के हर अखबार में यह विज्ञापन छप चुका होगा।’

मसीनो ने थोड़ा झुककर विज्ञापन पढ़ा – विज्ञापन का प्रूफ था – ‘क्या आपने इस आदमी को देखा है? इनाम दस हजार डॉलर।’ इस हैडिंग के साथ जौनी का जेल से प्राप्त किया हुआ फोटो छपा था। साथ ही लिखा था – घर से लापता है – विश्वास किया जाता है कि अपनी याददाश्त खो चुका है।’

सम्पर्क स्थापित करें – डाइसन एन्ड डाइसन, एटॉर्नीज

ऑफ लॉ – 2600 क्रियु स्ट्रीट

ईस्ट सिटी – फोन 007, 611 – 07

‘मुझे विश्वास है, यह तरकीब जरूर कामयाब होगी।’


जौनी जाग उठा। उसने फट-फट की आवाज सुनी थी। सिर उठाकर उसने खिड़की से बाहर की ओर देखा। फ्रैडा मोटरबोट में बैठकर जा रही थी। उसने पुरानी-सी पैंट तथा कमीज पहनी हुई थी। उसके होंठों में सिगरेट दबा हुआ था।

छोटी-सी मोटरबोट झील के दूसरी ओर जा रही थी। जौनी ने फिर से अपना सिर तकिए पर रख दिया। इससे पहले उसने ट्रक की आवाज सुनी थी और अंदाज लगा लिया कि स्काट अपने काम पर जा चुका था। बिस्तर पर लेटा-लेटा वह पिछली शाम के बारे में सोचने लगा। डिनर में उन्होंने ब्लैक क्रेपी (एक प्रकार की मछली) की करी, चावल तथा प्याज और टमाटर खाये थे। खाने के दौरान तीनों ही प्रायः खामोश रहे थे। स्काट क्योंकि टेलीविजन पर कोई प्रोग्राम देखना चाहता था अतः वह जल्दी-जल्दी डिनर समाप्त करके उठ गया। फ्रैडा और जौनी एक-दूसरे के सामने बैठे रह गए।

‘तुम खाना बहुत ही जायकेदार बनाती हो।’ जौनी उसकी तारीफ करते हुए बोला।

‘एन्डी भी यही कहता है।’ फ्रैडा के शब्दों में कटुता का अनुभव करके जौनी ने चौंकते हुए उसकी ओर देखा। वह कह रही थी – ‘पुरुष हमेशा खाने के बारे में सोचते रहते हैं।’

दूसरे कोने में बैठे टी.वी. देखने में व्यस्त स्काट पर नजरें डालकर जौनी बोला – ‘सभी पुरुष नहीं।’

‘थोड़ा और लो ना।’ फ्रैडा बोली।

‘हां – हां जरूर।’

वह कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई – बोली – ‘तुम खाना खाओ। मुझे और भी बहुत-से काम हैं।’ फ्रैडा उसे अकेला छोड़कर किचन में चली गई।

खाना स्वादिष्ट था अतः भूखा होने के कारण जौनी ने खूब डटकर खाया। फिर जब वह तृप्त हो गया तो सिगरेट जला ली मगर दो-चार कश लेने के बाद ही उसने सिगरेट कुचल दी और जूठी प्लेटें उठाकर किचन की ओर बढ़ गया। डैक पर बैठी फ्रैडा झील के शांत जल को देख रही थी।

‘आओ प्लेटें साफ कर दें।’ जौनी ने कहा।

‘तुम घरेलू कामों में बहुत रुचि लेते हो।’ उपहासपूर्ण ढंग से फ्रैडा बोली – ‘पड़े रहने दो। कल साफ हो जाएंगी।’

‘मैं किये लेता हूं – तुम बैठो यहीं।’

‘ठीक है।’ वह अनिच्छापूर्वक बोली।

बीस मिनट में ही सफाई आदि से निवृत्त होकर वह पुनः डैक पर आ पहुंचा और फ्रैडा के नजदीक ही बांस की बनी कुर्सी पर बैठ गया।

‘बड़ा हसीन नजारा है।’

‘तुम्हें तो हसीन ही लगेगा मगर दो साल से इसी नजारे को देख-देखकर मैं ऊब चुकी हूं। वैसे तुम रहने वाले कहां के हो?’

‘सुदूर उत्तर का …. और तुम?’

