Premanand Maharaj Advice: भारतवर्ष की संस्कृति में बड़ों के चरण स्पर्श करना एक अत्यंत आदरणीय परंपरा मानी जाती है। यह केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि इसके पीछे श्रद्धा, विनम्रता और आत्मिक शुद्धता की भावना निहित होती है। जब कोई व्यक्ति बड़े-बुजुर्गों या संत-महात्माओं के चरण स्पर्श करता है, तो वह उनके आशीर्वाद के माध्यम […]
Category: आध्यात्म
“प्रेमानंद महाराज ने बताया महादेव को प्रसन्न करने के प्रभावशाली उपाय”
Premanand Maharaj : सनातन परंपरा में भगवान शिव को सबसे सहज और करुणामय देवता माना जाता है। वे थोड़े में ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन उनके सच्चे भक्त जानते हैं कि भक्ति में सरलता के साथ साथ समर्पण भी ज़रूरी है। हाल ही में प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एक प्रवचन के दौरान बताया […]
क्यों माना जाता है माउंट कैलाश को ब्रह्मांड का केंद्र?
Mount of Kailash Mystery: हिमालय की गोद में बसा माउंट कैलाश न सिर्फ आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के लिए यह पर्वत अत्यंत पवित्र है। लेकिन सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, वैज्ञानिक और भूगोलिक तथ्यों के आधार पर भी […]
जप का रहस्य
Chanting Secret: जप एक प्रकार का प्रशिक्षण है जिसके द्वारा मन को विचार की एक निश्चित दिशा में लगाया जाता है। वही जप सिद्धान्त का मूल रहस्य है। जप एक प्रकार का अभ्यास है जिसके द्वारा मन की इधर-उधर बिखरने वाली धाराएं एकीकृतकरके किसी एक दिशा में नियंत्रित रूप में प्रवाहित की जाती हैं। इसके […]
सुख के रिश्ते
Happy Relationship: बच्चा नहीं प्यारा, बच्चे से जो सुख मिलता है, वह प्यारा है। मकान नहीं प्यारा, उस मकान से जो सुख मिलता है, वह सुख प्यारा है। पति-पत्नी, मां-बच्चा ये जितने रिश्ते हैं, ये सब इन रिश्तों की वजह से प्यारे नहीं हैं, ये ‘मुझ’ को सुख देते हैं, इसलिए प्यारे हैं। पत्नी, पत्नी […]
भारतीय संस्कृति का प्रमुख अंग
Indian Culture: प्राचीन काल से हमारी संस्कृत का अभिन्न अंग व पूजनीय मानी जाने वाली गाय का महत्त्व केवल धार्मिक पक्ष से ही नहीं है अपितु वैज्ञानिक व आर्थिक दृष्टिïकोण से भी गाय माता हमारे लिए काफी उपयोगी हैं। गाय से जुड़े विभिन्न लाभ तथा इसके संरक्षण की आवश्यकता को समझें इस लेख से। पुराणों […]
धन्य है भारत और दैवी संस्कृति
India Divine Culture: देवभूमि कहलाने वाला भारत कहां स्वर्ग कहा जाता था, अब नर्क बनता जा रहा है। दिव्यगुणधारी देवी-देवताएं इसे आभामय बनाए रखते थे। भारतवासियों की आभामय स्थिति लुप्त हो गई तो अब इसे हिन्दुस्तान, इंडिया आदि कहा जाने लगा। भारत का अर्थ ही हैकि जहां के रहवासी आध्यात्मिक आभा से प्रकाशमान हों। आत्मिक […]
दयानंद जी का अध्यात्म और देश-प्रेम
Swami Dayanand Saraswati: अध्यात्म और देश-प्रेम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, क्योंकि बिना अध्यात्म के एक सुन्दर व्यक्तित्व की कल्पना करना असंभव है, बिना सुन्दर व्यक्तित्व के एक सुन्दर राष्ट्र की कल्पना करना असंभव है, जो स्वयं सुन्दर नहीं बना वह औरों को क्या सुन्दर बनाएगा, क्या मात्र कुछ कर्मकांड कर देने से धर्म […]
अर्थी उठने के तुरंत बाद न करें ये दो काम, जानें इसके पीछे की वजह
Hindu Death Rituals: जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जैसे जन्म के साथ उत्सव और संस्कार जुड़े होते हैं, वैसे ही मृत्यु के साथ भी कुछ विशेष रीति-रिवाज जुड़े होते हैं जो हमारी संस्कृति और आस्था का गहरा हिस्सा हैं। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद किए जाने वाले कर्मों को […]
इन त्यौहारों के बिना भारत के चारों दिशाओं की संस्कृति है अधूरी
Culture of India: भारत के हर हिस्से की अपनी एक खास संस्कृति और रंगीन परंपराएं हैं। चाहे वह दक्षिण के रंग-बिरंगे मंदिर हों, पूर्वोत्तर के जनजातीय नृत्य हों, पश्चिम के रेगिस्तान के मेले हों या उत्तर की पवित्र घाटियां, हर त्यौहार यहां की जिंदादिली और एकता की कहानी कहता है। जब त्यौहारों की बात होती […]
