Culture of India: भारत के हर हिस्से की अपनी एक खास संस्कृति और रंगीन परंपराएं हैं। चाहे वह दक्षिण के रंग-बिरंगे मंदिर हों, पूर्वोत्तर के जनजातीय नृत्य हों, पश्चिम के रेगिस्तान के मेले हों या उत्तर की पवित्र घाटियां, हर त्यौहार यहां की जिंदादिली और एकता की कहानी कहता है।
जब त्यौहारों की बात होती है, तो जहन में सबसे पहले दिवाली, होली या ईद जैसे बड़े नाम आते हैं। लेकिन भारत की आत्मा सिर्फ इन मुख्य त्यौहारों में नहीं बसती वो छुपी है उन सैकड़ों रंग-बिरंगे, अनसुने, अनदेखे त्यौहारों में, जिन्हें स्थानीय लोग पीढ़ियों से मनाते आ रहे हैं। ये त्यौहार किसी एक
धर्म या समुदाय तक सीमित नहीं होते, इनमें लोककला की छाप होती है, रीति रिवाजों की गहराई होती है और वो भावनाएं होती हैं जो लोगों को एक धागे में बांध देती हैं। इन पर्वों में न कोई दिखावा होता है, न ही बड़े बजट की चमक-धमक फिर भी इनका आकर्षण इतना गहरा होता है कि लोग बार-बार खिंचे चले आते हैं। आज हम ऐसे ही कुछ खास त्यौहारों की बात करने जा रहे हैं जिन्हें जानने के बाद आप भारत की संस्कृति को थोड़ा और करीब से महसूस करेंगे ।
दक्षिण भारत के अनोखे त्यौहार
त्रिशूर पूरम
त्रिशूर पूरम त्यौहार केरल के त्रिशूर शहर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह फेस्टिवल भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें आसपास के मंदिरों की देवी देवताओं को हाथियों के जुलूस के साथ वड़क्कुनाथन मंदिर में लाया जाता है।
अट्टुकल पोंगाला
दक्षिण भारत के कुछ शहरों में अट्टुकल पोंगाला नाम का त्यौहार मनाया जाता है जिसमें एक साथ लाखों महिलाएं मंदिर के सामने सड़कों पर मिट्टी के बर्तन में चावल और गुड़ की खीर पकाती हैं और अपनी कुल देवी को उसका भोग लगाती हैं।
चिथिरै तिरुविझा
दक्षिण भारत के तमिलनाडु के मदुरै शहर में चिथिरै तिरुविझा नाम का फेस्टिवल मीनाक्षी मंदिर में मनाया जाता है। इसमें देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर यानी कि शिव जी की शादी का उत्सव होता है। यह त्यौहार पूरे एक महीना चलता है।
थिरुवाथिरा
दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल जैसे शहरों में हर साल दिसंबर और जनवरी के महीने में थिरुवाथिरा नाम का त्यौहार मनाया जाता है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस
फेस्टिवल में नवविवाहित महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनकर शिवजी और मां पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं।
महामहम फेस्टिवल
महामहम उत्सव, तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी पवित्र नदियां जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती आदि अदृश्य रूप से एकत्र होती हैं। इसमें स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस फेस्टिवल को साउथ
का कुंभ मेला भी कहा जाता है।
उत्तर-पूर्व भारत के खास त्यौहार, जो दिल छू लें
मोआत्सु मोंग
नॉर्थ ईस्ट के नागालैंड में मई महीने में जब खेतों में बीज बो दिए जाते हैं, तो इसके बाद लोग आराम करने और खुशियां मनाने के लिए यह त्यौहार मनाते हैं। यह समय होता है जब समुदाय के लोग मिलकर पारंपरिक नृत्य करते हैं, गीत गाते हैं, पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और भोज का आनंद लेते हैं।
लुई-ङाई-नी
लुई-ङाई-नी नाम का त्यौहार मणिपुर में नागा जनजातियों द्वारा फरवरी महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार नई फसल की बुआई की शुरुआत के अवसर पर मनाया जाता है। त्यौहार के दौरान पारंपरिक नृत्य, गीत-संगीत और सामूहिक भोज होता है।
नोंगक्रेम डांस फेस्टिवल
नोंगक्रेम नृत्य उत्सव मेघालय के खासी जनजाति के लोग नवंबर महीने में मनाते हैं। यह त्यौहार देवी काली से अच्छी फसल और शांति की प्रार्थना के लिए मनाया जाता है।
अबुबाची मेला
अबुबाची मेला असम के कामा या मंदिर में जून महीने में आयोजित होता है। यह माना जाता है कि इसी समय मां कामा या का मासिक धर्म होता है, इसलिए मंदिर के दरवाजे कुछ दिनों के लिए बंद रहते हैं।