‘स्वीडन की।’

‘तुम्हारे बालों और आंखों को देखकर मैंने भी यही अंदाजा लगाया था किन्तु तुम अपने घर से इतनी दूर यहां आकर क्यों बसीं?’

‘हूं।’ थोड़ी देर रुककर वह बोली – ‘तुम मुझसे ज्यादा वार्तालाप न करो तो ज्यादा ठीक होगा। दो वर्ष से मैं अकेली ही रह रही हूं यहां और अब अकेलेपन की अभ्यस्त हो चुकी हूं। तुम यहां चंद दिन ठहरने आए हो और यदि पैसों की मजबूरी न होती तो मैं तुम्हें हर्गिज यहां ठहरने नहीं देती – क्योंकि मुझे अपने एकांत में किसी के द्वारा भी बाधा पहुंचाना पसन्द नहीं है।’

‘मैं तुम्हारे किसी भी काम में बाधक नहीं बनूंगा। वह खड़ा हो गया और बोला – ‘मैं सोने जा रहा हूं। मजेदार खाना खिलाने के लिए धन्यवाद!’

फ्रैडा ने अपनी कुर्सी की पुश्त से सिर टिका लिया।

‘सफाई करने के लिए धन्यवाद।’ उसने उत्तर दिया।

दोनों ने क्षण-भर के लिए एक-दूसरे की आंखों में झांका, फिर जौनी लिविंग रूम में आ गया। टी.वी. का प्रोग्राम शायद समाप्त होने वाला था क्योंकि स्काट भी अब उठने को तैयार हो रहा था।

‘अब सोना चाहिए -’ स्काट ने उठते हुए कहा – ‘कल शाम सात बजे फिर तुमसे मुलाकात होगी फिशिंग को जाना चाहो तो इस अलमारी में सभी सामान मिल जाएगा।’

‘बहुत अच्छा-अच्छा गुड नाइट।’

जौनी अपने कमरे में आकर बिस्तर पर पड़ गया था। झील के शांत जल में पड़ती चन्द्रमा की शीतल किरणों को देखते हुए वह स्काट तथा फ्रैडा के बारे में सोचता रहा। फिर उसने मसीनो के विषय में सोचा और निश्चिंत हो गया। इस स्थान पर वह पूर्णतया सुरक्षित था। ऑर्गेनाइजेशन सपने में भी उसके यहां होने का अनुमान तक नहीं लगा सकता था।

और जब गहरी नींद से वह जागा तो सूरज काफी चढ़ आया था। फ्रैडा को मोटरबोट में जाते देखकर वह बिस्तर छोड़कर किचन में घुस गया। कॉफी तैयार की और डैक पर आ बैठा।

कॉफी समाप्त करने के बाद वह हाउस बोट के अंदर चला गया और स्काट की फिशिंग रॉड लेकर वापस डैक पर आ बैठा और लगभग एक घंटे तक मछलियां पकड़ने का असफल प्रयास करता रहा। फिशिंग रॉड हाथ में लिए धूप में बैठकर वह अपनी उस दौलत के बारे में सोच-सोचकर सुख का अनुभव कर रहा था जो लगेज लॉकर में बंद पड़ी थी। उसने निश्चय किया कि एक हफ्ता यहां गुजारने के बाद वापस जाने में और उन नोटों को निकालने में कठिनाइयां पेश नहीं आएंगी। उसके और एक-डेढ़ महीने के बाद यह किस्सा बिल्कुल ही खामोश हो जाएगा। पांच-सात रोज बाद वह स्काट के साथ रिचविले जाकर फोन द्वारा सैमी से वहां की गतिविधियों को जानने की चेष्टा करेगा।

न जाने कब तक वह अपने सुख-सपनों में खोया रहता, किन्तु तभी फटफट की आवाज से उसकी विचार तन्द्रा भंग हो गई। फ्रैडा मोटरबोट को दौड़ाती चली आ रही थी। उसने उसकी ओर हाथ हिला दिया। जवाब में फ्रैडा ने भी वैसा ही किया। दस मिनट बाद वह डैक पर मौजूद थी और जौनी मोटर बोट को बांध रहा था।

‘तुम यहां से कुछ हासिल नहीं कर सकोगे।’ रॉड को देखते हुए वह बोली – ‘अगर फिशिंग ही करना चाहते हो तो वोट ले जाओ।’ उसके हाथ में सामान से लदी एक टोकरी थी – ‘लंच में अभी दो घंटे की देर है। तुम बोट ले जाओ और रात के भोजन के लिए कुछ मछलियां पकड़ने की कोशिश करो।’

जौनी ने उस समय कमीज उतार रखी थी – उसकी बालों भरी चौड़ी छाती पर लटके मैडल की ओर इशारा करके उसने पूछ लिया –

‘यह क्या है?’

