Chandra Grahan 2025
Chandra Grahan 2025

Eclipse Effects 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है, जो सूर्य और चंद्रमा पर लगने वाले ग्रहण के प्रभाव से जुड़ा होता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हमारे जीवन पर गहरा असर डालता है। सूर्य को आत्मा और जीवन का प्रतीक माना गया है, जबकि चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है। जब इन दोनों पर ग्रहण लगता है, तो यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। शास्त्रों में ग्रहण दोष का उल्लेख भी किया गया है, जिसका निवारण करना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति को जीवनभर के कष्टों से बचा जा सके। इसलिए ग्रहण तिथि, सूतक समय और ग्रहण काल के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है।

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ग्रहणों का रहस्य

समुद्र मंथन के दौरान राहु नामक दैत्य ने देवताओं के रूप में अमृत का पान किया, जिसके बाद सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी। भगवान विष्णु क्रोधित होकर अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। हालांकि, अमृत पीने के कारण राहु और उसका धड़ केतु अमर हो गए। इस घटना के बाद से राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और उन्हें ग्रसित करने के लिए प्रयास करते हैं। यही कारण है कि हर साल सूर्य और चंद्र ग्रहण दो या तीन बार होते हैं, जब राहु और केतु इन ग्रहों को अपनी राह में अड़ा कर इनसे प्रतिशोध लेते हैं।

कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और सूर्य का पूरा प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता। इस दौरान, चंद्रमा सूर्य के सामने आकर उसे पूरी तरह से कवर करता है, जिससे दिन में भी अंधेरा सा हो जाता है। यह एक असाधारण दृश्य होता है, जिसमें सूर्य के चारों ओर सूर्यकिरणों का एक हल्का आभा (कोरोना) दिखाई देता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण का दृश्य कुछ मिनटों तक ही रहता है, लेकिन यह एक बहुत ही रहस्यमय और अद्भुत अनुभव होता है। यह ग्रहण बहुत कम समय के लिए होता है और इस समय को देखने के लिए विशेष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है, क्योंकि बिना सुरक्षा के सूर्य को देखना आंखों के लिए हानिकारक हो सकता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण

आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ढकता है, लेकिन सूर्य का पूरा हिस्सा ग्रहण में नहीं आता। इसका मतलब है कि सूर्य का कुछ हिस्सा अभी भी दिखाई देता है, जबकि बाकी हिस्सा चंद्रमा से ढका होता है। इस दौरान सूर्य एक अर्धचन्द्राकार या किसी खंडित रूप में दिखाई देता है। यह ग्रहण अधिक समय तक रहता है और इसका असर ज्यादा महसूस होता है, लेकिन यह कम आकर्षक होता है क्योंकि सूर्य का अधिकांश भाग खुला रहता है। आंशिक सूर्य ग्रहण का दृश्य भी एक रोमांचक घटना होती है, लेकिन इसमें सूर्य की पूरी छाया नहीं होती।

वलयाकार सूर्य ग्रहण

वलयाकार सूर्य ग्रहण एक विशेष प्रकार का सूर्य ग्रहण होता है, जिसमें चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढकता है, लेकिन उसके चारों ओर एक उज्जवल रिंग (रिंग ऑफ फायर) बनती है। यह रिंग सूर्य के प्रकाश से बनती है, जो चंद्रमा से बाहर निकलती है। इस प्रकार के ग्रहण में सूर्य का पूरा मध्य भाग चंद्रमा से ढका होता है, लेकिन उसके चारों ओर सूर्य की किरणें एक रिंग के रूप में दिखाई देती हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण अधिक समय तक चल सकता है, और इसका दृश्य बहुत आकर्षक और अलौकिक होता है। इसे देखने के लिए भी आंखों की सुरक्षा के उपाय बेहद जरूरी होते हैं। यह ग्रहण प्रायः उन क्षेत्रों में होता है, जो चंद्रमा की छाया के रास्ते में होते हैं, और इसे देखने का अनुभव एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।

उपच्छाया चंद्र ग्रहण

जब चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया (penumbra) से गुजरता है, तो उसकी रोशनी कमजोर और मंद हो जाती है, लेकिन यह ग्रहण का प्रकार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहण नहीं माना जाता। उपच्छाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया (umbra) में नहीं आता, बल्कि सिर्फ उसकी हल्की उपच्छाया में प्रवेश करता है। इस दौरान चंद्रमा की रोशनी में एक हलका धुंधलापन दिखाई देता है, लेकिन यह इतना कम होता है कि आमतौर पर आंखों से इसे पहचान पाना मुश्किल होता है। इस ग्रहण का असर अधिक नहीं होता और न ही यह उतना दृश्यमान होता है, जितना की पूर्ण चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण।

साल 2025 में कब-कब रहेगा सूर्य ग्रहण

पहला सूर्य ग्रहण

साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को होगा। यह ग्रहण विशेष रूप से बरमूडा, बारबाडोस, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे, जर्मनी, फ्रांस, हंगरी, आयरलैंड, मोरक्को, ग्रीनलैंड, पूर्वी कनाडा, उत्तरी ब्राजील, हॉलैंड, पुर्तगाल, उत्तरी रूस, स्पेन, स्वीडन, पोलैंड, यूक्रेन, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड और पूर्वी अमेरिका में दिखाई देगा। हालांकि, भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा और इसका कोई विशेष ज्योतिषीय प्रभाव भी नहीं होगा।

दूसरा सूर्य ग्रहण

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को होगा। यह ग्रहण विशेष रूप से न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। इन स्थानों पर लोग इसे देख सकेंगे और इसका प्रभाव महसूस करेंगे। हालांकि, भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा और न ही इसका कोई ज्योतिषीय प्रभाव होगा।

साल 2025 में कब-कब रहेगा चंद्र ग्रहण

पहला चंद्र ग्रहण

साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और न ही इसका यहां कोई ज्योतिषीय प्रभाव होगा। इस ग्रहण का असर मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका और अंटार्कटिका में देखा जाएगा। इन क्षेत्रों में लोग इसे देख सकेंगे और इसका प्रभाव महसूस कर सकेंगे।

दूसरा चंद्र ग्रहण

साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को होगा और यह भारत में भी नजर आएगा। यह ग्रहण न केवल भारत में, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड, अमेरिका और अफ्रीका में भी दिखाई देगा। इस ग्रहण का आरंभ रात 9:55 बजे से होगा और इसका प्रभाव 8 सितंबर को सुबह 1:30 बजे तक रहेगा।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...