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ज्ञान ही जीवन है

Power of Knowledge: जीवन को एक क्रीड़ा की भांति खेलो। मंच के ऊपर आपको जिस पात्र का अभिनय करना है उसी प्रकार करो। किन्तु जीवन का अंतिम लक्ष्य मत भूलो, उसे तो प्राप्त करना ही है। शिक्षा प्राप्ति के साधन शिक्षा-ग्रन्थ, संस्थाएं और अभ्यास है। संस्कृति की उत्पत्ति और विकास सांस्कृतिक ग्रन्थों से, सांस्कृतिक संस्थाओं […]

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दिव्य जीवन की शुरुआत

Life Lesson: दिव्य जीवन जीने के लिए तुम्हारे प्रयास में तुम्हारे गुरुदेव, चाहे वे दूर हों या पास, प्रत्येक पतन-काल में तुम्हारी रक्षा करेंगे तथा भगवत्प्राप्ति की पावन तीर्थयात्रा को सफल बनाने में तुम्हारा उत्साहवर्धन भी करेंगे। एक सर्वसामान्य प्रश्न लगभग प्रत्येक नवोत्साही अध्यात्म साधक पूछता है कि हम दिव्य जीवन का प्रारम्भ किस प्रकार […]

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जप का रहस्य

Chanting Secret: जप एक प्रकार का प्रशिक्षण है जिसके द्वारा मन को विचार की एक निश्चित दिशा में लगाया जाता है। वही जप सिद्धान्त का मूल रहस्य है। जप एक प्रकार का अभ्यास है जिसके द्वारा मन की इधर-उधर बिखरने वाली धाराएं एकीकृतकरके किसी एक दिशा में नियंत्रित रूप में प्रवाहित की जाती हैं। इसके […]

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सफलता के सूत्र: Success Formulas

Success Formulas: अभी तक हम अपने शारीरिक सुख की कामनाओं से प्रेरित होकर मोह और लोभ का जीवन जीते रहे हैं। किन्तु उन पर विजयपाकर ऊपर उठने से हम विकास के एक नए धरातल पर पहुंच सकते हैं। नियमित अयास और दृढ़ निष्ठï ही सफलता का रहस्य है। ध्यान में प्रगति कभी भी अपनी योजना […]

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दिव्य जीवन का संदेश: Life Lesson

Life Lesson: सदैव परिवर्तित होने वाले अनुभवकर्ता एवं विषय वस्तु की अनबूझ पहेली को निरंतर सुलझाने का प्रयास करते रहना ही वह छिपा हुआ नासूर है जो संसारी मनुष्य को व्यथित किया करता है। दिव्यजीवन इस आन्तरिक संसार रूपी कैंसर की रामबाण औषधि है। हमारे अनुभव में आने वाला यह संसार विभिन्न नाम-रूप-रस-स्पर्श-गंध का एक […]

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आत्म निरीक्षण की प्रक्रिया से गुजरो- स्वामी चिन्मयानंद: Spiritual Learnings

Spiritual Learnings: शुभस्य शीघ्रम। आज से ही आरंभ करो। आगामी कल की प्रतीक्षा व्यर्थ है, वह शायद कभी न आए। संभव है कि प्रारंभ में आत्म-विश्लेषण का यह कार्य अत्यंत असंतोषरूप में चले। प्रारंभिक दिनों की आत्म-विश्लेषण कथा कदाचित् किसी देव पुरुष के आदर्श जीवन जैसी मालूम पड़ेगी। फिर भी अभ्यास जारी रखो। प्रत्येक दिन […]

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स्वामी चिन्मयानंद : मन और विचार

Chinmayananda Saraswati: आपको आश्चर्य होता होगा कि जब हमें केवल अपने आप में गहरे उतरना है और हमें अपनी आत्मा का ही ज्ञान प्राप्त करना है तो हम आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार आदि पर इतना अधिक बल क्यों देते हैं? वस्तुत: यह सब निरर्थक नहीं है। इसका एक तर्कसंगत कारण है। हम अपने प्रारम्भिक विवेचन में […]

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ध्यान की आवश्यकता – स्वामी चिन्मयानंद

ध्यानाभ्यास में मन को समस्त इन्द्रिय विषयों से हटा लिया जाता है। मन पर अंकुश रखने वाली बुद्धि उसे आदेश देती है कि वह अपने समस्त विचारों को समाप्त कर केवल सर्वव्यापी चेतना के बारे में ही सोचे। कठिन साधना के उपरान्त मन एक समय पर एक ही विषय का चिन्तन करने योग्य बन जाता है।

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शांति के क्षण – स्वामी चिन्मयानंद

मानसिक शांति के अत्यन्त सशक्त क्षण केवल दुर्बल खालीपन अथवा सत्ताहीन शून्यता प्रतीत होते हैं। ऐसा है नहीं। अनेक दिशाओं में भटकते हुए दुर्बल मन की भाषा में यह शांति निष्क्रियता या मृत्यु भासित हो सकती है, किंतु ये क्षण बड़े सशक्त हैं।

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