लोसार फेस्टिवल
लोसार त्यौहार तिब्बती नववर्ष का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से मोनपा जनजाति द्वारा फरवरी या मार्च में मनाया जाता है। इस दिन लोग ढोल-नगाड़े और रंग-बिरंगे कपड़ों के साथ नव वर्ष का स्वागत करते हैं।
पश्चिम भारत के रंग-बिरंगे उत्सव रण उत्सव
रण
रण उत्सव गुजरात के कच्छ जिले में हर साल नवंबर से फरवरी के बीच आयोजित किया जाता है। यह उत्सव सफेद रेगिस्तान के बीच में होता है, जहां पर्यटक गुजराती लोक संगीत, नृत्य, ऊंट की सवारी और स्वादिष्ट गुजराती खाने का आनंद लेने आते हैं।
बाणेश्वर मेला
बाणेश्वर मेला राजस्थान और गुजरात की सीमा पर डूंगरपुर जिले के पास बाणेश्वर धाम
में हर साल जनवरी-फरवरी में माघ पूर्णिमा के दिन लगता है। इस मेले में भोलेनाथ की
पूजा होती है और लोग दूर-दूर से आकर भजन-कीर्तन के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों
में भाग लेते हैं।
गोवा कार्निवल
गोवा कार्निवल मार्च के महीने में मनाया जाता है। इस दौरान गोवा की सड़कों पर रंग-बिरंगी
परेड, डांस, संगीत, नाटक और खाने-पीने की धूम होती है। यह त्यौहार मुख्य रूप से
क्रिश्चियन समुदाय के लोगों का होता है लेकिन भाग सभी धर्म के लोग लेते हैं।
मेवाड़ महोत्सव

यह त्यौहार राजस्थान के उदयपुर में मार्च या अप्रैल में मनाया जाता है। यह खासकर महिलाओं द्वारा देवी गणगौर की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें वे पारंपरिक परिधान पहनकर शोभायात्रा निकालती हैं।
उत्तर भारत के त्यौहारों की झलक
ताज महोत्सव
आगरा के ताजमहल के पास स्थित शिल्पग्राम नाम की जगह पर हर साल ताज महोत्सव फरवरी में आगरा में होता है। इसमें भारत के अलग-अलग राज्यों से कलाकार आते हैं और नाच-गाना, संगीत, हाथ से बनी चीजें और स्वादिष्ट खाने की चीजें दिखाते हैं। यह मेला 10 दिन चलता है।
सिंधु दर्शन
सिंधु दर्शन मेला हर साल जून में लद्दाख के लेह शहर में मनाया जाता है। यह मेला सिंधु नदी के किनारे होता है। लोग इस पवित्र नदी की पूजा करते हैं और भारत की एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
पुष्कर पशु मेला
यह मेला राजस्थान के पुष्कर शहर मेंअक्टूबर-नवंबर में लगता है। इस मेले में ऊंट दौड़, नाच-गाना और पूजा-पाठ भी होते हैं जिसे देखने के लिए लाखों लोग पहुचतें हैं।
छठ पूजा
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह त्यौहार नेपाल के कुछ हिस्सों और विदेशों में भारतीय समुदायों के बीच भी मनाया जाता है। यह दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों द्वारा मनाया जाता है। छठ पूजा, जो भगवान सूर्य और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है, एक चार दिवसीय त्यौहार है।
बटर फेस्टिवल
उत्तराखंड में बटर फेस्टिवल को ‘अंदुरी उत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है, जो हर साल उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में मनाया जाता है। यह उत्सव स्थानीय लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसमें मक्खन, दही और छाछ से होली खेली जाती है। यह उत्सव 12,000 फीट की ऊंचाई पर
आयोजित किया जाता है, जो दयारा बुग्याल को हाइकिंग और ट्रैकिंग के लिए और भी
आकर्षक बनाता है।
गणेश चर्तुथी

गणेश चतुर्थी खासकर महाराष्ट्र, गोवा और दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह फेस्टिवल अगस्त-सितंबर में आता है। इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति घरों और पंडालों में स्थापित की जाती है। 10 दिन तक पूजा-पाठ के बाद अंतिम दिन बड़ी शोभायात्रा के साथ मूर्ति का
विसर्जन किया जाता है।
