An important part of Indian culture-
An important part of Indian culture-

Indian Culture: प्राचीन काल से हमारी संस्कृत का अभिन्न अंग व पूजनीय मानी जाने वाली गाय का महत्त्व केवल धार्मिक पक्ष से ही नहीं है अपितु वैज्ञानिक व आर्थिक दृष्टिïकोण से भी गाय माता हमारे लिए काफी उपयोगी हैं। गाय से जुड़े विभिन्न लाभ तथा इसके संरक्षण की आवश्यकता को समझें इस लेख से।

पुराणों में, धर्म ग्रन्थों में गाय की महिमा गाई गई है। गंगा, गीता, गौ माता तीनों को मुक्तिदायिनी माना गया है। हर भारतीय का विश्वास है कि हमारे कृ षि प्रधान देश का मूल आधार गौ वंश है, क्योंकि भारत की लगभग 65 प्रतिशत जनसं या अपनी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर रहती है।
गाय हमारी धार्मिक संस्कृति का महत्त्वपूर्ण अंग है। आज इस अंग को हमारी संस्कृति से काटने का बड़े पैमाने पर षड्यंत्र हो रहा है। गाय भारतीय संस्कृति और जीवन दर्शन को परिलक्षित करती है। इस तरह गाय की पवित्रता और उपयोगिता के महत्त्व को कभी कम करके नहीं देखा जा सकता है। लेकिन आधुनिक समय में कृत्रिम साधनों और रसायनों को महत्त्व दिया जा रहा है। जिस प्रकार आज विश्व के सभी देश प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं, चिंताजनक है। पर्यावरण संकट के कारण मानव के विनाश के डर ने सभी को चिंता में डाल दिया है। विभिन्न घातक रसायनों पर रोक, वृक्षारोपण
पर बल, जानवरों तथा उनकी प्रजातियों को बचाने के लिए बहुत सारे प्रयास चल रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे पूर्वज पहले ही पर्यावरण संकट से परिचित थे

तथा परिस्थित को देखते हुए उसका संतुलन बनाए रखने के लिए ही प्रवृत्ति द्वारा जीवों व वृक्षों के संरक्षण के लिए इसे धर्म से जोड़ा। ऐसा अनूठा उदाहरण विश्व के किसी अन्य धर्म और देश में नहीं मिलता। माना जाता है कि भगवान के मूल अवतार का कारण गौ की रक्षा है। गाय सर्वहितकारी
धन है। सारे विश्व में गाय के समान उपयोगी जानवर नहीं है। ‘गाय पवित्रा मांगल्या गोषु लोका: प्रतिष्ठिïत’ यानी गाय पवित्र व मंगलदायिनी है और समस्त लोक गाय में ही प्रतिष्ठिïत हैं। गौ देवी सपदा है।
गाय व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को स्वावलबन प्रदान करती है। गाय से ही हमें दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र प्राप्त होता है जिनका जीवन में महत्त्वपूर्ण उपयोग है। हमारे ऋषियों द्वारा दिखाया गया मार्ग मात्र कपोल कल्पित या महज एक परंपरा नहीं था बल्कि आज के वैज्ञानिक भी उसे स्वीकार करने लगे हैं। संसार का पहला ज्ञानग्रंथ वेद है। ‘ गावा विश्वस्य: मातर: कहकर उसकी महिमा गाई है। मां के बाद किसी दूध की महिमा है, तो वह गाय का ही दूध है। गाय सभी को पोषण देती है किसी को विकृति नहीं देती। जो समाज गाय का समान नहीं कर पाए वह कृतघ्नी है। इसलिए उसकी रक्षा, पोषण तथा
संवर्धन करना उपकार नहीं नैतिक कर्तव्य भी है। गौवंश संरक्षण का न केवल एक धार्मिक
पक्ष है बल्कि यह आर्थिक कारणों से भी लाभदायक है।

गौधन कृषि प्रधान भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। इसकी उपयोगिता बहुआयामी है। चौरासी लाख योनियों के प्राणियों में गाय ही एक ऐसा प्राणी है जिसका मल (गोबर) रोगाणुनाशक व विषाणु नाशक है। इटली के एक वैज्ञानिक ने गोबर के अनेक प्रयोगों से यह सिद्ध किया है कि गाय के ताजे गोबर से तपेदिक व मलेरिया के रोगाणु तक मर जाते हैं । अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने तो गाय के गोबर में, खमीर व समुद्र के पानी को मिलाकर एक ऐसा उत्प्रेरक बनाया है जिसके
प्रयोग से बंजर भूमि भी हरी-भरी हो जाती है,
सूखे तेल के कुओं में फिर से तेल आ जाता है व समुद्र की सतह पर बिखरे तेल को वह सोख लेता है।
गोबर से बने कंडे ऊर्जा के बेहतर विकल्प हैं इसी प्रेरणा से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शहीद मंगल पांडे ने गाय की चरबी चढ़ें कारतूस को दांत से काटने की मनाही कर दी थी। आजादी मिलने के बाद 19 नवंबर 1947 को गाय के संरक्षण व संवर्धन के लिए एक आयोग का गठन किया गया जिसमें गौ वध कर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की संस्तुति की।

दूध- गाय का दूध मधुर, शीतल, सुपाच्य, कीटनाशक, रक्त विकार नाशक, रोगनाशक व सदा सेवन योग्य है। बल व मेधा में वृद्धि करता है।

दही- पाचन करने वाला तथा तमाम उदर रोगों को नष्टï करता है। यह बल एवं शुक्र को बढ़ाता है।

घी- गाय का घी विशेष रूप से आंखों के लिए बेहद उपयोगी है। विभिन्न रोगों, दोषों का शमन करने वाला है।

गोबर- गाय का गोबर एक जीवनोपयोगी वस्तु है। गोबर मल नहीं बल्कि मल शोधक है। इसमें कूड़े-कचरे को सोखकर खाद बनाने की क्षमता है। प्रदूषण व आण्विक विकिरण से बचाव के लिए गोबर रक्षा कवच है। गोबर से इधन, बिजली, प्रकाश प्राप्त होता है। गोबर से त्वचा रक्षक साबुन, धूपबत्ती, मच्छरमारक, हवाई डिस्टेंपर इत्यादि निर्मित होते हैं।

गौमूत्र- गौमूत्र मानव तथा वनस्पति को प्राप्त प्रकृति का श्रेष्ठï वरदान है। रोगग्रस्त को निरोग करने वाली दिव्य औषधि है। आयुर्वेद का प्राण तत्त्व गौमूत्र है। हृदय, लिवर, किडनी, उदर, श्वास इत्यादि रोगों के लिए रामबाण है।

गौपालन एवं गौवंश संवर्धन हमारे व देश के लिए समृद्धि का सूचक है। गाय की सुरक्षा संवृद्धि के लिए संगठित प्रयास की जरूरत है। आइए, आज से ही इस महान यज्ञ में अपनी आहुति डालने के लिए
तैयार हो जाएं व समाज के लोगों को भी इस महान कार्य के लिए जागृत करें। जय गौ माता।