जौनी का हाथ तत्काल अपने मैडल पर पहुंच गया।

बोला – ‘यह सेट क्रिस्टोफर का लॉकेट है – जो मेरी मां ने मुझे दिया था। उसका विश्वास था कि जब तक यह मेरे पास मौजूद रहेगा – दुनिया की कोई विपत्ति मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी।’

‘तुम इटैलियन हो न?’

‘हां, मगर में पैदा फ्लोरिडा में हुआ था।’

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‘ठीक है – तो फिर इसे खोना नहीं, हमेशा साथ रखना। कहकर वह सामान सहित किचन में चली गई।

जौनी मछली पकड़ने का सामान उठाये, बोट लेकर चला गया। एक घंटे के प्रयास के बाद उसके हाथ चार पौंड वजन की एक कास (एक प्रकार की मछली) हाथ आ गई तो वह बहुत खुश हुआ। उसे लेकर वह किचन में पहुंचा तो फ्रैडा के चेहरे पर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता को देखकर जौनी ने गर्व व संतोष महसूस किया।

‘तुम तो वाकई बहुत अच्छे फिशर हो।’

‘बचपन में मुझे मछली पकड़ने का बहुत शौक था।’

‘सुनो।’ वह बोली – ‘स्काट को तो रिचविले में मुफ्त भोजन मिलता है और मेरे पास जो कुछ था वह अब खत्म हो चुका है – क्या तुम किराये के रूप में मुझे कुछ दे सकते हो?’

‘हां… हां… क्यों नहीं?’ जौनी अपने बैडरूम में पहुंचा। सूटकेस का ताला खोला। दस-दस डॉलर के दो नोट निकाले और लाकर उसे पकड़ा दिये।

‘धन्यवाद!’ उसने नोटों को अपने एक पुराने से बटुए में रख लिया – बोली – ‘आओ भोजन करते हैं।’

भोजन करते समय फ्रैडा ने पूछा – ‘अब क्या विचार है तुम्हारा – यहीं खाली पड़े रहोगे?’

‘मैं इस समय छुट्टी बिता रहा हूं – और समय बिताने के लिए जो कुछ हो रहा है उससे मैं संतुष्ट हूं।’

‘तुम बहुत खुश दिल व्यक्ति हो।’

स्वर में कटुता का अहसास पाकर जौनी ने उसके चेहरे पर दृष्टिपात किया – ‘तुम्हें शायद एड का काम करने का ढंग पसन्द नहीं।’ जौनी ने पूछा।

‘वह पागल है।’ कांटे से गोश्त का टुकड़ा उठाते हुए वह बोली – ‘मैं इस जिन्दगी से ऊब चुकी हूं। जैसे ही मेरे हाथ कहीं से कुछ धन लगेगा – मुझे यहां से दफा होने में देर नहीं लगेगी। मैं तो किसी मौके के इंतजार में पड़ी यहां दिन काट रही हूं।’

‘सचमुच, जितनी कड़ी मेहनत वह करता है उससे मुझे भी उसकी इस गुलाम जिन्दगी के कारण दुःख होता है।’

‘काम तो वह सब ठीक करता है – मगर वह जहां है वहीं रहेगा। कभी भी ऊपर नहीं उठ सकता – क्योंकि उसकी इच्छाएं मर चुकी है – उसके दिल में कोई आकांक्षा शेष नहीं है। वैसे तुम्हारा क्या धंधा है?’

