Daulat Aai Maut Lai Hindi Novel | Grehlakshmi
daulat aai maut lai by james hadley chase दौलत आई मौत लाई (The World is in My Pocket)

होटल वेलकम के उस हवादार लम्बे-चौड़े कमरे का वातावरण उस समय बड़ा ही तनावपूर्ण था। अपनी आंखों को अपनी बांह से ढांपे हुए फ्रैडा पलंग पर लेटी हुई थी। जौनी फोन के पास बैठा और बार-बार व्याकुल नेत्रों से रिस्टवाच को देखे जा रहा था।

अचानक फ्रैडा ने पूछा – ‘क्या तुम इसी वक्त फोन नहीं कर सकते उसको? इंतजार करते-करते मैं तो परेशान हो गई हूं।’

दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

जौनी ने शांत स्वर में उत्तर दिया, ‘मैंने तुम्हें पहले ही अच्छी तरह समझा दिया था बेबी कि इस मामले में धीरज रखना बड़ी चीज है और फिर अभी तो ज्यादा वक्त भी नहीं हुआ है। सिर्फ पांच ही तो बजे हैं।’

फ्रैडा ने फिर से बांह द्वारा आंखें ढक लीं वह बोली – ‘सॉरी, जौनी डियर, पर अब मुझसे और इंतजार नहीं हो पा रहा है।’

जौनी दीर्घ निःश्वास भरकर रह गया। कमरे का वातावरण ब्लेड की धार जैसा पैना था। घड़ी की सुइयां जैसे स्थिर हो गई थीं। एक-एक मिनट पहाड़ की तरह भारी महसूस हो रहा था।

‘जौनी!’ फ्रैडा व्याकुलतापूर्वक बोली – ‘प्लीज, अब तो उसे फोन कर दो।’

‘ओ. के. बेबी। मैं ट्राई करता हूं।’ उसने रिसीवर उठाकर सैमी का नम्बर घुमा दिया।

चंद क्षणोपरांत ही उसे सैमी का स्वर सुनाई दिया – ‘कौन बोल रहा है?’

‘मैं जौनी बोल रहा हूं, सैमी। क्या तुमने बस स्टेशन को चैक किया था?’

‘किया था मिस्टर जौनी – वहां कोई नहीं था।’

जौनी के दिल की धड़कन बढ़ गई।

‘तुम्हें पूरा विश्वास है कि वहां कोई नहीं था?’

‘हां! मैंने अच्छी तरह देखा था।’

‘टोनी कहां है?’ जौनी की निगाहों में वही आदमी सबसे ज्यादा खतरनाक था।

‘बॉस ने उसे फ्लोरिडा भेजा था और मेरे विचार में वह अभी वहां से लौटा नहीं है – क्योंकि अगर वापिस लौट आया होता तो मुझे अवश्य दिखाई पड़ना चाहिए था।’

‘ठीक है।’ कुछ क्षण सोचकर जौनी बोला – ‘सुनो सैमी, मैं आधी रात के आसपास तुम्हारे पास पहुंचूंगा रकम लेकर, इसलिए वहीं रहना और मेरी प्रतीक्षा करना। कहीं जाना नहीं – समझे।’

‘छह हजार डॉलर लेकर?’

‘हां!’

जौनी ने फोन का संबंध विच्छेद कर दिया और फ्रैडा की ओर ताका जो बिस्तर से उठकर गौर से उसकी ही ओर देख रही थी।

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‘सब-कुछ ठीक है।’ जौनी ने कहा – ‘उसके विचार से हम लोग हवाना में हैं। साढ़े सात बजे हम लोग यहां से कूच कर देंगे। तब तक सामान पैक किए लेते हैं – फिर मैं कार का इंतजार करूंगा।’

उसके बाद जौनी ने टेलीफोन की डायरेक्टरी द्वारा नम्बर देखकर किराए की कार वाले गैरेज के मालिक से बात की। कार के मालिक ने आश्वासन दिया कि कार सुबह सात बजे होटल पहुंचा दी जाएगी।

जौनी ने रिसीवर रखा और फ्रैडा से बोला – ‘कार का प्रबंध हो गया है।’

तब तक फ्रैडा भी अपना हरा पायजामा सूट पहनकर बालों को व्यवस्थित कर चुकी थी।

जौनी ने अपना सूटकेस खोला और पिस्तौल बाहर निकाल ली।

‘यह क्या कर रहे हो?’ फ्रैडा ने चौंककर पूछा।

‘शायद इसके इस्तेमाल की जरूरत पड़ जाये – वैसे उम्मीद तो नहीं है – फिर भी सतर्कतावश इसे चैक करना जरूरी है। जौनी ने उत्तर दिया।

‘ओह!’ फ्रैडा राहत की सांस लेती हुई बोली – ‘मैं तो डर ही गई थी।’

‘आराम से अपना सामान पैक करो – यह डरने का समय नहीं है – अपने सुनहरे भविष्य की ओर देखो। कल इस समय तक हमारे पास एक लाख बियासी हजार डॉलर होंगे – ये तो सोचो।’

‘हां!’

जब वह अपना सामान सूटकेस में रख रही थी तो जौनी खिड़की के द्वारा नीले आकाश को देख रहा था। अनायास ही उसकी उंगलियां कमीज के अंदर चली गयीं – किन्तु दूसरे ही क्षण उसने हाथ वापस खींच लिया। झील में डूबते हुए लॉकेट का नजारा उसकी आंखों के सम्मुख नाच उठा। वह जानता था कि वह जाल में फंस सकता था। हो सकता है सैमी झूठ ही कह रहा हो परन्तु परिस्थिति ऐसी थी कि उसे सैमी पर विश्वास करना ही पड़ रहा था, यदि वह रकम निकालने की कोशिश नहीं करेगा तब भी देर – सवेर वे उसे ढूंढ ही लेंगे, मगर वह विश्वासपूर्वक कह सकता था कि वे उसे जिन्दा नहीं पकड़ पाएंगे। अतः प्रयत्न करना आवश्यक था। संभव है उसका मुकद्दर उसका साथ दे ही जाये और वह अपने चिर-संकलित सपने को साकार होते देख सके।

धीरे-धीरे वक्त गुजरता गया – मिनट घटों में तब्दील होते गये। बस स्टेशन की इमारत पूरी तरह बिजली के प्रकाश से आलोकित थी। भीड़ छंट चुकी थी और बस स्टेशन की दीवार पर लगी घड़ी रात्रि के ग्यारह बजने की घोषणा कर रही थी।

दौलत आई मौत लाई भाग-39 दिनांक 26 Mar.2022 समय 08:00 बजे रात प्रकाशित होगा

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