‘मैं रेंट कलेक्टर था परन्तु वर्षों तक इस काम को करने के बाद उससे ऊब गया और अपना सब-कुछ बेचकर देश भ्रमण के लिए निकल पड़ा हूं। जब मेरे पास धन समाप्त हो जाएगा तो किसी बोट पर नौकरी कर लूंगा – क्योंकि बोट मेरी कमजोरी है।’

‘बोट।’ उसने बुरा-सा मुंह बनाया – ‘बोट द्वारा तुम कैसे जीविकोपार्जन करोगे – क्या फिशिंग से? मगर यह तो कोई जीवन-स्तर नहीं होता।’

‘रोजी कमाने की इच्छा मेरी नहीं है। बस मेरी महत्त्वाकांक्षा है कि बोट हासिल करूं।’

उसने अपने हाथ में थमे छुरी-कांटे रख दिए – आश्चर्य से उसका मुंह ताकते हुए बोली – ‘अजीब महत्त्वाकांक्षा है तुम्हारी।’

‘और तुम!’ जौनी उसकी बात नजरअंदाज करता हुआ पूछ बैठा – ‘अगर तुम्हें काफी रकम हासिल हो जाए तो तुम यहां से जाकर क्या काम करोगी?’

‘मेरी उम्र अभी सिर्फ छब्बीस वर्ष है।’ वह बोली – ‘मैं जवान तथा आकर्षक हूं – पुरुष आसानी से मेरी ओर आकर्षित हो सकते हैं। हो सकते हैं ना?’

‘हां – मगर इससे क्या फायदा होगा?’

‘मैं मियामी जाकर लोगों को अपनी सुन्दरता के मोहपाश में फंसाकर उनकी जेबें खाली कर दूंगी – समझ गए। आज से तीन साल पहले जब मैं यहां आई थी तो यह स्थान मुझे बहुत उपयुक्त लगा था। मैंने दो महीने न्यूयार्क में भी एक ट्रैवल एजेंसी में नौकरी की थी परन्तु वह काम बहुत उबाऊ था फिर मेरा ट्रांसफर उसी एजेंसी की जैक्सन विले स्थित ब्रांच में कर दिया गया परन्तु तब तक मैं उस काम से बोर हो चुकी थी। तभी मेरे दुर्भाग्य से मेरी मुलाकात स्काट से हो गई। माल ढोने के इस धंधे के बारे में हमारी योजनाएं बनीं। हमारा विचार था कि एक साल माल ढोने के बाद इतनी बचत हो जाएगी कि दूसरे वर्ष हम नया ट्रक खरीद सकेंगे, मगर हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं हो सका। दो साल बीतने के बाद भी हम जहां थे वहीं हैं। ख्यालों पुलावों के आधार पर स्काट से शादी करके अब मुझे पछतावा हो रहा है। सिर्फ इसलिए नहीं कि वह धनी नहीं है – बल्कि इसलिए भी कि वह शारीरिक रूप से कमजोर मर्द है।’

‘क्या मतलब?’

‘वह मर्दों के नाम पर कलंक है। एकदम ही उफनता है और कुछ ही क्षणों में तुरन्त ठंडा पड़ जाता है। इसलिए वह शारीरिक सुख प्राप्त करता है और मैं फिशिंग तथा स्वीमिंग द्वारा स्वयं को शांत करने का प्रयत्न करती रहती हूं।’

‘यह जानकार दुःख हुआ।’ जौनी ने अपने दोनों हाथ अपने घुटनों पर दे मारे।

‘दुखी मत होओ।’ वह खड़ी होकर कामुक स्वर में बोली – ‘आओ, मैं देख रही हूं कि तुम मेरा शरीर पाना चाहते हो और मुझे एक पुरुष की जरूरत है। इस समय यह फ्री होगा परन्तु इसके बाद जब भी तुम मेरा शरीर चाहोगे तो अवश्य मिलेगा मगर उसकी कीमत चुकानी होगी, क्योंकि इस तबेले से निकलने के लिए मुझे पैसा चाहिए और उसे हासिल करने का यही एकमात्र तरीका है मेरे पास।’ जौनी स्थिर बैठा रहा। फिर बोला – ‘मैं तुमसे प्यार करने का इच्छुक तो जरूर हूं फ्रैडा, मगर इन शर्तों पर नहीं।’

उसे गौर से देखकर वह मुस्कराई बोली – ‘मैं तुम्हें पसन्द करने लगी हूं जौनी। मेरा विश्वास है कि तुम सम्पूर्ण पुरुष हो। अतः सारी शर्तें समाप्त। आओ अपने पुरुषत्व का परिचय दो।’

वह उठा और अपनी बाहें फ्रैडा की कमर में डालकर बैडरूम की ओर ले चला।

दौलत आई मौत लाई भाग-18 दिनांक 05 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

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